गांव में चंदा हुआ तब ऑटो पर शव ले गये परिजन

धनबाद : पीएमसीएच में इमरजेंसी के बेड 12 में चार घंटे से पड़ी सलानपुर, कतरास निवासी अशोक रवानी (62) की लाश. बगल में पुत्र राजू बदहवास है. बार-बार नियति को कोस रहा है. गांव से कई लोग पीएमसीएच आये हैं. लाश घर ले जाने के लिए भाड़े भी नहीं है, अस्पताल से लेकर दूसरे लोगों […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 18, 2017 7:15 AM
धनबाद : पीएमसीएच में इमरजेंसी के बेड 12 में चार घंटे से पड़ी सलानपुर, कतरास निवासी अशोक रवानी (62) की लाश. बगल में पुत्र राजू बदहवास है. बार-बार नियति को कोस रहा है. गांव से कई लोग पीएमसीएच आये हैं. लाश घर ले जाने के लिए भाड़े भी नहीं है, अस्पताल से लेकर दूसरे लोगों से विनती की गयी. लेकिन कहीं से सरकारी या निजी गाड़ी नहीं मिली. इसकी सूचना गांव वाले को दी गयी. लगभग छह सौ रुपये चंदा हुआ. गांव का ही एक ऑटो पहुंचा, तब शव को परिजन अपने साथ ले गये. घटना बुधवार की शाम सात बजे की है. अशोक की पत्नी का निधन कुछ वर्ष पहले बीमारी से हो गया. अशोक रिक्शा चलाता था.
चंदा कर हो रहा था इलाज, खरीदी 1550 रुपये की दवा : गांव से आये मददगार संतोष कुमार ने बताया कि मंगलवार की रात लगभग 12 बजे अशोक को पीएमसीएच लाया गया था. लीवर में इंफेक्शन था, बार-बार पेट फूल रहा था. लेकिन यहां कोई भी सीनियर डॉक्टर नहीं थे, जूनियर डॉक्टरों ने दवा लिख दी. लेकिन इलाज के लिए पैसे नहीं होने पर गांव में चंदा किया, तब 1550 रूपये की दवा खरीदी. संतोष ने बताया कि इमरजेंसी में दवा तो दूर स्लाइन चढ़ाने के लिए हाथ पर लगाने वाली पट्टी भी खरीदनी पड़ी. गुरुवार दोपहर तीन बजे अशोक ने दम तोड़ दिया. गांव से आये लोगों ने लाश को बेड से खुद उठाकर स्ट्रेचर पर रखा. इसके बाद ऑटो में चढ़ाया. इस दौरान कोई भी कर्मी इधर झांकने तक नहीं आया. व्यवस्था से गांव वाले काफी खिन्न दिखे, बार-बार सरकार व प्रबंधन को कोसते रहे.
पीएमसीएच के पास अपना शव वाहन नहीं है. एंबुलेंस मरीजों के लिए होता है, शव उसमें नहीं ले जा सकते हैं. इसके कई तकनीकी कारण हैं. यदि मुख्यालय शव वाहन भेजता है, तो उसकी सेवा दी जायेगी. इमरजेंसी में जरूरत की दवाएं दी जा रही हैं.
डॉ के विश्वास, अधीक्षक, पीएमसीएच.

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