सी-फॉर्म पर खरीदा डीजल = 200 करोड़ का नुकसान

आउटसोर्सिंग कंपनी मेसर्स धनसार इंजीनियरिंग (डेको), हिल टॉप व बीजीआर का कारनामा. तीनों कंपनियों ने सी-फॉर्म पर खरीदे 1000 करोड़ रुपये के डीजल बिना अंडरटेकिंग के एरिया फाइनेंस अधिकारी ने पास कर दिये बिल धनबाद से डीजल खरीदारी करने पर अंडरटेकिंग देने का है प्रावधान मनोहर कुमार धनबाद : बीसीसीएल में कार्यरत आउटसोर्सिंग कंपनियों द्वारा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 19, 2017 8:47 AM
आउटसोर्सिंग कंपनी मेसर्स धनसार इंजीनियरिंग (डेको), हिल टॉप व बीजीआर का कारनामा. तीनों कंपनियों ने सी-फॉर्म पर खरीदे 1000 करोड़ रुपये के डीजल
बिना अंडरटेकिंग के एरिया फाइनेंस अधिकारी ने पास कर दिये बिल
धनबाद से डीजल खरीदारी करने पर अंडरटेकिंग देने का है प्रावधान
मनोहर कुमार
धनबाद : बीसीसीएल में कार्यरत आउटसोर्सिंग कंपनियों द्वारा सी-फॉर्म के जरिये पश्चिम बंगाल के पेट्रोल पंपों से डीजल की खरीद करने और धनबाद के पेट्रोल पंपों से डीजल का रेट सर्टिफिकेट लेकर जमा कर बिल उठाने के कारण झारखंड सरकार को करीब 200 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. एनआइटी की शर्त के मुताबिक आउटसोर्सिंग कंपनियों को अपने साइडिंग के पास वाले पेट्रोल पंप से ही डीजल की खरीदारी करनी है. फिर इसका रेट सर्टिफिकेट जमा करना है, जिसके बाद बीसीसीएल द्वारा आउटसोर्सिंग कंपनियों को डीजल के बिल का भुगतान किया जाता है.
आउटसोर्सिंग कंपनी मेसर्स धनसार इंजीनियरिंग (डेको), मेसर्स हिल टॉप व मेसर्स बीजीआर ने डीजल की खरीदारी झारखंड व धनबाद के पेट्रोल पंपों से करने के बजाय सी-फॉर्म के जरिये पश्चिम बंगाल के पेट्रोल पंपों से की. इसके बाद इन आउटसोर्सिंग कंपनियों ने धनबाद के पेट्रोल पंपों से डीजल का रेट सर्टिफिकेट लेकर जमा कर दिया और डीजल का बिल उठाया. इससे राज्य सरकार को करीब 200 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. इस मामले में सेल्स टैक्स के अधिकारियों की भूमिका पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं.
1000 करोड़ रुपये के डीजल की खरीदारी सी-फॉर्म पर : सूत्रों के मुताबिक डेको, मेसर्स हिल टॉप व मेसर्स बीजीआर ने पिछले पांच वर्षों के दौरान करीब 1000 करोड़ रुपये के डीजल की खरीदारी झारखंड व धनबाद के पेट्रोल पंपों से करने के बजाय सी-फॉर्म जरिये पश्चिम बंगाल के पेट्रोल पंपों से की है. इसका इस्तेमाल भी बीसीसीएल के कार्यों में किया गया है.
सीबीआइ जांच को सुप्रीम कोर्ट में याचिका जल्द : सूत्रों की माने तो सी-फॉर्म पर डीजल की खरीदारी करने वाली आउटसोर्सिंग कंपनियों के बैलेंस शीट की जांच सीबीआइ से कराने को लेकर जल्द ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की जा सकती है, ताकि गड़बड़ी का खुलासा हो सके. कारण बैलेंस शीट में आउटसोर्सिंग कंपनियों द्वारा सी-फॉर्म पर पश्चिम बंगाल से डीजल खरीदारी में हुए खर्च का सही विवरण दिया गया है, जबकि लोकल पंप से बनाये गये डीजल खरीदारी के फरजी बिल बीसीसीएल में जमा कर भुगतान उठाया जाता है. चूंकि सेल्स टैक्स विभाग राज्य के वित्त मंत्रालय के अधीन है, इसलिए झारखंड के वित्त मंत्री, बीसीसीएल के सीएमडी व निदेशक (वित्त) के साथ-साथ वाणिज्य कर आयुक्त को याचिका में पार्टी बनाया जा सकता है.
200 करोड़ का नुकसान कैसे?
सूत्रों के मुताबिक डेको, मेसर्स हिल टॉप व मेसर्स बीजीआर ने सी-फॉर्म का इस्तेमाल कर क्रमश: 500, 300 व 200 करोड़ रुपये के डीजल की खरीदारी की है. डीजल की खरीदारी पर 22 प्रतिशत का टैक्स लगता, मगर सी-फॉर्म का इस्तेमाल पर 22 प्रतिशत की जगह दो प्रतिशत टैक्स पर डीजल की खरीदारी हुई है. इससे सेल्स टैक्स को 20 प्रतिशत यानी 1000 करोड़ के डीजल खरीदारी में 200 करोड़ रुपये के टैक्स मिलते, जिसका सीधे तौर पर नुकसान हुआ है. दूसरी तरफ तीनों आउटसोर्सिंग कंपनियों द्वारा दो प्रतिशत टैक्स देकर खरीदे गये डीजल का 22 प्रतिशत अधिक टैक्स का पैसा दिखा कर लोकल मार्केट रेट पर बीसीसीएल से डीजल का बिल उठाया गया है.
बिना अंडरटेकिंग पास हुआ डीजल का बिल
बीसीसीएल में प्रावधान है कि किसी भी आउटसोर्सिंग कंपनी के डीजल के बिल का भुगतान करने से पूर्व एरिया वित्त प्रबंधन की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह वर्क वाइज कंट्रैक्टर से अंडरटेकिंग ले ले, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि कंट्रैक्टर द्वारा की गयी डीजल की खरीदारी एनआइटी के प्रावधान के मुताबिक लोकल पंपों से ही की गयी है, लेकिन एरिया वित्त प्रबंधन द्वारा अंडरटेकिंग नहीं लेकर आउटसोर्सिंग कंपनियों को लूट की छूट दी गयी.

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