झरिया मास्टर प्लान : वित्तीय वर्ष 2023-24 में कुल 200 कर्मियों की हुई शिफ्टिंग

649 में से 178 क्वार्टर किये गये ध्वस्त

By Prabhat Khabar News Desk | April 12, 2024 12:19 AM

मनोहर कुमार, धनबाद.

झरिया मास्टर प्लान के कार्यान्वयन को लेकर 81 सर्वाधिक असुरक्षित स्थानों से बीसीसीएल प्रबंधन वित्तीय वर्ष 2023-24 में कुल 200 कर्मियों की शिफ्टिंग करायी है. जबकि लक्ष्य 649 कर्मियों की शिफ्टिंग का था. क्वार्टर आवंटन के बावजूद शत प्रतिशत कर्मियों की शिफ्टिंग नहीं हो सकी है. बीसीसीएल के आंकड़ों पर गौर करें तो सिर्फ मार्च माह में कंपनी का लक्ष्य 134 कर्मियों की सर्वाधिक असुरक्षित स्थान से सुरक्षित स्थान पर शिफ्टिंग कराने का था. इसके विरुद्ध एरिया प्रबंधन मात्र दो कर्मचारी को ही शिफ्ट करा सकी है. बीसीसीएल सीएमडी समरीन दत्ता ने इसे गंभीरता से लिया है. उन्होंने एरिया प्रबंधन को हर हाल में लक्ष्य के मुताबिक कर्मियों को सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट करने के निर्देश दिये हैं. बता दें कि झरिया मास्टर प्लान के तहत भू-धंसान व अग्नि प्रभावित क्षेत्रों से बीसीसीएलकर्मियों को सुरक्षित स्थानों पर पुनर्वासित करने के लिए कंपनी द्वारा कुल 15,713 क्वार्टरों का निर्माण कराया गया है. इसमें 8000 क्वार्टर जेआरडीए को सौंपे गये हैं. शेष 7713 क्वार्टरों में बीसीसीएलकर्मियों को शिफ्ट करना है. आकड़ों के मुताबिक 7031 क्वार्टर कंपनी के विभिन्न एरिया को आवंटित कर दिया गया है. लेकिन शत प्रतिशत कर्मियों की शिफ्टिंग अबतक नहीं हो सकी है. हालांकि शिफ्टिंग का काम तेज हुआ है.

सर्वाधिक असुरक्षित स्थान से 449 कर्मियों की शिफ्टिंग शेष :

आंकड़ों के अनुसार 81सर्वाधिक असुरक्षित स्थानों से कुल 449 कर्मियों की शिफ्टिंग शेष है. इसमें सर्वाधिक 316 कर्मियों की शिफ्टिंग पीबी एरिया से होनी है. वहीं इजे एरिया से 102, लोदना से 14, गोविंदपुर से सात व बस्ताकोला एरिया से छह एवं सिजुआ एरिया से चार कर्मियों की शिफ्टिंग की जानी है.

471 क्वार्टरों को ध्वस्त करना शेष :

बीसीसीएल के 81 सर्वाधिक असुरक्षित जेएमपी साइटों से गत वित्त वर्ष में कुल 649 क्वार्टरों को ध्वस्त करने का लक्ष्य था. इसके मुकाबले कंपनी प्रबंधन ने 178 क्वार्टरों को ध्वस्त किया है. 471 क्वार्टर ध्वस्त करना शेष है. सिर्फ मार्च 2024 में 154 क्वार्टर ध्वस्त करने का लक्ष्य था, लेकिन मात्र दो क्वार्टर ध्वस्त किये जा सके हैं.

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