एसएनएमएमसीएच में रोज डॉग बाइट के शिकार 80 लोगों को दिया जा रहा एंटी रेबीज वैक्सीन

हर साल 28 सितंबर को विश्व रेबीज डे मनाया जाता है. इसका उद्देश्य इस बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक करना है.

By Prabhat Khabar News Desk | September 28, 2024 1:59 AM

वरीय संवाददाता, धनबाद.

हर साल 28 सितंबर को विश्व रेबीज डे मनाया जाता है. इसका मुख्य उद्देश्य इस बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक करना, साथ ही इसके बचाव के उपाय ढूंढ़ना और उन उपायों पर अमल करना है. रेबीज की बीमारी आम तौर पर कुत्ते के काटने से होती है. यह बीमारी पागल जानवर के काटने या खरोंचने से भी फैलती है और केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करती है. कुत्तों के आतंक से लोगों के बचाव की जिम्मेवारी स्थानीय जिला प्रशासन व नगर निगम की है. धनबाद जिले में इन दिनों कुत्तों का आतंक बढ़ा है. हर चौक चौराहे पर कुत्तों का हुजूम जमा रहता है. यह कुत्ते सीधे आने-जाने वालों को अपना शिकार बना रहे हैं. इसकी जानकारी होने के बावजूद नगर निगम की ओर से कुत्तों के आतंक को रोकने के लिए कोई ठोस पहल नहीं की जा रही है.

आठ माह में छह हजार लोगों को दी गयी एंटी रेबीज वैक्सीन :

धनबाद में फिलहाल स्थिति यह है कि जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल शहीद निर्मल महतो मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल (एसएनएमएमसीएच) के एंटी रेबीज केंद्र में हर दिन औसतन 80 लोग वैक्सीन लेने पहुंच रहे हैं. यह आंकड़ा कभी-कभी सौ के पार भी पहुंच जाता है. एसएनएमएमसीएच के एआरटी विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार जनवरी से अगस्त माह तक छह हजार 440 लोग डॉग बाइट का शिकार हुए. सभी लोगों को एआरटी विभाग में एंटी रेबीज वैक्सीन दी गयी. इनमें से तीन हजार से ज्यादा बच्चे व युवा शामिल है.

नगर निगम की कार्रवाई शून्य :

शहर में कुत्तों के आतंक से लोगों को बचाने की जिम्मेवारी नगर निगम की है. इसके लिए निगम में विशेष विभाग संचालित है. कुत्तों को पकड़ने के लिए कर्मचारियों को बहाल किया गया है. कुत्तों को पकड़ने के बाद उन्हें एक से दूसरे स्थान पर लेकर जाने के लिए विशेष वाहन की भी व्यवस्था है. कुत्तों को पकड़ने के बाद उनका बंध्याकरण किया जाता है. हाल के दिनों में नगर निगम की कुत्तों को लेकर की जाने वाली कार्रवाई शिथिल है. यही वजह है कि कुत्तों का आतंक तेजी से बढ़ा है.

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