नीरज हत्याकांड: नौ दिन, छह गिरफ्तारी, फिर भी गुत्थी अनसुलझी

धनबाद: नीरज सिंह समेत चार लोगों की हत्या के नौ दिन बीत गये. पुलिस भले ही इस सिलसिले में छह लोगों की गिरफ्तारी दिखा रही है. लेकिन रहस्य अब भी बरकरार है. पुलिस इन सवालों का जवाब देने से बच रही है कि हत्या का षडयंत्र किसने रचा, हत्या किसने की, हत्याकांड में प्रयुक्त हथियार […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 30, 2017 7:51 AM
धनबाद: नीरज सिंह समेत चार लोगों की हत्या के नौ दिन बीत गये. पुलिस भले ही इस सिलसिले में छह लोगों की गिरफ्तारी दिखा रही है. लेकिन रहस्य अब भी बरकरार है. पुलिस इन सवालों का जवाब देने से बच रही है कि हत्या का षडयंत्र किसने रचा, हत्या किसने की, हत्याकांड में प्रयुक्त हथियार कहां गये आदि. एसएसपी का दावा है कि संजय, पिंटू व धनजी के हत्याकांड में संलिप्तता के सबूत मिले हैं. प्रशांत, अशोक व मोनू को हथियार व गोली के साथ पकड़ उनकी संलिप्तता की जांच की जा रही है.

लेकिन क्या सबूत मिले यह नहीं बताया जा रहा है. पूर्व मंत्री बच्चा सिंह व नीरज के अनुज एकलव्य सीधे हत्याकांड में विधायक संजीव सिंह पर आरोप लगा रहे हैं. संजीव के साथ उनके भाई मनीष भी केस में नामजद हैं. एक साथ शहर में चार लोगों की हत्या के बाद सरकार व राज्य पुलिस रेस हुई और एडीजी सीआइडी के नेतृत्व में एसआइटी का गठन कर जांच की जिम्मेवारी सौंपी. नौवें दिन एसआइटी प्रमुख धनबाद से अचानक रांची चले गये. एसएसपी की ओर से सोशल मीडिया पर रिलीज जारी की गयी कि हत्याकांड से संबंधित तीन लोगों को पकड़ा गया है. विदेशी हथियार व गोली के साथ तीन लोग पकड़े गये हैं. संयोग है कि सभी छह सिंह मैंशन से जुड़े हुए हैं.

पुलिस को देने हैं इन सवालों के जवाब
नीरज की हत्या क्यों की गयी?
नीरज व संजीव के बीच इतने बड़े विवाद का कारण क्या है?
हत्या की जगह कुंती निवास व सिंह मैंशन के बीच ही क्यों चुनी गयी?
हत्या के समय विधायक अपने घर में ही क्यों थे?
विधायक ने बचाव के लिए हत्या से पूर्व राज्य से बाहर ठिकाना क्यों नहीं लिया?
नीरज की हत्या की योजना कई माह से बनी हुई थी तो पुलिस व खुफिया एजेंसी को क्यों नहीं पता चला?
अगर रंजय के प्रतिशोध में नीरज की हत्या हुई तो रंजय की हत्या क्यों और किसने की?
अगर पुलिस के पास साक्ष्य है तो संजीव व मनीष को अभी क्यों छोड़ रही है?
पुलिस कहीं जल्दीबाजी में कार्रवाई कर अभियुक्तों को बचने का कानूनी लाभ तो नहीं दे रही है?
डीआइजी धनबाद में कैंप कर रहे हैं और पूरी जांच को अपने हाथ में ले रखा है, फिर मीडिया से पुलिस की दूरी क्यों?
पुलिस टीम में रखकर भी अफसरों को गोपनीयता क्यों? धनबाद में पदस्थापित आइपीएस व पुलिस सेवा के अफसरों पर संदेह का कारण? पुलिस टीम में दागी अफसरों को किसने रखवाया?
कार्रवाई की जद में सरायढेला थानेदार ही क्यों?
सीआइडी टीम ने इनपुट दिया और पुलिस ने कार्रवाई की. फिर पकड़े जाने पर अभियुक्तों से सीआइडी टीम को क्यों दूर रखा गया?
हत्याकांड के खुलासे से पूर्व एसअइटी चीफ क्यो रांची लौट गये?
संजीव पर शक की वजह
पकड़े गये लोग विधायक के करीबी
पीड़ित पक्ष का तथ्यों के साथ विधायक पर आरोप
विधानसभा चुनाव में नीरज मुख्य प्रतिद्वंद्वी थे, आगे भी विरोध में चुनाव लड़ते
नीरज व संजीव के बीच पारिवारिक संपत्ति को लेकर विवाद
आउटसोर्सिंग में वर्चस्व को लेकर विवाद
रंजय की हत्या का प्रतिशोध
शूटोंं को ठहरानेवाले डबलू मिश्रा का सिंह मैंशन से कनेक्शन
मैंशन के इलाके में सरेशाम हत्या
कोई दूसरा मैंशन के इलाके में ऐसा करने की शायद जुर्रत करेगा
रांची लौटे एडीजी, हत्या के खुलासे का किया दावा
धनबाद. नीरज सिंह समेत चार लोगों की हत्या की जांच के लिए गठित एसअाटी के प्रमुख एडीजी सीआइडी अजय कुमार सिंह बुधवार को रांची लौट गये. एडीजी एक हफ्ते से धनबाद में कैंप किये हुए थे. एडीजी ने कहा कि हत्याकांड का खुलासा हो गया है. पुलिस ने मामले में जैनेंद्र सिंह उर्फ पिंटू सिंह, धनंजय सिंह उर्फ धनजी व संजय सिंह को गिरफ्तार किया है. तीनों के हत्याकांड से कनेक्शन के सबूत पुलिस को मिले हैं. हत्या व हत्या के षडयंत्र में और कौन-कौन शामिल है, इस संबंध में भी जांच में अहम सबूत हाथ लगे हैं. धनबाद पुलिस आगे की कार्रवाई करेगी. जांच सही दिशा में है. पुलिस को टेक्नीकल जांच से भी अहम जानकारी मिली है.

