ट्रक चालक को गोली मारने का मामला : डीएसपी मजरूल होदा को सीआइडी ने बताया दोषी
तोपचांची-राजगंज जीटी रोड पुलिस द्वारा ट्रक चालक से वसूली, उसे गोली मारने और फर्जी तरीके से हथियार प्लांट करने के मामले में सीआइडी की ओर से हाइकोर्ट में शपथ पत्र दायर कर दिया गया है.
धनबाद : तोपचांची-राजगंज जीटी रोड पुलिस द्वारा ट्रक चालक से वसूली, उसे गोली मारने और फर्जी तरीके से हथियार प्लांट करने के मामले में सीआइडी की ओर से हाइकोर्ट में शपथ पत्र दायर कर दिया गया है. सीआइडी ने न्यायालय को बताया है कि घटना के दौरान डीएसपी मजरूल होदा खुद मौजूद थे. पूरी घटना उनकी जानकारी में हुई थी. इसलिए पूरे षड्यंत्र में डीएसपी की संलिप्तता से इनकार नहीं किया जा सकता है. पूर्व की जांच में भी सीआइडी ने उन्हें दोषी पाया है. मामले में घटना के बाद पुलिस ने जो हथियार और गोली बरामद होना दिखाया था, वह गोली भी बरामद पिस्टल की नहीं थी. हथियार भी फर्जी तरीके से प्लांट किया गया था. दोषी पाये जाने के बाद ही मामले में उनके खिलाफ मामले में न्यायालय में चार्जशीट दायर किया गया था.
डीएसपी ने हाइकोर्ट में दायर की थी याचिका : उल्लेखनीय है कि धनबाद के राजगंज में पुलिस द्वारा ट्रक चालक से वसूली और उसे गोली मारने के साथ फर्जी तरीके से हथियार प्लांट करने के मामले में आरोपी डीएसपी मजरूल होदा की ओर से हाइकोर्ट में एक याचिका दायर की गयी थी. इसमें उन्होंने खुद को निर्दोष बताया था. उन्होंने खुद पर किये गये चार्जशीट को भी गलत बताया था. उनका तर्क था कि सरकारी पदाधिकारी होने के बावजूद बिना मुकदमा चलाने की अनुमति लिये उनके खिलाफ न्यायालय में चार्जशीट दायर की गयी. उन्होंने यह भी बताया था कि उन्हें धनबाद के तत्कालीन एसएसपी ने अपनी जांच में महज लापरवाही के लिए दोषी पाया था.
तोपचांची थाना में इंस्पेक्टर ने लगा ली थी फांसी : 14 जून 2016 को हरिहरपुर थाना प्रभारी संतोष रजक ने चमड़ा लदे ट्रक के चालक को राजगंज में गोली मार दिये जाने के बाद तोपचांची थाना में प्राथमिकी दर्ज करवायी गयी थी. इंस्पेक्टर-सह-थानेदार उमेश कच्छप को जांच अधिकारी बनाया गया था. डीएसपी से लेकर हरिहरपुर थानेदार संतोष रजक सहित पूरा गश्ती दल जांच के घेरे में था. आइओ बनने के बाद इंस्पेक्टर काफी दबाव में थे.
बताया जा रहा है कि तत्कालीन एसएसपी सुरेंद्र झा का इंस्पेक्टर पर दबाव था. 18 जून को उमेश कच्छप ने थाने में ही फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी. उनका शव थाना परिसर स्थित आवास में छत की कुंडी से लटकता मिला था. मामला झारखंड के अलावा यूपी तक सुर्खियों में था. इसी मामले के बाद एसएसपी सुरेंद्र झा का स्थानांतरण हो गया था.
13 जून 2016 की है घटना : पुलिस ने गढ़ी थी झूठी कहानी : धनबाद के तोपचांची थाना क्षेत्र में 13 जून 2016 को बाघमारा के तत्कालीन डीएसपी मजरूल होदा, तत्कालीन थाना थानेदार द्वारा चेकिंग लगायी गयी थी. इस बीच वहां चमड़ा लदा ट्रक लेकर चालक मो नाजिम वहां पहुंचा. ट्रक रोकने के प्रयास के दौरान चालक तेज रफ्तार में ट्रक लेकर भागने लगा. उसके बाद पुलिस ने उसे गोली मार दी थी. लेकिन, पुलिस ने पूरे मामले में अलग कहानी बनायी थी. पुलिस ने तब तर्क दिया था कि ट्रक चालक व अन्य लोगों ने मिलकर पुलिस पर फायरिंग की थी. घटनास्थल से एक पिस्टल और गोली का खोखा भी बरामद होना दिखाया गया था.
post by : Pritish Sahay