चालू वित्तीय वर्ष 2024-25 के अप्रैल से अगस्त अवधि के दौरान कोयला के आयात में 2.2 प्रतिशत की मामूली वृद्धि हुई, जो पिछले वर्ष के 108.81 मीट्रिक टन की तुलना में 111.20 मिलियन टन तक पहुंच गया. हालांकि गैर-विनियमित क्षेत्र में पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में अप्रैल-अगस्त 2024 के दौरान 10.3 प्रतिशत की गिरावट आयी है. जानकारी के मुताबिक अप्रैल से सितंबर 2024 तक कोयला-आधारित बिजली उत्पादन में पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 4.97 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि के बावजूद, मिश्रण उद्देश्यों के लिए आयात पिछले वर्ष की तुलना में घटकर 9.79 मिलियन टन हो गया, जो इसी अवधि के दौरान 10.70 मीट्रिक टन था, जो 8.5 प्रतिशत की गिरावट दर्शाता है. जानकारी के मुताबिक यह गिरावट कोयला उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करने और आयात पर निर्भरता कम करने के लिए भारत की दृढ़ प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है.
बिजली क्षेत्र के लिए कोयला :
बिजली क्षेत्र के लिए कोयले के आयात में वृद्धि का श्रेय आयातित कोयला-आधारित बिजली संयंत्रों द्वारा कोयले के आयात को दिया जाता है. यानी इस अवधि के दौरान 26.14 मीट्रिक टन, जो पिछले वर्ष की इसी समय सीमा में 17.07 मीट्रिक टन से 53.1 प्रतिशत की वृद्धि पर पहुंच गया. इसके अलावा, अप्रैल-सितंबर 2024 की अवधि के दौरान कोयला उत्पादन में वृद्धि हुई है. जो वित्त वर्ष 2023-24 की इसी अवधि में 428.21 मीट्रिक टन की तुलना में 453 मीट्रिक टन तक पहुंच गया. जो करीब 5.79 प्रतिशत की वृद्धि है. हालांकि मूल्य के संदर्भ में अप्रैल-अगस्त 2024-25 के दौरान कुल आयातित कोयले की कीमत 120,532.21 करोड़ रुपये है, जबकि पिछले वर्ष (2023-24) इसी अवधि के दौरान कुल आयातित कोयले की कीमत 133,461.65 करोड़ रुपये थी. इसके फलस्वरूप 12,929.44 करोड़ रुपये की बचत हुई है, जो पिछले वर्ष की तुलना में मूल्य के लिहाज़ से लगभग 9.69 प्रतिशत की बचत है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है