धनबाद: नेत्रहीन होकर भी प्रोफेसर बन छात्रों को शिक्षा की राह दिखाने का संकल्प. जी हां! हम बात कर रहे हैं पीके राय कॉलेज से हिंदी से पीजी कर रहे छात्र गिरीश शांडिल्य की. वह न सिर्फ पढ़ाई में ही नहीं, बल्कि संगीत में भी निपुण है.
उसके सपनों को पंख देने के लिए कभी भी सरकार की ओर से कोई सहयोग नहीं मिला. अलबत्ता नि:शक्त होने का सर्टिफिकेट के साथ उसने कल्याण विभाग को कई आवेदन दिया. महुदा मोड़ पिपराटांड़ निवासी पिता लखन कुमार के घर का माहौल पढ़ाई-लिखाई का कभी नहीं रहा. लेकिन बचपन से मेधावी पुत्र गिरीश का मनोबल कभी पिता ने गिरने नहीं दिया. ब्रेल लिपि से इस तरह के बच्चों की पढ़ाई होती है, गिरीश के पिता को मालूम नहीं था.
ऐसे में महुदा के एक निजी स्कूल से गिरीश ने पढ़ाई शुरू की. वहीं से पता चलने पर प्रधानखंता के अंध उच्च विद्यालय में पढ़ाई की. 2008 में सरकारी स्कॉलरशिप के लिए आवेदन भी किया, लेकिन इसका नाम नहीं आया. उसे मलाल है कि परीक्षा में कॉलेज की ओर से यदि उसे अच्छा राइटर दिया जाता तो वह और अच्छे नंबर लाता.