झारखंड हाइकोर्ट ने सुशील एंड कंपनी को भारत कोकिंग कोल लिमिटेड (बीसीसीएल) द्वारा ब्लैकलिस्टेड करने की चुनौती देनेवाली याचिका पर मंगलवार को सुनवाई की. चीफ जस्टिस एमएस रामचंद्र राव व जस्टिस दीपक रोशन की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के दाैरान प्रार्थी व प्रतिवादी का पक्ष सुना. मामले में सुनवाई पूरी होने के बाद खंडपीठ ने याचिका को स्वीकार कर लिया. बीसीसीएल द्वारा 19 जनवरी 2015 को प्रार्थी को ब्लैकलिस्टेड करने के अपने पूर्व के आदेश को बहाल रखने के आदेश को खंडपीठ ने निरस्त कर दिया. साथ ही बीसीसीएल पर दो लाख रुपये का जुर्माना लगाया. खंडपीठ ने कहा कि बीसीसीएल का 19 जनवरी 2015 का आदेश आधारहीन व तथ्यों से परे है. यह पूरी तरह से पुलिस की प्राथमिकी में लगाये गये आरोप पर आधारित लगता है. बीसीसीएल ने इस मामले में अपने स्तर पर कोई जांच नहीं की, जिससे इस कंपनी को 12 साल तक काली सूची में रहना पड़ा है. इससे पूर्व प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता रूपेश सिंह ने पैरवी की. बताते चलें कि हाइकोर्ट ने बीसीसीएल को सुशील एंड कंपनी को काली सूची से हटाने का निर्देश दिया था. बावजूद उसने 19 जनवरी 2015 को काली सूची से नहीं हटाया. इसे लेकर हाइकोर्ट में सुशील एंड कंपनी ने दुबारा याचिका दायर की. इसके बाद उच्च न्यायालय ने यह आदेश दिया. उच्च न्यायालय ने इस मामले में टिप्पणी की है कि मामले में बीसीसीएल की ओर से 19 जनवरी 2015 को रखा गया तथ्य आधारहीन है. पुलिस की प्राथमिकी में लगाये गये आरोप के आधार पर बीसीसीएल ने कार्रवाई की. मामले में अपने स्तर पर कोई जांच नहीं की. इस वजह से कंपनी 12 सालों तक काली सूची में रही.
वर्ष 2012 में गजलीटांड़ से मुनीडीह वाशरी में ट्रांसपोर्टेशन का मिला था काम :
अधिवक्ता रूपेश सिंह ने बताया कि प्रार्थी सुशील एंड कंपनी को बीसीसीएल ने वर्ष 2012 में गजलीटांड़ से मुनीडीह वाशरी में कोयला ट्रांसपोर्टेशन का काम दिया था. 30 जून 2012 को कंपनी पर अवैध रूप से कोयले का ट्रांसपोर्टेशन व कोयला बेचने का आरोप लगा था. पुलिस की ओर से एक जुलाई 2012 को गोविंदपुर थाना में कांड संख्या-276/2012 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गयी थी. इस आधार पर 19 जुलाई 2012 को बीसीसीएल ने अनिश्चितकाल के लिए सुशील एंड कंपनी को काली सूची में डाल दिया था, जिसे कंपनी ने हाइकोर्ट में चुनौती दी थी. हाइकोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सुशील एंड कंपनी को काली सूची में डालने के संबंध में पुनः आदेश पारित करने का आदेश बीसीसीएल को दिया था. उक्त आदेश के बाद कंपनी ने बीसीसीएल प्रबंधन के समक्ष आवेदन दिया था, लेकिन इस मामले में बीसीसीएल ने पुनः आदेश पारित करते हुए 19 जनवरी 2015 को सुशील एंड कंपनी को ब्लैकलिस्टेड करने के अपने पूर्व के आदेश को बरकरार रखा. प्रार्थी सुशील एंड कंपनी ने याचिका दायर कर आदेश को चुनौती दी थी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है