नौकरी ली, बेटे को भी बनाया काबिल

धनबाद: कहते हैं जहां चाह वहां राह. इस बात को सच साबित किया है सीएमपीएफ से बड़ा बाबू के पद से सेवानिवृत्त हुई कमला देवी. कमला देवी का जीवन संघर्ष भरा रहा है. तमाम मुश्किलों को पार करते हुए इन्होंने न सिर्फ समाज में अपनी पहचान बनायी, बल्कि अपने बेटे को ऊंचे मुकाम तक पहुंचाया. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 14, 2017 7:27 AM
धनबाद: कहते हैं जहां चाह वहां राह. इस बात को सच साबित किया है सीएमपीएफ से बड़ा बाबू के पद से सेवानिवृत्त हुई कमला देवी. कमला देवी का जीवन संघर्ष भरा रहा है. तमाम मुश्किलों को पार करते हुए इन्होंने न सिर्फ समाज में अपनी पहचान बनायी, बल्कि अपने बेटे को ऊंचे मुकाम तक पहुंचाया. आइए डालते हैं इनके जीवन सफर पर एक नजर.
कठिन थी जीने की राह : कमला देवी बताती हैं कि बाल्याकाल में उनका विवाह बक्सर निवासी सोमेश्वर प्रसाद के साथ हो गया. उस समय पति पटना सचिवालय में कार्यरत थे. सोलहवें साल में बेटा राजीव का जन्म हुआ. राजीव मात्र दो साल का ही था कि पति का देहांत हो गया. मेरी उम्र कम थी, समझ नहीं आ रहा था क्या करूं. सिर्फ अंधेरा नजर आ रहा था.
परिवार वालों ने दी हिम्मत : इस विकट समय में मेरे परिवारवालों ने साथ दिया. मेरी मां ने मुझे मायका बुला लिया. बड़े भाई रामचंद्र प्रसाद जो माडा में कार्यरत थे ने मेरी हिम्मत बंधाई और मुझे पढ़ाना शुरू किया. मैं अपने बच्चे के साथ पढ़ने लगी. फिर आगे पढ़ती गयी. मैट्रिक की परीक्षा पास की. 1968 में सीएमपीएफ में अस्थायी तौर पर बहाल हुई. 1971 में स्थायी नौकरी हुई.
पहला वेतन पा फूले न समाई : मुझे पहले वेतन के रूप में 68 रुपया मिला था. मैंने 108 रूपया में ज्वाइन किया था. चूंकि ज्वाइनिंग माह के बीच में हुई थी इस लिए 68 रुपया मिला था. इतने पैसे एक साथ देख मैं फूली न समाई थी. पहला वेतन अपनी बड़ी भाभी के हाथ पर रखा था.
नौकरी से बंधी हिम्मत: नौकरी में आने के बाद मेरी हिम्मत बंधी. मेरे जीवन का एक ही मकसद था बेटे को समाज में मुकाम दिलाना. मेरे बेटे ने मैट्रिक जिला स्कूल धनबाद से किया. उसके बाद उसे पटना भेज दिया. पटना एएन कॉलेज से ग्रेजुएशन किया. आज एडीएम लॉ एडं ऑर्डर धनबाद के स्टेनोग्राफर हैं. मेरी बहू गीता प्रसाद पोता प्रभात रंजन, पोती अंकिता को पाकर मैं बहुत खुश हूं.
न खोयें आत्मविश्वास : महिलाओं से कहती हैं कि विकट समय में आत्मविश्वास न खोयें. नारी तभी तक कमजोर होती है जब मातृत्व को प्राप्त नहीं करती. मातृत्व प्राप्त करने के बाद वह शक्तिशाली होती है.

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