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अनुच्छेद 370 से देश के लोगों में भेदभाव

जम्मू-कश्मीर, विधिक एवं संवैधानिक स्थिति विषय पर आयोजित संगाेष्ठी में वक्ताओं ने कहा कि अनुच्छेद 370 की आड़ में राजनीतिक धोखाधड़ी और संवैधानिक दुरुपयोग हो रहा है. इस अनुच्छेद ने देश के लोगों के बीच भेदभाव उत्पन्न कर दिया है. यह अनुच्छेद जम्मू-कश्मीर के लोगों के भी खिलाफ है. देशवासियों में इसे लेकर जागरूकता की […]

जम्मू-कश्मीर, विधिक एवं संवैधानिक स्थिति विषय पर आयोजित संगाेष्ठी में वक्ताओं ने कहा कि अनुच्छेद 370 की आड़ में राजनीतिक धोखाधड़ी और संवैधानिक दुरुपयोग हो रहा है. इस अनुच्छेद ने देश के लोगों के बीच भेदभाव उत्पन्न कर दिया है. यह अनुच्छेद जम्मू-कश्मीर के लोगों के भी खिलाफ है. देशवासियों में इसे लेकर जागरूकता की जरूरत है.
धनसार : अनुच्छेद 370 ने देश के लोगों के बीच भेदभाव उत्पन्न किया है. देश में दो तरह के लोग हो गये हैं. एक भारत के वे नागरिक जो जम्मू-कश्मीर के स्थायी निवासी हैं और दूसरे भारत के वे नागरिक हैं जो जम्मू-कश्मीर के स्थायी निवासी नहीं हैं. आश्चर्य की बात यह है कि वह भी उस अनुच्छेद 35 ए (35 ए कैपिटल) के अंतर्गत जिसे आज तक संविधान के मुख्य भाग में जोड़ा नहीं गया और यह अधिकांश लोगों को मालूम नहीं है. उक्त बातें जम्मू-कश्मीर मामलाें के विशेषज्ञ रवींदर कुमार रायजादा ने कही. वह रविवार को इंडस्ट्रीज एंड कॉमर्स एसोसिएशन के सभागार में जम्मू कश्मीर, विधिक एवं संवैधानिक स्थिति विषय पर आयोजित संगाेष्ठी को बतौर मुख्य वक्ता संबोधित कर रहे थे.
जम्मू कश्मीर स्टडी सेंटर, धनबाद चैप्टर की ओर से आयोजित इस संगोष्ठी की शुरुआत स्वागत गान से हुई. कार्यक्रम की अध्यक्षता मेयर चंद्रशेखर अग्रवाल ने की. श्री रायजादा ने कहा कि देश में इस विषय पर चर्चा होनी चाहिए क्या अनुच्छेद 370 के तहत संसद की शक्ति को भारतीय संविधान में साधारण प्रशासनिक शोधनों से नये अनुच्छेद डाले जा सकते हैं.
उन्होंने कहा : आज इस पर बहस की जरूरत है कि अनुच्छेद 368 से संसद की शक्ति को प्रतिबंधित कर दिया गया. संविधान में संशोधन कर जम्मू-कश्मीर के लिए 368 के साथ एक अंध शर्त जोड़ दी गयी. उसमें कहा कि कोई संशोधन जम्मू-कश्मीर राज्य के संबंध में तभी प्रभावी होगा जब वह अनुच्छेद 370 के खंड एक के अधीन राष्ट्रपति के आदेश द्वारा लागू किया गया हो. कहा कि वास्तव में अनुच्छेद 370 ने संविधान की मूल भावना को सीमित किया है.
जम्मू-कश्मीर स्टडी सेंटर केंद्रीय कार्यालय नई दिल्ली से आये विशेषज्ञ सह लेखक रंजन चौहान कहा कि वास्तव में अनुच्छेद 370 की आड़ में राजनीतिक धोखाधड़ी हुई है. देश में इसका संवैधानिक दुरुपयोग हुआ है. इस कारण 1करोड़ 20 लाख लोग पीड़ित हैं तथा 125 करोड़ लोगों के अंदर भेदभाव पैदा कर दिया गया है. कहा कि सारे देश में प्रबुद्ध लोगों में जागृति लाकर अनुच्छेद 370 के संबंध में एकमत बनाने की जरूरत है. जम्मू-कश्मीर के अंदर भारतीय संविधान का 130 अनुच्छेद लागू नहीं है, लेकिन जो 262 अनुच्छेद लागू है उनमें भी 100 अनुच्छेदों में महत्वपूर्ण परिवर्तन कर दिये गये हैं. इन्हें समझने की जरूरत है.
श्री चौहान ने कहा कि अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35 (ए) राष्ट्रीय एकता के खिलाफ और दरअसल अलगाववाद के वाहक है. जब तक अलगाव के ये वाहक रहेंगे, तब तक जम्मू-कश्मीर में अमन की बहाली नहीं हो पाएगी तथा हालात नहीं सुधरेंगे. उन्होंने देश के नागरिकों से अपील की कि अब हमें जम्मू कश्मीर बचाओ के नारे को बदलकर जम्मू-कश्मीर को अपनाओ का व्यवहार करना होगा. हमे समझने की जरूरत है कि जम्मू-कश्मीर का मुद्दा भारतीय अखंडता के साथ जुड़ा है. यह न तो दलगत राजनीति का हिस्सा है न ही हिंदू-मुसलिम समस्या.
ये थे उपस्थित
वरिष्ठ पत्रकार इंद्रजीत प्रसाद सिंह, वनखंडी मिश्रा, सिम्फर के पूर्व मुख्य विज्ञानी डॉ बीरेंद्र कुमार सिंह के अलावा रांची, जमशेदपुर, दुमका, जामताड़ा, हजारीबाग, बोकारो, गोड्डा, पलामू से 150 प्रतिनिधियों व बुद्धिजीवियों तथा जम्मू-कश्मीर से आये नागरिकों के परिवारों के करीब 12 सदस्यों के अलावा आइएसएम के दर्जनों छात्रों ने भाग लिया. आयोजन को सफल बनाने में जेपी ओझा, रविचिंतामनी, शंकर दयाल ब्रुधिया, कमल कुमार गुप्त, डॉ अनिल राय, विकास कुमार सिंह, राजा सच्चिनानंद सिंह, प्रेम प्रकाश उपाध्याय, राम पुनित चौधरी आदि ने अहम भूमिका निभायी. मंच संचालन इंद्रजीत प्रसाद सिंह और धन्यवाद ज्ञापन डॉ वीके सिंह ने किया.

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