BCCL में मैनपावर जरूरत से ज्यादा, कई कर्मियों के नौकरी पर गिर सकती है गाज, जानें इसकी बड़ी वजह
बीसीसीएल के वित्तीय वर्ष 2022-23 के मैनपावर बजट ये बात सामने आयी है कि कर्मचारियों की संख्या 7,159 है, जो कि जरूरत से अधिक है. कंपनी का हर माह 53 करोड़ रुपया अतिरिक्त खर्च हो रहा है. ऐसे कर्मियों को वीआरएस देने के अलावा अनुषंगी कंपनियों में तबादला किया जा सकता है
धनबाद: बीसीसीएल अपने यहां कार्यरत सरप्लस मैनपावर कम करने पर विचार कर रहा है. ऐसे कर्मियों को वीआरएस देने के अलावा कोल इंडिया की अनुषंगी कंपनियों में तबादला किया जा सकता है. कंपनी तबादले के लिए कोल इंडिया को पत्र लिखकर आग्रह करेगी. बीसीसीएल की 388वीं बोर्ड मीटिंग में सोमवार को इस पर विचार किया गया.
कोयला भवन में हुई बैठक की अध्यक्षता सीएमडी समीरन दत्ता ने की. बीसीसीएल ने वित्तीय वर्ष 2022-23 के मैनपावर बजट में 7,159 कर्मचारियों को सरप्लस (जरूरत से अधिक) दिखाया है. यानी वर्तमान में स्वीकृत पद से कहीं ज्यादा कर्मी कंपनी में पदस्थापित हैं. इन पर कंपनी का हर माह 53 करोड़ रुपया अतिरिक्त खर्च हो रहा है.
बोर्ड सदस्यों ने सरप्लस मैनपावर को कैसे कम किया जाये, इस पर मंथन किया गया. दरअसल, अंडरग्राउंड माइंस एक के बाद एक बंद हो रही है, जो कंपनी का मैनपावर बढ़ने का मुख्य कारण है. बीसीसीएल के कुछ एरिया में जरूरत से ज्यादा कर्मचारी पदस्थापित हैं, तो कुछ एरिया में जरूरत से काफी कम. लोदना, बस्ताकोला, कुसुंडा व पुटकी-बलिहारी (पीबी) एरिया में सर्वाधिक सरप्लस मैनपावर है, जबकि डब्ल्यूजे एरिया, वाशरी डिवीजन व ब्लॉक-टू एरिया में मैनपावर की कमी बतायी गयी है.
सरप्लस मैनपावर पर हर माह 53 करोड़ रुपया अतिरिक्त खर्च
कोल इंडिया के सामने तबादले का प्रस्ताव रखेगी कंपनी
एनटी-एसटी मेगा प्रोजेक्ट को मंजूरी
प्रोजेक्ट संचालन के लिए 450 करोड़ खर्च कर होगा भूमि अधिग्रहण
तत्काल कोई फैसला नहीं
हालांकि अभी कोई फैसला नहीं हुआ है. कंपनी ऐसा रास्ता तलाश रही है, जो बीसीसीएल व कर्मियों दोनों के हित में हो. याद रहे कि बीसीसीएल ने वित्त वर्ष 2021-22 में करीब 10000 कर्मियों को सरप्लस बताया था. वहीं वित्त वर्ष 2020-21 में 7,387 कर्मी सरप्लस थे. वर्ष 2019-20 में 3000 कर्मी व 2018-19 में करीब 4004 कर्मचारियों को कंपनी ने सरप्लस दिखाया था.
मेगा प्रोजेक्ट से 26 वर्ष में 156 मिलियन टन उत्पादन
बीसीसीएल को आर्थिक रूप से सुदृढ़ बनाने व कोयला उत्पादन में बढ़ोतरी सुनिश्चित करने के लिए बोर्ड ने नॉर्थ तिसरा-साउथ तिसरा (एनटी-एसटी) मेगा प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी. प्रोजेक्ट से अगले 26 वर्षों में 156 मिलियन टन कोयला का उत्पादन होगा. प्रोजेक्ट के संचालन के लिए कंपनी करीब 450 करोड़ खर्च कर जमीन का अधिग्रहण करेगी. संचालन एमडीओ (माइंस डेवलपमेंट एंड ऑपरेशन) मोड में किया जायेगा. इसके लिए बीसीसीएल संबंधित प्रोजेक्ट का रिवाइज प्लान कोल इंडिया को भेजेगी. स्वीकृति मिलने के पश्चात टेंडर निकाला जायेगा.
मिनिमम 12 प्रतिशत रिटर्न की सूरत में ही संचालन
जानकारी के मुताबिक, कम से कम 12 प्रतिशत के रिटर्न मिलने की सूरत में ही मेगा प्रोजेक्ट का संचालन होगा. इसके साथ ही बोर्ड ने चार साल के स्पेयर पार्ट के डिपो एग्रीमेंट से संबंधित प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी. बोर्ड मीटिंग में निदेशक तकनीकी संजय कुमार सिंह, निदेशक (कार्मिक) पीवीकेआरएम राव, कोयला मंत्रालय के प्रोजेक्ट डायरेक्टर आनंदजी प्रसाद, कोल इंडिया के डीटी वी बीरा रेड्डा, स्वतंत्र निदेशक शशि सिंह, नरेंद्र सिंह, आलोक अग्रवाल, एस पंडा व राम कुमार राय आदि उपस्थित थे.
Posted By: Sameer Oraon