इसीएल के चापापुर ओसीपी (आउटसोर्सिंग) में पिछले चार दिनों से आंदोलन से उत्पादन व ट्रांसपोर्टिंग ठप है. शुक्रवार को ओसीपी में वर्चस्व को लेकर मासस से जुड़ी बीसीकेयू व एटक समर्थकों के बीच नोकझोंक व धक्का-मुक्की हो गयी. अधिकारियों व पुलिस के हस्तक्षेप से माहौल बिगड़ने से बच गया. घटना के बाद दोनों संगठनों के बीच तनाव व्याप्त है. एटक की बंदी का बीसीकेयू ने किया विरोध, तो बढ़ा विवाद : बीसीकेयू ने स्थानीय 30 लोगों को आउटसोर्सिंग में नियोजन देने की मांग को लेकर बुधवार को प्रदर्शन कर काम रोक दिया था. गुरुवार को प्रबंधन से वार्ता के बाद आंदोलन समाप्त हो गया. उसके बाद एटक से जुड़े भाजयुमो के ग्रामीण जिलाध्यक्ष बांपी चक्रवर्ती व भाजपा नेता मधुरेंद्र गोस्वामी के नेतृत्व में ओसीपी में कार्यरत मजदूरों ने गुरुवार को कार्यालय के समक्ष प्रदर्शन किया. वार्ता भी हुई. दोनों नेताओं ने कहा कि जब मजदूरों ने ओसीपी का कामकाज बंद नहीं किया, तो उनकी हाजिरी नहीं कटनी चाहिए. इधर, प्रबंधन ने नो वर्क नो पे का बोर्ड लगा दिया है. प्रबंधन के लोगों ने कहा कि अगर मजदूर काम करने के लिए तैयार थे, तो उन्हें काम करना चाहिए था.यह जवाब सुन कर कंपनी का काम मजदूरों ने ठप करा दिया. इससे शुक्रवार को भी कंपनी का काम बंद रहा. इधर, शुक्रवार को बीसीकेयू से जुड़े मुखिया सुखलाल मरांडी, पूर्व मुखिया पिंटू बाउरी, मिहीलाल हेंब्रम ग्रामीणों के साथ ओसीपी पहुंचे. उन लोगों ने कहा कि दो दिनों से डीओ धारकों के ट्रकों पर कोयला लोडिंग नहीं हो रही है. इससे डीओ लैप्स कर जा रहा है. लोडिंग मजदूरों की रोजी-रोटी प्रभावित हो रही है. ओसीपी के मुख्य द्वार पर भाजपा का झंडा हटाने की बात उन लोगों ने कही. इसी बात को लेकर विवाद हो गया और दोनों तरफ से धक्का-मुक्की हुई. घटना की जानकारी नहीं : प्रबंधन चापापुर ओसीपी के अधिकारी विनोद सिंह का कहना है कि क्षेत्र के जितने ओसीपी संचालित हैं, उसमें सबसे ज्यादा सुविधाएं चापापुर ओसीपी में मजदूरों को दी जा रही है. नोकझोंक की जानकारी उन्हें नहीं है. वरीय अधिकारी के आने के बाद इस पर बात होगी.
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