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धनबाद सदर अस्पताल : इएनटी में डॉक्टर नहीं, पर लाखों से बन रहा साइलेंस रूम

हाल-ए-स्वास्थ्य व्यवस्था. गैरजरूरी कार्यों पर पैसे खर्च का रहा है विभाग, जिन विभागों में हैं चिकित्सक, वहां मरीजों को नहीं मिल रहीं सुविधाएं, कान, नाक और गले के चिकित्सक से ले रहे मेडिकल ऑफिसर का काम

धनबाद के कोर्ट रोड स्थित सदर अस्पताल में गजब की व्यवस्था चल रही है. मामला दवा की कमी, अत्यधिक बेड या इलाज के बिना मरीज को लौटाने का हो, आये दिन सदर अस्पताल चर्चा में रहता है. इस बार इएनटी यानी कान, नाक और गले का विभाग चर्चा में है. अस्पताल में इएनटी का इलाज उपलब्ध नहीं है. कारण यहां एक भी चिकित्सक नियुक्त नहीं हैं. बावजूद लाखों खर्च कर ओपीडी में साइलेंस रूम का निर्माण कराया जा रहा है. वहीं दूसरे विभाग, जहां पहले से ही चिकित्सक मौजूद हैं, वहां संसाधन के अभाव में मरीज बेहतर चिकित्सा सुविधा से वंचित हैं. बताते चलें कि जिला स्वास्थ्य विभाग अंतर्गत बलियापुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में इएनटी चिकित्सक जेके चौरसिया की नियुक्ति है. हालांकि इस विशेषज्ञ चिकित्सक से मेडिकल ऑफिसर का काम लिया जा रहा है. यानी विशेषज्ञ चिकित्सक बलियापुर सीएचसी में सर्दी, खांसी, बुखार के मरीजों को चिकित्सकीय परामर्श दे रहे हैं.

इएनटी संबंधी समस्याओं के उपचार के लिए होता है साइलेंस रूम :

इएनटी साइलेंस रूम एक विशेष कमरा है, जो कान, नाक और गले (इएनटी) संबंधी समस्याओं के निदान और उपचार के लिए डिजाइन किया जाता है. इस कमरे में विशेष उपकरण और तकनीक का उपयोग किया जाता है, ताकि इएनटी संबंधी समस्याओं का सटीक निदान और उपचार किया जा सके. साइलेंस रूम में ऑडियो मीटर लगे होते हैं. यह उपकरण कान की सुनने की क्षमता को मापने के लिए उपयोग किया जाता है. वहीं टिनिटस की समस्या में कान में बजती हुई आवाज को मापने के लिए उपयोग किया जाता है. इस रूम में नाक और गले के अंदरूनी हिस्सों को देखने के लिए एंडोस्कोपी की मशीन भी लगी होती है.

इन मशीनों पर पैसे खर्च होते, तो मरीजों को मिलता लाभ

एक्स-रे : मेडिसिन विभाग में रोजाना 400 से ज्यादा मरीज इलाज कराने पहुंचते हैं. टीबी की शिकायत लेकर भी मरीज पहुंचते हैं. जबकि यहां अबतक एक्स-रे की सुविधा नहीं है. मरीजों को पैसे खर्च कर बाहर एक्स-रे कराना पड़ता है. यूएसजी : गर्भवती महिलाओं के लिए ओपीडी व आइपीडी सेवा उपलब्ध है. गायनी विभाग के ओपीडी व आइपीडी में काफी महिलाएं पहुंचती हैं. यूएसजी मशीन नहीं होने के कारण अल्ट्रासाउंड की सुविधा मरीजों को नहीं मिल पा रही है. दंत एक्स-रे : दंत विभाग का ओपीडी संचालित है. यहां अत्याधुनिक डेंटर चेयर भी उपलब्ध है, लेकिन ओपीडी की सेवा दांतों की सफाई तक ही सीमित है. एक्स-रे मशीन नहीं होने के कारण बड़ी बीमारियों का इलाज अस्पताल में नहीं होता.

कोट

सदर अस्पताल में साइलेंस रूम का निर्माण मुख्यालय करा रहा है. संभावना है कि आने वाले समय में सदर अस्पताल में इएनटी चिकित्सक की नियुक्ति हो.

डॉ चंद्रभानु प्रतापन,

सिविल सर्जन

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