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मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भगवान का वरदान है नृत्य

तनाव से राहत व जीवन के प्रति सकारात्मक नजरिया देता है नृत्य-संगीत

धनबाद.

आज इंटरनेशनल डांस डे है. हर साल 29 अप्रैल को इंटरनेशनल डांस डे मनाया जाता है. इसका मकसद लोगों को डांस के फायदे और महत्व के बारे में जागरूक करना है. आज की भागदौड़ की जिंदगी में डांस ऐसा विकल्प है जिससे मानसिक तनाव से राहत मिलने के साथ ही जीवन के प्रति नजरिया सकारात्मक होता है. डांस करने से शरीर एंडोर्फिन जैसे हैप्पी हार्मोंस रिलीज करती है. इससे न केवल मूड फ्रेश होता है, बल्कि फिजिकल फिटनेस भी बना रहता है. दैनिक जीवन में होनेवाले तनाव से भी राहत मिलती है. वहीं संगीत सुकून देती है. संगीत में गायन, वादन व नृत्य का समावेश होता है. कोयलांचल में कई ऐसे संगीत प्रेमी भी हैं जिन्होंने अपना जीवन नृत्य को समर्पित कर रखा है.

नृत्य से बंधी है सांसों की डोर :

पुराना बाजार निवासी अजित दास व अंजना दास के छोटे बेटे अतनु दास ने तीन साल की उम्र से ही गीत के बोल पर थिरकना शुरू कर दिया था. मां संगीत प्रेमी थी. शास्त्रीय गायन करती थीं. उन्होंने बेटे के हुनर को पहचाना और कोयलांचल की प्रसिद्ध डांस टीचर कल्पना मंदिर के डांस स्कूल नृत्य मंदिर में उनका नामांकन कराया. तीन साल का उस बालक ने आज भरत नाट्यम के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनायी है. अतनु ने प्रभात खबर से विशेष बातचीत में बताया कि नृत्य उनका जीवन है. सांसों की डोर नृत्य सें बंधी है. गुरु मां कल्पना मल्लिक से भरत नाट्यम सीखने के बाद दक्षिण भारत चला गया. वहां सीबीपार्वती नंबियार से 2013 से 2023 तक भरत नाट्यम की बारिकियां, भाव भंगिमा, ताल व समर्पण सीखा. वहां से लौटकर दमदम कोलकाता में नृत्य अम्बलम (अम्बलम का अर्थ मंदिर ) स्कूल ऑफ डांस खोला. वर्तमान में यहां 70 बच्चे भरत नाट्यम सीख रहे हैं. अतनु देश ही नहीं विदेशों में भी डांस प्रोग्राम देकर उपलब्धि पा चुके हैं. वह कोलकाता दूरदर्शन के ग्रेडेड आर्टिस्ट हैं. सांस्कृतिक मंत्रालय से छात्रवृत्ति भी पा चुके हैं. इंटरनेशनल डांस डे पर अपने संदेश में उन्होंने कहा कि संगीत के बिना जीवन नीरस सा लगता है. गायन, वादन व नृत्य आपको जीवन के प्रति आशान्वित करती है.

वन लेग डांसर के रूप में है रेखा की पहचान :

कोयलांचल की सुधा चंद्रन मानी जाती है बलियापुर निवासी वन लेग डांसर रेखा मिश्रा.दुर्घटना में एक पैर गंवाने के बाद भी उसने हिम्मत नहीं हारी. एक पैर से डांस कर अपनी प्रतिभा का परिचय दिया. रेखा का सपना बेस्ट डांसर बनने का है. वह सुधा चंद्रन को अपना आदर्श मानती है. बलियापुर मुख्यालय से नौ किमी दूर वीरसिंहपुर पंचायत के शीतलपुर मिश्रा टोला निवासी कृष्णा मिश्रा की 22 साल की बेटी रेखा मिश्रा एक पैर न होने के बाद भी असंभव को संभव करने का हौसला रखती है. एक पैर न होने के बावजूद वह अच्छी डांसर है. उसके डांस का वीडियो सोशल मीडिया में वायरल है. बेहतरीन डांस के लिए उसे पर्जन्य बीएड कॉलेज बलियापुर व एसएसएलएनटी कॉलेज धनबाद के कार्यक्रमों में पुरस्कार से नवाजा जा चुका है. प्रोजेक्ट उच्च विद्यालय शीतलपुर में भी वह पुरस्कृत हो चुकी है. रेखा 2014 अक्तूबर में पश्चिम बंगाल के एक गांव में मेला देखने गयी थी. लौटने के क्रम में दुबड़ा पाड़ा के बीच गुड़गुड़िया में सड़क हादसे में उसका पैर बुरी तरह जख्मी हो गया था. चिकित्सकों को उसका एक पैर काटना पड़ा था. हादसे में पैर गंवाने के बाद रेखा ने डांस को ही अपना जीवन मान लिया. रेखा की मां पूर्णिमा मिश्रा एवं परिवार के सभी सदस्यों का सहयोग उसे मिलता है. रेखा का कहना है उसका जीवन नृत्य के लिए समर्पित है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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