कोल इंडिया प्रबंधन अपने निर्णय से फिर पीछे हटा, हड़ताल पर जा सकते हैं श्रमिक संगठन

एनसीडब्लूए-दस में वेज के लिए कोल इंडिया प्रबंधन ने दिया 2200 करोड़ रुपये का ऑफरयूनियन नेताओं ने मानने से किया इनकार4-5 फरवरी की बैठक में दिया था तीन हजार करोड़ का ऑफरआगामी अप्रैल माह के प्रथम सप्ताह में हो सकती है जेबीसीसीआई की बैठकदिल्ली मेंसंपन्न हुई कोलकर्मियों के वेज व भत्ते को लेकर गठित उपसमिति […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 1, 2017 6:06 PM

एनसीडब्लूए-दस में वेज के लिए कोल इंडिया प्रबंधन ने दिया 2200 करोड़ रुपये का ऑफर
यूनियन नेताओं ने मानने से किया इनकार
4-5 फरवरी की बैठक में दिया था तीन हजार करोड़ का ऑफर
आगामी अप्रैल माह के प्रथम सप्ताह में हो सकती है जेबीसीसीआई की बैठक
दिल्ली मेंसंपन्न हुई कोलकर्मियों के वेज व भत्ते को लेकर गठित उपसमिति की दो दिवसीय बैठक

बेरमो : देश के सार्वजनिक प्रतिष्ठान कोयला उद्योग व सिंगरैनी कोल कंपनिज के कोलकर्मियों के लिए दसवां वेतन समझौता में मिलनेवाले वेज एवं भत्तों को लेकर गठित उपसमिति की दो दिवसीय बैठक बुधवार को दिल्ली में संपन्न हुई. आज बैठक थोड़ी देरी से शुरू हुई. आज की बैठक में मुख्यरूप से दो मुद्दों पर सैद्धांतिक रूप से सहमति बनी. कोलकर्मियों के पेंशन कोष में प्रति टन कोल डिस्पैच पर 15 रुपया प्रतिटन प्रबंधन देगा. स्कीम में संशोधन हेतु आवश्यक कदम उठाएं जाएंगे. सेवानिवृत्ति के बाद चिकित्सा सुविधा हेतु 18 हजार रुपया प्रति मजदूर कोल इंडिया प्रबंधन देगा. जबकि कोलकर्मी 40 हजार रुपया देंगे. इसके बाद स्कीम बनाने की प्रक्रिया शुरू होगी. आज की बैठक में इन दो प्रस्ता‍वों पर प्रबंधन ने मुहर लगा दी है. दसवां वेतन समझौता में कोलकर्मियों के वेज का मामला यूनियन नेताओं द्वारा उठाये जाने पर कोल इंडिया प्रबंधन ने अपने कदम पीछे खीचते हुए वेज व भत्तों के लिए 3000 करोड़ की जगह अब 2200 करोड़ का प्रस्ताव रखा.

प्रबंधन ने कोल अधिकारियों के वेतन के संबंध आयी रिपोर्ट का हवाला दिया जिसे यूनियनों ने एक सिरे से खारिज कर दिया. साथ ही प्रबंधन के इस निर्णय पर काफी खफा भी हुए. काफी चर्चा के बाद यूनियनों ने प्रबंधन से स्पष्टरूप से कहा कि पिछले समझौते (वेजबोर्ड नौ) से कम पर समझौता होने का तो सवाल ही नहीं पैदा होता है. प्रबंधन की ओर से कहा गया कि 25 फीसदी वेज बढोतरी पर क्या प्रभाव कंपनी पर पड़ेगा इसका आकलन करने में समय लगेगा. उन्होंने यूनियनों से इसके लिए समय दिये जाने की मांग की. यूनियन प्रतिनिधियों ने जेबीसीसीआई की फूल कमिटियों की बैठक बुलाने की मांग की. एक और बैठक जेबीसीसीआई की उप समिति की होली के बाद होगी. अप्रैल के प्रथम सप्ताह में जेबीसीसीआई की बैठक हो सकती है. आज की बैठक की अध्यक्षता कोल इंडिया के निदेशक कार्मिक आरमोहन दास ने की. जबकि बैठक में अधिकारियों की ओर से कोल इंडिया के निदेशक वित्त सीके डे, सीसीएल व बीसीसीएल के सीएमडी गोपाल सिंह, डब्लूसीएल के सीएमडी आरआर मिश्रा, एमसीएल के सीएमटी टीके नाग, कोल इंडिया के सलाहकार भगवान पांडेय सहित मजदूर संगठनों की ओर से एटक के रमेंद्र कुमार व लखनलाल महतो, बीएमएस के डॉ बंसत राय व पीके दत्त, एचएमएस के नाथुलाल पांडेय व मो रियाज तथा सीटू की ओर से डीडी रामानंदन व जेएस सौंधी उपस्थित थे.

आंदोलन में जा सकते हैं मजदूर संगठन

कोल इंडिया प्रबंधन के इस रुख को देखते हुए अब चारों मजदूर संगठन कोल इंडिया में आंदोलन का शंखनाद कर सकते हैं. बैठक के बाद चारों यूनियन से जुड़े जेबीसीसीआई सदस्यों ने अलग से बैठक कर वेज पर प्रबंधन के नकारात्मक रुख को लेकर चर्चा की. यूनियन नेताओं ने कहा कि दिये गये चार्टर ऑफ डिमांड के अनुसार मजदूरों के वेज सहित हर मागों पर स्पेशफीक बढोतरी प्रतिशत में मिलनी चाहिए. उन्होंने कहा कि वेजबोर्ड नौ में हमलोगों ने कोलकर्मियों के मूल वेतन में 25 फीसदी बढोतरी के अलावा तीन फीसदी इन्क्रीमेंट लिया था. इस बार इससे कम का तो सवाल ही पैदा नहीं होता है. बताते चलें कि इस बार पांचों मजदूर संगठनों की ओर से दिये गये कॉमन चार्टर ऑफ डिमांड में कोलकर्मियों के मूल वेतन में 50 फीसदी की बढोतरी के अलावा सालाना इन्क्रीमेंट छह फीसदी करने की मांग कीगयी है. इसके अलावा अन्य कई तरह के भत्तों की मांग कीगयी है. मालूम हो कि अभी तक वेजबोर्ड-दस को लेकर गठित जेबीसीसीआई-दस की दो बैठकें संपन्न हो चुकी है. पहली बैठक जयपुर में गत 6-7 दिसंबर को तथा दूसरी बैठक गत 21-22 जनवरी को केरल में संपन्न हुई. इन दोनों बैठकों में कोलकर्मियों के पोस्ट रिटायरमेंट मेडिकल सुविधा के अलावा पेंशन को लेकर भी सब कमेटी का गठन किया गया. पेंशन व मेडिकल को लेकर गठित सब कमेटी की भी अभी तक तीन बैठकें हो चुकी हैं. साथ ही वेज एवं भत्तों के लिए भी उप समिति का गठन किया गया था. जिसकी बैठक 4-5 फरवरी को दिल्ली में संपन्न हुई थी. इसके बाद 28 फरवरी एवं एक मार्च को दिल्ली में बैठक संपन्न हुई.

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