पीएमसीएच के रिटायर्ड अधीक्षक के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट
धनबाद: पौने दो करोड़ रुपये की सीटी स्कैन खरीदारी घोटाले में पीएमसीएच के रिटायर्ड अधीक्षक शरत चंद्र दास के खिलाफ निगरानी कोर्ट से गिरफ्तारी वारंट जारी हो गया है. उनके साथ योगेंद्र प्रसाद सिंह (लिपिक सह तत्कालीन लेखा पदाधिकारी, अब सेवानिवृत्त) तथा जयराम सिंह (क्लर्क क्रय शाखा) के खिलाफ भी गिरफ्तारी वारंट निर्गत हुआ है. […]
धनबाद: पौने दो करोड़ रुपये की सीटी स्कैन खरीदारी घोटाले में पीएमसीएच के रिटायर्ड अधीक्षक शरत चंद्र दास के खिलाफ निगरानी कोर्ट से गिरफ्तारी वारंट जारी हो गया है. उनके साथ योगेंद्र प्रसाद सिंह (लिपिक सह तत्कालीन लेखा पदाधिकारी, अब सेवानिवृत्त) तथा जयराम सिंह (क्लर्क क्रय शाखा) के खिलाफ भी गिरफ्तारी वारंट निर्गत हुआ है. एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) की अर्जी पर वारंट जारी किया गया है.
शरत चंद्र दास मूलत: ओड़िशा के रहने वाले हैं. इन दिनों भुवनेश्वर के एक निजी मेडिकल में प्राध्यापक बताये जाते हैं. जमशेदपुर मानगो में फ्लैट में रहते हैं.
दोनों पते के आधार पर कोर्ट से वारंट जारी हुआ है. सेवानिवृत्त लिपिक योगेंद्र प्रसाद सिंह अभी भूईंफोड़ में रहते हैं. जयराम सिंह का निजी आवास कार्मिक नगर में है. एंटी करप्शन ब्यूरो गिरफ्तारी वारंट जारी होने के बाद डा दास व योगेंद्र की तलाश में छापामारी भी कर चुकी है. मामले में एंटी करप्शन ब्यूरो की ओर से कांड संख्या 9-2006 दिनांक 14.9.2006 में धारा 420, 467, 468, 471, 409, 120 (बी) भादवि व 13(2), सह 13 (1) (डी) भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम 1988 के तहत केस दर्ज है. अनुसंधान पदाधिकारी की छानबीन व एसपी के सुपरविजन में केस को सत्य पाया गया है. नामजद के खिलाफ सरकारी राशि के दुरुपयोग कर सीटी स्कैन मशीन को बाजार दर से तिगुनी कीमत पर खरीदने का आरोप है.
जयराम की गिरफ्तारी पर आठ फरवरी तक रोक: पीएमसीएच क्लर्क जयराम सिंह अपने खिलाफ दर्ज मामले को लेकर हाइकोर्ट पहुंच गये हैं. हाईकोर्ट ने जयराम के खिलाफ कार्रवाई पर आठ फरवरी तक रोक लगा दी है. एसीबी को शपथ पत्र दायर करने को कहा है.
मुंबई जायेगी एसीबी की टीम
सीटी स्कैन घोटाले की जांच कर रही एसीबी मुंबई जायेगी. एसीबी सीटी स्कैन देने वाली मुंबई की सिमाजु कंपनी व इंपायर इंडस्ट्रीज के अधिकारियों का नाम-पते का सत्यापन करेगी. एसीबी दोनों कंपनी से सीटी स्कैन मशीन का निर्धारित रेट लेगी. यह भी जानकारी लेगी कि संबंधित मशीन और कहां-कहं आपूर्ति हुई है. जहां भी यह मशीन आपूर्ति हुई वहां किस दर पर दी गयी है. दोनों कंपनी के नामजद अधिकारियों के नाम-पते का सत्यापन के बाद दोनों के खिलाफ गिरफ्तार वारंट की अर्जी निगरानी कोर्ट में दी जायेगी.