0-बीआइटी सिंदरी के छात्रों ने बनाया आधुनिक लूनर रोवर ‘रुद्र’

बीआइटी छात्रों ने किया कमाल

By Prabhat Khabar News Desk | May 16, 2024 12:31 AM

इसरो की प्रतियोगिता में देश की 60 हजार प्रतिभागी टीमों में बीआइटी की टीम ने 146वां स्थान पायाबीटेक द्वितीय वर्ष के छात्रों की आदिशक्ति टीम ने किया है निर्माण, निर्माण और कार्यविधि का वीडियो इसरो को भेजा गया

प्रतिनिधि, सिंदरी.

इसरो के वैज्ञानिकों ने 22 जुलाई 2019 को चंद्रयान 2 का सफल प्रक्षेपण कर विश्व में तकनीकी क्रांति लायी थी. चंद्रयान 2 में तीन चरण थे. पहला आर्बिटर, जिसने चंद्रमा की कक्षा में चक्कर लगाया. दूसरा हिस्सा लैंडर, जिसे विक्रम नाम दिया गया, वह चंद्रमा की सतह पर उतरा. लैंडर से रोवर निकला, जिसे प्रज्ञान नाम दिया गया. इसने जानकारियां एकत्रित की. इस रोवर में जिस तकनीक का इस्तेमाल किया गया, उससे भी उच्च तकनीक का प्रयोग कर बीआइटी सिंदरी की आदिशक्ति टीम ने रुद्र नामक एक रोवर का निर्माण किया है. रोवर रुद्र का निर्माण करनेवाली टीम आदिशक्ति में प्रोडक्शन एंड इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग के द्वितीय वर्ष के छात्र सह कप्तान हर्ष भार्गव और साहिल सिंह, सिविल इंजीनियरिंग द्वितीय वर्ष के छात्र सह उपकप्तान निशिकांत मंडल और मनीष कुमार महतो, कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग के द्वितीय वर्ष के छात्र अरमान सिंह और प्रथम वर्ष के छात्र रोशन राज, मैकेनिकल इंजीनियरिंग द्वितीय वर्ष के छात्र आनंद कुमार पासवान और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग द्वितीय वर्ष के छात्र आनंद श्रेष्ठ शामिल हैं. टीम ने रोवर रुद्र के निर्माण की पूरी जानकारी वीडियो रूप में बुधवार को इसरो को भेजी. इसरो में अगस्त 2024 में आयोजित प्रतियोगिता में इसे शामिल किया जायेगा. फिलहाल पृथ्वी के वायुमंडल के अनुसार कार्य कर रहा रोवर : कप्तान हर्ष भार्गव ने बताया कि इसरो चंद्रयान 4 मिशन के लिए पूरे देश से तकनीक इकट्ठा कर रहा है. मिशन के अनुसार, आधुनिक रोवर बिना मानव सहयोग के चंद्रमा से सैंपल की खोज कर उसे पृथ्वी तक लाने में सहयोगी बनेगा. आदिशक्ति टीम भी अपना रोवर प्रस्तुत कर सहयोग कर सकेगी. रोवर के स्वयं कार्य करने में सक्षमता के अलावा अंधेरे में इसके कैमरे के कार्य करने की क्षमता को इस मिशन में विशेष महत्व दिया जा रहा है. हर्ष ने बताया कि यह प्रतियोगिता नवंबर 2023 से जारी है. प्रथम चरण में रोवर निर्माण के लिए 30 पन्नों का प्रपोजल इसरो को सौंपा गया था. दूसरे चरण में बुधवार को निर्माण और कार्यविधि का वीडियो भेजा गया. आधुनिक तकनीक से बनाया गया यह रोवर फिलहाल पृथ्वी के वायुमंडल के अनुसार कार्य करेगा. अगले चरण में इसे चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण बल के अनुसार तैयार कर लिया जायेगा. बीआइटी सिंदरी के लैब में बने हैं रोवर के सभी पार्ट : यह रोवर प्रज्ञान की तरह स्वयं कार्य करता है. रोवर का वजन 40 किलोग्राम से कम रखा गया है. रोबोटिक आर्म द्वारा वजन उठाना, 150 ग्राम के क्यूब को पार करना, 300 ग्राम के क्यूब से बचकर निकलना सहित गड्ढों को पार करना सहित नौ शर्तें शामिल की गयी हैं. प्रोजेक्ट को निर्देशित कर रहे बीआइटी सिंदरी में सीएनसी मशीन एंड रोबोटिक लैब के प्रोफेसर इंचार्ज प्रकाश कुमार ने बताया कि रोवर के सभी पार्ट बीआइटी सिंदरी के लैब में बनाये गये हैं. रोवर लगभग दो केजी तक के वजन को उठाने में सक्षम है. इसकी स्पीड तीन सेमी प्रति सेकंड से अधिक है. बीआइटी सिंदरी के प्रोडक्शन एंड इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग के लैब में ही रोवर के चक्कों का निर्माण किया गया है. एक चक्के का 3डी प्रिंट बनाने में लगभग 40 घंटे का समय लगा.

आदिशक्ति टीम को बधाई.

इसरो की प्रतियोगिता में देश की 60 हजार प्रतिभागी टीमों में बीआइटी की टीम ने 146वां स्थान पाया है. प्रोजेक्ट में बिट्सा इंटरनेशनल और संस्थान ने मदद की है. छात्रों की सफलता रंग लायेगी. उनके कैरियर में यह प्रोजेक्ट मील का पत्थर साबित होगा.

डॉ पंकज राय, निदेशक,

बीआइटी सिंदरी

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