Dhanbad News:गुरु के बताये मार्ग पर चलने से ही मिलती है मंजिल : धनंजयानंद

Dhanbad News: बरवाअड्डा के कल्याणपुर स्थित संयासी बागान दुर्गा मंदिर परिसर में आयोजित रामचरित मानस पाठ व गीता ज्ञान यज्ञ का समापन शनिवार को हुआ.

By Prabhat Khabar News Desk | December 29, 2024 1:55 AM

Dhanbad News: बरवाअड्डा के कल्याणपुर स्थित संयासी बागान दुर्गा मंदिर परिसर में आयोजित रामचरित मानस पाठ व गीता ज्ञान यज्ञ का समापन शनिवार को हुआ. अंतिम दिन कथा का उद्घाटन सांसद ढुलू महतो ने किया. प्रवचन में धनंजयानंद जी महाराज ने कहा कि गुरु नर रूप में श्रीहरि होते हैं. गुरु हमेशा अपने शिष्यों को उठो, जागो और लक्ष्य की प्राप्ति करो का ज्ञान देते हैं. गुरु के बताये मार्ग पर चलने से ही मंजिल मिलती है. अर्जुन के साथ सारथी के रूप भगवान श्रीकृष्ण स्वयं खड़े रहते थे. इसके बाद भी भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को गुरु की शरण में जाने के लिए प्रेरित करते रहते थे. ईश्वर की प्राप्ति के लिए तत्वदर्शी गुरु के सानिध्य में मनुष्य को जाना ही पड़ता है. मीराबाई, नामदेव धन्ना जाट आदि भक्त भी गुरु की शरण में गये और ब्रह्म ज्ञान प्राप्त कर भगवान का दर्शन किये. अमृता भारती जी ने कहा कि दिव्य ज्योति जागृति संस्थान का एक ही नारा है. मानव में क्रांति व विश्व में शांति लाना. प्रभु की आरती से कथा का समापन हुआ. आयोजन में कल्याणपुर, उदयपुर, बांगलाटांड़ व बड़ा पिछरी के ग्रामीणों का योगदान रहा.

धर्म के प्रति निष्ठा ही कल्याण का मार्ग : सुरेंद्र हरिदास

गोविंदपुर ऊपर बाजार दुर्गा मंदिर परिसर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के छठे दिन शनिवार को कथा वाचक सुरेंद्र हरिदास जी महाराज ने प्रवचन में कहा कि यदि हम सच्चे मन व श्रद्धा से पूजा करते हैं, तो भगवान स्वयं चलकर हमारे पास आते हैं. धर्म के प्रति निष्ठा ही कल्याण का मार्ग है. उन्होंने कहा कि सनातनियों को अपने शास्त्रों, पूर्वजों व संस्कृति पर गर्व करना चाहिए. इसे अपने जीवन में आत्मसात करना चाहिए. सत्संग वह माध्यम है, जो मानव के भीतर छिपे विवेक को जागृत करता है. सत्संग के प्रभाव से मनुष्य सत्य और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा पाता है. धर्म हमें समाज और मानवता के प्रति हमारी जिम्मेदारियों को निभाने का संदेश देता है. उन्होंने भगवा कृष्ण की माखन चोरी, बाल लीला, कालिया नाग मर्दन, गोपी वस्त्र चीर हरण लीला व गोवर्धन पूजा का प्रसंग सुनाया. कथा को सफल बनाने में प्रदीप बंसल, कांता बंसल, संजय अग्रवाल, अनिता अग्रवाल, शरद अग्रवाल, गोपाल अग्रवाल, राम अग्रवाल, सुभाष मित्तल, अंजनी शर्मा, कृष्णा पंडित, राजेश अग्रवाल, सुरेश विश्वकर्मा, पवन लोधा, शंकर अग्रवाल, ऋषिपाल अग्रवाल, गोपाल अग्रवाल, बबलू विश्वकर्मा, पंकज भगत, सुलेखा देवी, सत्यनारायण साव, स्वप्न कुमार चंद्र, रोहित अग्रवाल, शरत दुदानी, निरंजन अग्रवाल, अनूप सरिया, सुनील सरिया, सुरेश सरिया, प्रदीप अग्रवाल, प्रदीप साव, धनंजय सिंह ,सुरेश भगत, भोला गुप्ता, विवेकानंद पांडेय, संतोष पाठक, नारायण चंद्र सेन, गौर दास, संदीप विश्वकर्मा, शिशिर भगत भगत, दीपक पांडेय, अशोक गुप्ता, मोहन बंसल, प्रकाश विश्वकर्मा आदि सक्रिय हैं.

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