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विश्व साइकिल दिवस : साइकिल हमारी जान से है प्यारी

बैटरी चालित साइकिल के साथ-साथ कई गियर की साइकिलों ने भी हमारे घर में अपनी जगह बना ली

By Prabhat Khabar News Desk | June 3, 2024 12:33 AM

परिवहन के परंपरागत साधनों में साइकिल चमत्कार से कम नहीं थी. विदेशी सरजमीं से इसकी शुरुआत हुई, पर धीरे-धीरे इसने हर घर में अपनी जगह बना ली. अब तो साइकिल के रूप में भी समय के साथ-साथ काफी परिवर्तन हुए हैं. बैटरी चालित साइकिल के साथ-साथ कई गियर की साइकिलों ने भी हमारे घर में अपनी जगह बना ली है. साइकिलिंग ना केवल परिवहन के लिए बल्कि स्वास्थ्य के लिए काफी महत्वपूर्ण है. तीन जून को विश्व साइकिल दिवस मनाया जाता है. आइये इस अवसर पर जाने कैसे साइकिल और इसकी सवारी अब भी है हमारे जान से प्यारी.

पहली साइकिल कब बनी :

1817 में जर्मनी में अपने बगीचों में घूमना बैरन कार्ल वॉन ड्रैस ने साइकिल तैयार की थी. इसका नाम उनके नाम पर रखा गया था और इसमें एक स्टीयरिंग व्हील जोड़ा गया, ताकि कोई भी इस पर चल सके.

झारखंड की टीम ने वियतनाम में की साइकिलिंग :

विश्व साइकिल दिवस के अवसर पर रांची के साइक्लोपीडिया ग्रुप के आठ सदस्यों ने साउथ ईस्ट एशिया साइकिलिंग अभियान के तहत वियतनाम में 664 किलोमीटर की यात्रा तय की. इन्होंने 26 मई को हनोई शहर से अभियान शुरू किया था. एक जून को इनकी साइकिल यात्रा पूरी हुई. पांच जून को सभी सदस्य रांची लौटेंगे. इन लोगों ने अपना अभियान 26 मई को हनोई शहर से शुरू किया था. इस अभियान में साइक्लोपीडिया ग्रुप के चंद्रशेखर किंगर, गौतम शाही, विकास सिंह, सौरभ माहेश्वरी, अनिल अग्रवाल, कनिष्क पोद्दार, अंकुर चौधरी एवं अभिजीत चौधरी शामिल हैं.

साइकिल की ट्रिंग-ट्रिंग :

साइकिल के स्वरूप में धीरे-धीरे परिवर्तन होता रहा. करियर, घंटी, लाइट और फुदनों से लकदक साइकिल भी धीरे-धीरे स्मार्ट रूप लेती जा रही है. पर तब सबसे ज्यादा जोर घंटी पर होता था.

कहते हैं चिकित्सक : साइकिलिंग सबसे बेहतर एक्सरसाइज

फिजिशियन सह आइएमए प्रदेश अध्यक्ष डॉ एके सिंह ने कहा कि साइकिलिंग एक तरह की एक्सरसाइज है. इससे दिमाग हैप्पी हार्मोन्स रिलीज होता है और तनाव कम होता है. आप बेहतर महसूस करते हैं. साइकिल चलाने से मेंटल हेल्थ बेहतर रहती है. मांसपेशियां मजबूत बनती हैं. कार्डियोवैस्कुलर हेल्थ के लिए भी साइकिल चलाना लाभदायक है. साइकिल वजन कम करने में मददगार के साथ ही जोड़ों के लिए फायदेमंद होती है. इससे कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल किया जा सकता है.

जब भाई ने 1986 में बकरी बेच खरीदी साइकिल :

सरायढेला, धनबाद के नित्यानंद साव को अपनी साइकिल है जान से प्यारी. श्री साव कहते हैं कि तब वो आइटीआइ में पढ़ाई करते थे और पैदल ही कहीं भी आना-जाना करते थे. इससे उन्हें काफी दिक्कत होती थी. उनकी यह दिक्कत उनके भाई से देखी नहीं गयी. उन्होंने घर की बकरी बेच उसके पैसे से एटलस कंपनी की साइकिल खरीद कर उनको भेंट की. श्री साव आज भी उस साइकिल को जतन से रखे हुए हैं और उसी से कहीं भी आना जाना करते हैं. वह कहते हैं कि नौकरी धनबाद के विभिन्न संस्थानों में की हर जगह साइकिल ही सहारा रहा. वह कहते हैं कि साइकिल सभी को चलाना चाहिए.

