पानी-बिजली और दवा संकट गिरा रहे सरकार की साख
सिस्टम की सुस्त चाल. बीजेपी, एमपी, एमएलए की उनके गढ़ में तेजी से बिगड़ रही छवि न पानी, न बिजली और न ही दवा. धनबाद में अच्छे दिन की आस में वोटरों के दो वर्ष से ज्यादा समय पानी, बिजली और दवा के लिए तड़पते बीत गये. जन :आश्वासन देते रह गये. अधिकारी नियम दिखाते […]
सिस्टम की सुस्त चाल. बीजेपी, एमपी, एमएलए की उनके गढ़ में तेजी से बिगड़ रही छवि
न पानी, न बिजली और न ही दवा. धनबाद में अच्छे दिन की आस में वोटरों के दो वर्ष से ज्यादा समय पानी, बिजली और दवा के लिए तड़पते बीत गये.
जन :आश्वासन देते रह गये. अधिकारी नियम दिखाते रह गये. बीच में जनता मूकदर्शक हो कर इसे अपनी नियति मान कर झेल रही है. लेकिन इससे राज्य सरकार की साख पर असर पड़ रहा है. जहां तक राजनीति का सवाल है सिस्टम की सुस्त चाल आने वाले समय में सत्तारूढ़ दल के लिए महंगी पड़ सकती है. जनता अपने एमपी-एमएलए से जवाब मांगेगी. यहां भाजपा के दो सांसद और चार विधायक हैं. मेयर भी भाजपा के हैं.
पेयजल के मामले में पहले नहीं दिखी ऐसी लापरवाही
धनबाद में पिछले दो वर्ष में शायद ही कोई महीना बीता है जब पानी के लिए हंगामा नहीं हुआ हो. कभी मैथन डैम में मोटर खराब हो जाता है. कभी पानी का लेयर घट जाता है. कभी पाइप फट जाता है. किसी न किसी बहाने इस जलापूर्ति योजना पर निर्भर आबादी को महीने में चार-पांच दिन बिना पानी के रहना पड़ रहा है. अभी पिछले चार माह से तो स्थिति अत्यंत भयावह है. कतरास एवं आस-पास के लोग तो छह माह से पानी के लिए पानी-पानी हो रहे हैं. वहां भी आश्वासनों का घूंट ही पिलाया जा रहा है. झरिया इलाका में पानी तो बंट रहा है. लेकिन, वह पूरी तरह शुद्ध नहीं. पानी आपूर्ति की जिम्मेदारी यहां पेयजल एवं स्वच्छता विभाग, माडा एवं नगर निगम पर है. तीनों एजेंसियों में सामंजस्य का घोर अभाव है. मैथन डैम का एक मोटर एक माह बाद भी 58 लाख रुपये के लिए नहीं बना, जबकि 10 दिनों से भेलाटांड़ वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का एक वाल्व 52 हजार के लिए नहीं बदला जा रहा है. बरसात में जब पानी से डैम भरा पड़ा है शहर के लोगों को दोनों टाइम पानी नहीं मिल रहा है. शहर के 19 जलमीनारों से रोज तीन से पांच जलमीनारों से सप्लाइ नहीं हो पा रही है. मैथन में खराब पड़े पंप की मरम्मत के लिए राशि निर्गत करने पर भी निगम तथा पेयजल एवं स्वच्छता विभाग में खींचतान चल रही है.
स्वास्थ्य सेवा बदहाल, पीएमसीएच का बुरा हाल
जिले में सरकारी स्वास्थ्य सेवा भी बदहाल है. पीएमसीएच में लगभग हर दिन इलाज के अभाव में मरीज की मौत हो जा रही है. अक्सर डॉक्टर एवं मरीज के परिजनों के बीच विवाद हो जाता है. दवाएं तक नहीं मिलती. हफ्ते भर से पीएमसीएच का ऑन लाइन मामूल मरम्मत के अभाव में ठप है. बड़ी संख्या में आये मरीजों को परेशानी हो रही है. एसएसएलएनटी अस्पताल में भी मार्च तक इंडोर सेवा शुरू करने की घोषणा हुई थी. यहां ओपीडी सेवा भी नाम मात्र की ही चल रही है. जिला मुख्यालय में यह स्थिति है तो स्वास्थ्य केंद्रों की क्या स्थिति होगी यह सहज ही समझा जा सकता है.
बिजली में भी नहीं कोई राहत, आंखमिचौनी जारी
एक तरफ, सरकार जीरो पावर कट का सपना दिखा रही है. दूसरी तरफ, 24 में 16 घंटे निर्बाध बिजली भी नहीं मिलती. ट्रांसफॉर्मर तक भी नहीं रहता. बिना घूस दिये जले हुए ट्रांसफॉर्मर की मरम्मत तक नहीं होती. ऊपर से बिजली का मासिक बिल भी पहले से दो गुणा ज्यादा आने लगा है. शहर में बिजली की आंख मिचौनी जारी है. ऊर्जा विभाग रोज नये-नये बहाने बनाता है. डीवीसी ने लोड शेडिंग बंद करने की घोषणा.