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शिवलीबाड़ी के मुखिया बुरे फंसे

जांच में दोषी. सीएम से मिले पुरस्कार की राशि को निजी अकाउंट में डाला मुख्यमंत्री ने ओडीएफ पंचायत होने पर किया था पुरस्कृत धनबाद : ग्यारकुंड प्रखंड अंतर्गत शिवलीवाड़ी के मुखिया संतोष कुमार साव के सरकारी राशि का गबन कर लेने का मामला प्रकाश में आया है. उसने एक लाख रुपये अपने निजी एकाउंट में […]

जांच में दोषी. सीएम से मिले पुरस्कार की राशि को निजी अकाउंट में डाला

मुख्यमंत्री ने ओडीएफ पंचायत होने पर किया था पुरस्कृत
धनबाद : ग्यारकुंड प्रखंड अंतर्गत शिवलीवाड़ी के मुखिया संतोष कुमार साव के सरकारी राशि का गबन कर लेने का मामला प्रकाश में आया है. उसने एक लाख रुपये अपने निजी एकाउंट में जमा कर लिए. जांच हुई तो मामले का खुलासा हुआ.
क्या है मामला : जिले की दो पंचायत बाघमारा प्रखंड के डुमरी एवं ग्यारकुंड प्रखंड के शिवलीवाड़ी के ओडीएफ होने पर मुख्यमंत्री ने दोनों पंचायतों के मुखिया को एक-एक लाख रुपये का चेक देकर सम्मानित किया गया था. शिवलीबाड़ी के मुखिया संतोष कुमार साव ने उक्त राशि अपने निजी एकाउंट में जमा कर दिये. इस बात की जानकारी जब वहां के ग्रामीणों की हुई तो उनलोगों को उपायुक्त ए दोड्डे से शिकायत की. उपायुक्त ने उप विकास आयुक्त गणेश कुमार को जांच का निर्देश दिया.
जिला पंचायती राज पदाधिकारी ने की जांच : डीडीसी ने इसकी जांच जिला पंचायती राज पदाधिकारी शेखर वर्मा से करायी. जांच के दौरान वहां के पंचायत सेवक ने चार पासबुक की छाया प्रति दी जिसमें कहीं भी उस राशि के जमा होने का जिक्र नहीं है. कैशबुक में भी कहीं उक्त राशि का जिक्र नहीं है. उसने सरकारी योजना बीआरजीएफ, 13वें वित्त आयोग, मुख्यमंत्री ग्रामीण पथ एवं 14वीं वित्त आयोग की योजनाओं के लिए इलाहाबाद बैंक में खुले खाते की प्रतिलिपि जमा की जिसमें कहीं भी उक्त राशि के बारे में कोई जानकारी नहीं है.
राशि के खर्च की जानकारी नहीं : पंचायत सचिव अबुलतम अंसारी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि एक लाख रुपये का कहीं भी जिक्र नहीं है. मुखिया से जब मुख्यमंत्री द्वारा दी गयी राशि के बारे में पूछा तो उसने कहा है कि उक्त राशि निजी बैंक खाता में जमा करके नाली निर्माण करवा दिया. उसने उक्त राशि कैसे और किस खाता में जमा किया और कहां खर्च किया इसकी जानकारी उसे नहीं है.
पंचायत को मिला था पुरस्कार, मुखिया को नहीं
डीडीसी गणेश कुमार ने बताया कि वे अपनी रिपोर्ट उपायुक्त को सौंपेगे. बताया कि सरकार की ओर से घोषणा की गयी थी कि जो भी पंचायत पहले ओडीएफ होगा, उसे पुरस्कृत किया जायेगा. यहां के दो पंचायतों को पुरस्कृत किया गया था. उक्त राशि पंचायत की थी न कि मुखिया की व्यक्तिगत राशि थी. उसे उक्त चेक को सरकारी पासबुक में ही जमा करना चाहिए था न कि व्यक्तिगत. सरकारी खाता में उक्त राशि जमा नहीं हुई है. एेसे में स्पष्ट है कि उक्त राशि का गबन किया गया है. ऐसे में उस पर जालसाजी का मामला बनता है. अब उससे एक लाख रुपये वसूल किये जायेंगे साथ ही उपायुक्त के निर्देश पर उस पर एफआइआर भी की जा सकती है.

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