यूं अचानक जाने से उठ रहे सवाल सीआइडी और जिला पुलिस में अनबन?
हत्याकांड की जांच कर रहे एसआइटी चीफ अजय कुमार सिंह का अचानक रांची लौट जाना शहर में चर्चा का विषय बना हुआ है. एसआइटी चीफ के साथ कोयला क्षेत्र के डीआइजी साकेत कुमार सिंह, सीआइडी एसपी नरेंद्र सिंह, एक डीएसपी, तीन इंस्पेक्टर के साथ एटीएस के एसपी अजीत पीटर डुंगडुंग भी घटना के बाद धनबाद में कैंप किये हुए थे. एसआइटी चीफ पूरे जांच की मॉनीटरिंग कर रहे थे. सीआइडी टीम जिला पुलिस को हत्याकांड में महत्वपूर्ण इनपुट उपलब्ध करा रही थी. सीआइडी के इनपुट पर ही डब्लू मिश्रा, संजय सिंह के बारे में अहम जानकारी मिली. मैंशन से जुड़े कई दबंग के बारे में सीआइडी ने ही पुलिस को इनपुट दिये. आरोप है कि सीआइडी टीम से एक सीनियर आइपीएस अफसर काफी नाराज रह रहे थे. पकड़े गये लोगों से पूछताछ भी सीआइडी टीम को नहीं करने दिया गया. सीआइडी टीम के साथ कोई जानकारी शेयर नहीं की जा रही थी. हत्याकांड में पकड़े गये अभियुक्त से जीटी रोड के एक थाना में पूछताछ करने गये सीआइडी टीम के अफसर को लौटा दिया गया. सीनियर अफसर अपनी वाहवाही लेने के लिए इनपुट को नजरअंदाज कर एसआइटी चीफ को भी कई बार बरगलाने की कोशिश करते रहे. पुलिस मुख्यालय सीधे एसआइटी चीफ से ही जानकारी ले रहा था. पुलिस हत्याकांड में हो रही कार्रवाई को मीडिया से छुपा रही थी, लेकिन एसआइटी चीफ प्रतिदिन शाम को मीडियाकर्मियों को ब्रीफ कर रहे थे. एसआइटी चीफ के निर्देश पर पुलिस कार्रवाई कर रही थी. लेकिन उसे बताने में देर करती. एसआइटी चीफ इससे काफी नाराज थे. सीआइडी टीम ने एसआइटी चीफ को पुलिस के एक सीनियर अफसर की कार्यशैली से अवगत कराया था.
जांच शुरू : आम हाथों में कैसे पहुंचे प्रतिबंधित विदेशी हथियार
धनबाद. सिंह मैंशन के करीबी लोगों के पास से अत्याधुनिक व प्रतिबंधित विदेशी हथियारों की बरामदगी ने पुलिस को सकते में डाल दिया है. ये हथियार इनके पास कैसे और किस माध्यम से आये, धनबाद पुलिस इसकी जांच में जुट गयी है. जिन लोगों के पास से ये हथियार बरामद किये हैं, उनसे जीटी रोड पर स्थित एक थाने में रखकर पूछताछ की जा रही है. पूर्व डिप्टी मेयर नीरज सिंह हत्याकांड की जांच में जुटी पुलिस को यह सफलता कुछ आरोपियों की गिरफ्तारी के साथ हाथ लगी. जांच टीम ने बेल्जियम में बनी नाइन एमएम की प्रतिबंधित रेगुलर पिस्टल व यूएसए मेड वेबली स्कॉट रिवाल्वर के साथ 7.62 व नाइन एमएम की लगभग 30 गोलियां भी बरामद की. पुलिस ने अशोक महतो के घर से हथियार व गोलियां बरामद कीं. अशोक ने पुलिस को बताया कि उसे हथियार मोनू ने दिया था. पुलिस मोनू को पकड़ी तो उसने पुलिस को बताया कि उसे प्रशांत