धनबाद : कोविड-19 की वजह से वर्ष 2020 आइआइटी आइएसएम के लिए बेहतर नहीं बीता. कैंपस प्लेसमेंट के लिहाज से यह वर्ष नुकसानदायक साबित हुआ है. एकेडमिक वर्ष 2019-20 के दौरान संस्थान के 650 से अधिक छात्रों का 100 से अधिक कंपनियों में कैंपस प्लेसमेंट हुआ था. लेकिन सत्र खत्म होने के पांच माह बाद भी इन में से अबतक 30% छात्रों को ही कंपनियों ने ज्वाइनिंग दी है. शेष कंपनियों ने ज्वाइनिंग स्थगित कर दी है.
छात्रों को ज्वाइनिंग देने वाली कंपनियों में आइटी कंपनियां शामिल हैं. इनमें भी अधिकतर छात्र ज्वाइनिंग के बाद भी वर्क फ्रॉम होम हैं. वहीं मैन्युफैक्चरिंग, सर्विस सेक्टर की कंपनियों ने स्थिति सामान्य होने तक छात्रों की ज्वाइनिंग टाल दी है. पिछले वर्ष तक छात्रों को सत्र पूरा करने के बाद जुलाई से सितंबर के बीच में ज्वाइनिंग मिल जाती थी.
लेकिन कोविड की वजह से आयी मंदी के कारण इस बार कंपनियों ने ऐसा नहीं किया है. कई कंपनियों ने बकायदा मेल भेज कर संस्थान को सूचित भी कर दिया है. संस्थान के करियर डेवलपमेंट सेंटर के वाइस चेयरमैन डॉ पंकज जैन यह स्वीकार करते हैं कि काफी संख्या में छात्रों को कंपनियों ने अभी ज्वाइनिंग नहीं दी है. इसे कुछ महीनों के लिए टाल दिया है. अच्छी बात यह है कि इन कंपनियों ने छात्रों की नियुक्ति रद्द नहीं की है.
आइआइटी आइएसएम को सार्वजनिक क्षेत्र में देश की सबसे बड़ी कोयला उत्पादक कंपनी कोल इंडिया ने बड़ा झटका दिया है. कंपनी अब संस्थान में कैंपस प्लेसमेंट के लिए नहीं जायेगी. यह केवल ग्रेजुएट एप्टीट्यूट टेस्ट इन इंजीनियरिंग (गेट) परीक्षा में सफल छात्रों को उनके रैंक और अपनी आवश्यकताओं के अनुसार जॉब ऑफर करेगी. कंपनी के इस निर्णय से आइआइटी आइएसएम को सबसे अधिक नुकसान हुआ है.
सीआइएल आइआइटी आइएसएम के छात्रों के लिए एकेडमिक वर्ष 2018-19 के दौरान तक सबसे बड़ी नियोक्ता कंपनी थी. यह हर वर्ष औसतन 60-65 छात्रों को जॉब ऑफर करती थी. कोल इंडिया के संस्थान में नहीं आने से सबसे अधिक माइनिंग इंजीनियरिंग ब्रांच के छात्रों को नुकसान हुआ है. इसी ब्रांच से कंपनी सबसे अधिक छात्रों को जॉब अॉफर करती थी.
इसके साथ माइनिंग मशीनरी जियोलॉजी और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के छात्रों को भी नुकसान हुआ है. मैनेजमेंट विभाग के छात्रों के लिए तो यही एक मात्र नियोक्ता कंपनी थी.
posted by : sameer oraon