कुसुम विहार में सजता है बुजुर्गों का चौपाल

ये दिल तुम्हारे प्यार का मारा है दोस्तों धनबाद : कुसुम विहार (सरायढेला) में रहनेवाले रिटायर्ड पर्सन को शाम चार बजे का बेसब्री से इंतजार रहता है. चार बजते ही सभी नुक्कड़ की एक चाय दुकान में जुटने लगते हैं. चाय की चुस्कियों के बीच इनका चौपाल सजता है. नये-पुराने जमाने की बात होती. समस्याओं […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 10, 2016 6:17 AM

ये दिल तुम्हारे प्यार का मारा है दोस्तों

धनबाद : कुसुम विहार (सरायढेला) में रहनेवाले रिटायर्ड पर्सन को शाम चार बजे का बेसब्री से इंतजार रहता है. चार बजते ही सभी नुक्कड़ की एक चाय दुकान में जुटने लगते हैं. चाय की चुस्कियों के बीच इनका चौपाल सजता है. नये-पुराने जमाने की बात होती. समस्याओं का समाधान निकाला जाता है. कभी दुकान में आनेवाले लोग अपनी समस्या बताकर बुजुर्गों से समाधान चाहते हैं. सम-सामयिक मुद्दों पर तोे कभी पुराने दिन को याद कर सभी ठहाके लगाते हैं. चाय दुकानदार निर्मल बताते हैं : बुजुर्गों से हमारे चाय दुकान की रौनक बढ़ जाती है. हम भी उनके आने का इंतजार करते हैं. चाय-पकौड़े के बीच इनकी चौपाल सजती है. दो घंटे यहां समय बिताने के बाद सभी संध्या में मंदिर में होनेवाली आरती में शामिल होते हैं.
पुराने दिनों को याद करता हूं
सुबह उठकर अपनी दिनचर्या में व्यस्त हो जाता हूं. परिवार के साथ दोपहर का समय बीत जाता है. चार बजने का बेसब्री से इंतजार करता हूं. दोस्तों के साथ मिलकर पुराने दिनों को याद करता हूं. बाकी समय बेटा-बहू और पोते के साथ मजे में कट जाता है.
बसंत बिहारी वर्मा, रिटायर्ड डीवीसी स्टोर ऑफिसर
राजनीति व ज्वलंत मुद्दों पर करते हैं चर्चा
जब तक चाय दुकान नही पहुंच जाता, चैन नही आता है. यहां आकर दोस्तों के साथ मिलकर चाय की चुस्कियों के साथ अपना जमाना याद करता हूं. कभी राजनीति पर चर्चा होती है तो कभी देश के ज्वलंत मुद्दों पर.
दिनेश सिंह, रिटायर्ड आॅफिस सुपरिटेंडेंट, लोदना एरिया
बाहर जाने की नहीं होती है इच्छा
2005 में कोयला भवन से डीटीओ के पद से रिटायर हुआ हूं. हमारी मित्र मंडली शाम चार बजते ही निर्मल की दुकान पहुंच जाती हैं. कभी धनबाद से बाहर जाने का प्रोग्राम बनता है तो जाने की इच्छा नहीं होती है.
एसके सिंह, रिटायर्ड डीटीअो
मित्राें से मिले बिना अच्छा नहीं लगता
अपने मित्रों से मिले बगैर अच्छा नही लगता. पांच बेटियां थी सब की शादी हो गयी. परिवार में मैं और पत्नी ये दोनों ही हैं. इस बात का मलाल कभी नहीं हुआ कि बेटा नहीं है. बेटियां बेटों से अच्छी होती है.
विद्या नंदन चौधरी, रिटायर्ड फोरमैन, एफसीआइ
दोस्तों के साथ समय बिताना अच्छा लगता है
सुबह का समय परिवार का, चार से छह का समय दोस्तों का उसके बाद साईं बाबा के मंदिर पहुंच जाते हैं. दोस्तों के साथ बिताया समय सबसे खुशगवार होता है. एक दिन मिले बगैर नहीं रह सकता.
एमपी शर्मा, रिटायर्ड जेनरल मैनेजर, चासनाला कोलियरी
चौपाल पर जम कर लगाते हैं ठहाके
हम दोस्तों का ठिकाना है निर्मल चाय दुकान. निर्मल को भी हमलोगों का इंतजार रहता है. सभी के आने के बाद चाय पीते हैं पकौड़े खाते हैं. एक दूसरे से मिले बगैर अधूरा सा लगता है. कभी ऑफिस के दिन याद करते हैं. जमकर ठहाके लगाते हैं.
आरएस सिंह, रिटायर्ड ऑफिस सुपरिटेंडेंट, कोयला नगर

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