ने रखने को दिया था. प्रशांत को भी दबोच लिया गया है. पुलिस नीरज हत्याकांड के आरोपियों के साथ-साथ हथियार के संबंध में भी जानकारी जुटा रही है. जांच के बाद ही पता चल पायेगा कि हथियार का कहां व कब उपयोग हुआ. साथ ही ये हथियार कहां से आये. नीरज की हत्या में प्रयुक्त नाइन एमएम की गोली का खोखा व आज बरामद हथियार की फॉरेंसिक जांच होगी. नाइन एमएम की पिस्टल पुलिस के लिए ही देश में उपलब्ध है. ऐसे लोगों को यह हथियार किसने आपूर्ति की, इसका पता लगाया जा रहा है. यह पिस्टल आम लोगों के लिए प्रतिबंधित है. पुलिस को पूर्व में ही सूचना थी कि मैंशन व दबंग घराने से जुड़े लोगों के पास अवैध हथियार हैं. पुलिस संबंधित लोगों के पास से हथियार पकड़ नहीं पा रही थी.
मोबाइल लोकेशन बना माध्यम
धनबाद. पुलिस छानबीन में जैनेंद्र सिंह उर्फ पिंटू का मोबाइल लोकेशन 21 मार्च को स्टील गेट के आसपास मिला था. नीरज की हत्या के दिन पिंटू यहीं था. हत्या मामले में पिंटू भी नामजद है. मामले में नन एफआइआर अभियुक्त धनजी सिंह व संजय की संलिप्तता का भी आधार पुलिस के पास है. हत्या के बाद संजय पैतृक गांव भाग गया था. पुलिस उसे खोज रही थी. खुद की बजाय वह सरेंडर के लिए माध्यम से संपर्क किया था. पुलिस गांव जाकर संजय को दबोची. धनजी का लोकेशन भी हत्या के समय स्टील गेट बताया जा रहा है. तीनों विधायक से जुड़े हुए हैं. हत्या का आरोप विधायक पर भी है. अभी तक के टेक्निकल साक्ष्य व परिस्थितिजन्य साक्ष्य इन लोगों के खिलाफ हैं.
पुलिस छानबीन में सामने आया है कि मैंशन से जुड़े डब्लू मिश्रा ने ही शूटरों को कुसुम बिहार में अह्लाद राय के मकान में ठहराया था. पुलिस को डबलू का फोटो भी मिल गया है. झरिया में एक सिनेमा हॉल में फायरिंग में वह आरोपित है. पहले झरिया में रहता था. अभी सरायढेला थाना क्षेत्र के नूतनडीह में मकान है. डब्लू ज्यादा बिहार में ही रहता है. पुलिस बिहार के समस्तीपुर समेत अन्य जगहों पर छापामारी की, लेकिन डबलू गिरफ्त में नहीं आ सका है. किराये के मकान में ठहरने वाला कथित शूटर भी पुलिस गिरफ्त से दूर है.

बगैर शूटर व उसे लाने वालों की गिरफ्त में आये पुलिस हत्या से जुड़े लोगों तक ठोस साक्ष्य के साथ नहीं पहुंच सकती है. मोबाइल लोकेशन व बातचीत को आधार बना पुलिस अभी तक संजय, पिंटू व धनजी को पकड़ी है. संजय पर अपने भाई रंजय की हत्या का प्रतिशोध लेने का आरोप लगाया जा रहा है. अगर रंजय की हत्या के प्रतिशोध का परिणाम नीरज हत्याकांड है तो रंजय का हत्यारा व षडयंत्रकारी कौन है? वैसे पुलिस टेक्नीकल अनुसंधान को साक्ष्य बना सकती है.

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