साइकिल के बल पर बेटियों ने भरी उड़ान :

राज्य सरकार की तरफ से सरकारी स्कूल के बच्चियों को नि:शुल्क साइकिल देने की योजना के बाद महिलाओं के साक्षरता दर में बढ़ोतरी हुई. कल्याण विभाग द्वारा कक्षा आठ से लेकर 12वीं तक की छात्राओं को साइकिल दी जाती है. इससे उच्च विद्यालय व इंटर की पढ़ाई करने वाली छात्राओं की संख्या बढ़ी. बच्चियों को अपने गांव से दूर-दराज तक जा कर पढ़ाई करने में सहूलियत हो रही है.

सालाना 18 करोड़ का है साइकिल कारोबार :

वैश्वीकरण की दौर में आज भी साइकिल शान की सवारी मानी जाती है. मजदूरों व स्कूली बच्चे ही नहीं आज आमलोग भी अपनी सेहत के लिए साइकिलिंग करते हैं. कोरोना काल के बाद साइकिल का क्रेज काफी बढ़ा है. धनबाद में सालाना 18 करोड़ का कारोबार है. जिले में साइकिल की 50 बड़ी दुकानें हैं, जहां हर दिन पांच लाख का कारोबार होता है. बाजार में साधारण साइकिल की कीमत 4000 रुपये है. जबकि स्पोर्ट्स साइकिल 15000 रुपये तक उपलब्ध है. इलेक्ट्रिक साइकिल 25000 से लेकर 35000 रुपये तक बाजार में मिल रहे हैं. गियर वाली बैटरी साइकिल की कीमत 53000 रुपये है. धनबाद बाजार में इ मोटर्ड एडी कंपनी की एक लाख की साइकिल भी बाजार में उपलब्ध है.

शेयरिंग साइकिल योजना फेल :

2019 में शहर में शेयरिंग साइकिल चलाने की योजना बनायी गयी थी. इसका डीपीआर भी बनाया गया. शहर के प्रमुख चौक पर साइकिल स्टेशन के लिए चिन्हित किया गया. पहले चरण में 100 साइकिल चलाने की योजना थी. लेकिन निगम की उदासीनता के कारण यह योजना ठंडे बस्ते में चली गयी.

साइकिलिंग ने दिलायी पहचान, नौकरी के साथ सम्मान भी

34वें नेशनल गेम्स में साइकिलिंग प्रतियोगिता में कांस्य मेडल जीता था. मेरे पिता कृष्णा राम बीसीसीएल के घनुडीह में नौकरी करते थे और वह इंटर बीसीसीएल में साइकिल प्रतियोगिता में नौ साल तक विजेता रहे. मेरे मेडल जीतने के बाद झारखंड सरकार ने 2021 में पुलिस में नौकरी दी. अभी रांची जिला बल में अपनी सेवा दे रहा हूं. स्वस्थ रहने का सबसे अच्छा तरीका है साइकिल चलाना. इसे अपने प्रोफेशन में भी उतार सकते हैं.

नवीन कुमार राय,

खास झरिया 34वें नेशनल गेम में साइकिलिंग प्रतियोगिता में दो कांस्य पदक जीता हूं. इसके बाद सरकार ने 2021 में झारखंड पुलिस में बहाल कर लिया. अभी रांची खेल गांव अकादमी में साइकिलिंग का कोच हूं. साइकिलिंग सिर्फ खेल नहीं, बल्कि जीवन का अभिन्न हिस्सा है. साइकिलिंग हमें स्वस्थ रखने के साथ पर्यावरण को प्रदूषण मुक्त रखने में मददगार है. मैं अपनी बड़ी बहन को देख कर इस खेल में आया और आज जो भी हूं, इसी खेल की बदौलत हूं.

राम भट्ट,

कपुरिया

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