नये कुलपति डॉ. शरण के समक्ष होंगी कई चुनौतियां

धनबाद. विनोबा भावे विश्वविद्यालय, हजारीबाग के नये कुलपति डॉ. रमेश शरण ने 26 मई को अपना पदभार संभाल लिया. उन्होंने ऐसे समय में विवि का पद संभाला है, जबकि विभावि के समक्ष कदम-कदम पर चुनौतियां हैं. सबसे बड़ी चुनौती है विवि का विभाजन. सरकार की घोषणा के अनुसार जल्द ही धनबाद व बोकारो के कॉलेजों […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 27, 2017 7:23 AM
धनबाद. विनोबा भावे विश्वविद्यालय, हजारीबाग के नये कुलपति डॉ. रमेश शरण ने 26 मई को अपना पदभार संभाल लिया. उन्होंने ऐसे समय में विवि का पद संभाला है, जबकि विभावि के समक्ष कदम-कदम पर चुनौतियां हैं. सबसे बड़ी चुनौती है विवि का विभाजन. सरकार की घोषणा के अनुसार जल्द ही धनबाद व बोकारो के कॉलेजों को लेकर धनबाद में बिनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय की स्थापना होनी है. इसके बनने से विभावि की स्ट्रेंथ आधी रह जायेेगी.

जबकि इसके जिम्मे उसके बाद एक भी मेडिकल कॉलेज नहीं बचेगा. वर्तमान में इस विवि के अंतर्गत पाटलीपुत्र मेडिकल कॉलेज धनबाद हैं, जो नये विवि के साथ जुड़ जायेगा. उसके साथ ही सरकार का एकमात्र सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज बीआइटी सिंदरी भी तब तक नये विवि के अंतर्गत संचालित होगा, जब तक रांची का टेक्निकल यूनिवर्सिटी चालू नहीं हो जाता है.

वर्तमान में जहां विभावि के जिम्मे 19 अंगीभूत कॉलेज हैं. वहीं धनबाद में विवि की स्थापना के बाद उसमें से 8 धनबाद के हिस्से आ जायेंगे. वहीं संबद्ध कॉलेज भी आधे रह जायेंगे. कॉलेजों में बिना मेन पावर के लागू सीबीसीएस सिस्टम के कारण कॉलेजों की शैक्षणिक गुणवत्ता प्रभावित है. सरकार का फरमान है कि जहां गैर स्वीकृत पद के कर्मी सेवारत हैं, उन्हें वेतन का भुगतान सरकार नहीं करेगी. दूसरी तरफ सरकार का ही फरमान है कि कॉलेजों मे इनरॉलमेंट बढ़ाना है. वर्तमान कोई भी ऐसा कॉलेज नहीं है, जहां गैर स्वीकृत पद पर 6 से 10 लोग सेवारत न हों. इसमें ज्यादातर शिक्षकेत्तर कर्मचारी हैं. गैर स्वीकृत पद का ही वेतन भुगतान को लेकर सरकार ने यूजीसी नियमावली से हट कर कॉलेजों में ट्रेजरी पेमेंट सिस्टम लागू कर दिया है. ऐसे में गैर स्वीकृत कर्मियों का क्या होगा. यहां अब तक विवि में पीजी विभाग का पद स्वीकृत नहीं है. ऐसे में पीजी की पढ़ाई कैसे संभलेगी. यह एक बड़ी समस्या है. विवि विभाजन के बाद यह समस्या और भी विवि पर हावी हो जायेगी. अंगीभूत कॉलेजों में बीएड केंद्रों का संचालन भी एक बड़ी समस्या बनी हुई है. इन सभी समस्याआें से नये कुलपति को दो चार होना पड़ेगा.

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