12000 का शौचालय बन रहा मात्र 4200 रुपये में
धनबाद: बिना पैन का शौचालय, बिना खिड़की-दरवाजा का सामुदायिक भवन. यही है गोविंदपुर प्रखंड में विकास के नाम पर चल रही लूट योजनाओं का सच. हालत यह है कि हल्की बारिश में ही कई पंचायतों में बने सरकारी टॉयलेट धंसने लगे हैं. क्या है नियम और हो क्या रहा : खुले में शौच से मुक्ति […]
धनबाद: बिना पैन का शौचालय, बिना खिड़की-दरवाजा का सामुदायिक भवन. यही है गोविंदपुर प्रखंड में विकास के नाम पर चल रही लूट योजनाओं का सच. हालत यह है कि हल्की बारिश में ही कई पंचायतों में बने सरकारी टॉयलेट धंसने लगे हैं.
क्या है नियम और हो क्या रहा : खुले में शौच से मुक्ति के लिए पूरे देश में शौचालय का निर्माण हो रहा है. इसके लिए सरकार की ओर से 12 हजार रुपये प्रति शौचालय हर लाभुक को दिया जाना है. लाभुक को खुद निर्माण कराना है. निर्माण पूरा होने के बाद चेक के माध्यम से राशि का भुगतान होना है. लेकिन, गोविंदपुर प्रखंड के उदयपुर, मरिचो, आसनबनी सहित कई पंचायतों में शौचालय निर्माण का काम मुखिया, बिचौलिया करा रहे हैं. इन्हें प्रखंड में तैनात कतिपय अधिकारियों, कर्मियों का संरक्षण प्राप्त है.
लाभुकों को राशि नहीं दी जाती. ठेकेदार ही जैसे-तैसे काम करवा कर पैसा उठा ले रहे हैं. सूत्रों की मानें तो गोविंदपुर प्रखंड में ओडीएफ के तहत बन रहे शौचालय का काम मधुपुर (देवघर) के एक संवेदक को दिया गया है. इस संवेदक के ही मजदूर काम कर रहे हैं. एक शौचालय के लिए संवेदक को 4200 रुपये दिया जाता है. बाकी राशि आपस में बांट ली जाती है. 4200 रुपये में बन रहे अधिकांश शौचालय आधा-अधूरा ही रहते हैं. किसी में दरवाजा नहीं तो किसी में पैन तक नहीं लगाया गया है.
क्रेक होने लगे नवनिर्मित शौचालय
घटिया सामग्री से बन रहे शौचालयों की हालत मॉनसून ब्रेक होने से पहले ही खराब होने लगी है. कई शौचालय क्रेक होने लगे हैं. आसनबनी टू पंचायत में तो कई अधूरे शौचालय धंसने लगे हैं. यहां लगभग 50 शौचालय बनाया गया है. उदयपुर पंचायत में बने शौचालय भी क्रेक हो चुके हैं. अधिकांश लाभुकों का कहना है कि उन लोगों को शौचालय के लिए एक पैसा भी नहीं मिला है. मुखिया व बिचौलिया के आदमी ही आ कर निर्माण कार्य करा कर चले गये.