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धनबाद में मां को जिंदा बताकर चार दिनों तक घर में रखा शव, मृत घोषित करने पर डॉक्टरों से उलझा

धनबाद में एक पुत्र ने अपनी मां को जिंदा बताकर चार दिनों तक शव को घर में रखा. मृत घोषित करने पर वह डॉक्टरों से उलझ गया. 12 मार्च को ही उसकी मां की मौत हो चुकी थी.

धनबाद: मृत मां को जिंदा बताकर एक युवक ने चार दिनों तक शव घर में रखा. इन चार दिनों में महिला का शव डिकंपोज होने लगा और उससे दुर्गंध आने लगी. इसके बाद मुहल्ले के लोगों को मामले की जानकारी हुई. घटना धनबाद थाना क्षेत्र के हीरापुर मास्टरपाड़ा की है. बताया जाता है कि शुक्रवार की रात मास्टरपाड़ा क्षेत्र में तेज दुर्गंध फैल गयी. दुर्गंध से परेशान स्थानीय लोगों ने जानकारी हासिल की, तो पता चला कि मोहल्ले के सौरव उपाध्याय (38 वर्ष) के घर से दुर्गंध आ रही है. घर जाकर देखा तो सौरव की मां आशा उपाध्याय (55) घर में मृत पड़ी थी. सौरव ने मां के मृत होने की बात सभी से छुपा कर रखी थी. पूछने पर कहता था कि मां की तबीयत खराब है. लोगों ने शुक्रवार की आधी रात जबरन एंबुलेंस बुलाकर आशा उपाध्याय के शव को एसएनएमएमसीएच पहुंचाया.

12 मार्च को आशा की हो चुकी थी मौत
एसएनएमएमसीएच के चिकित्सकों के अनुसार आशा उपाध्याय की मौत गत 12 मार्च को ही हो गयी थी. जिस दिन आशा देवी की मौत हुई थी. उस दिन सौरव अपनी मां के शव को लेकर एसएनएमएमसीएच पहुंचा था. चिकित्सकों ने उसी दिन आशा की मृत्यु की जानकारी सौरव को दे दी थी. यह जानकारी एसएनएमएमसीएच के रजिस्टर में अंकित है. बाद में वह शव को लेकर घर चला गया. उसने मां की मौत की जानकारी किसी को नहीं दी.

चिकित्सकों से भिड़ा युवक, इमरजेंसी छोड़ भागे चिकित्सक
शुक्रवार की रात चिकित्सक द्वारा महिला को मृत घोषित करते ही उसका बेटा सौरव चिकित्सकों से भिड़ गया. इस दौरान सेंट्रल इमरजेंसी में अफरा-तफरी मच गयी. युवक की हरकत देख चिकित्सकों को इमरजेंसी छोड़कर भागना पड़ा. बाद में होमगार्ड ने युवक को मां के शव के साथ सेंट्रल इमरजेंसी से बाहर निकाला.

रातभर इमरजेंसी के बाहर मां के शव के साथ रहा युवक
शुक्रवार की पूरी रात सौरव अपनी मां के शव के साथ एसएनएमएमसीएच की सेंट्रल इमरजेंसी के बाहर रहा. शव से निकलने वाली दुर्गंध के कारण चिकित्सकों के साथ मरीजों व उनके परिजनों को परेशानी होने लगी. शनिवार की सुबह स्थिति नियंत्रण से बाहर होने पर अस्पताल प्रबंधन ने इसकी जानकारी सरायढेला पुलिस को दी. पुलिस ने ऑटो बुलाकर जबरन सौरव व उसकी मां के शव को घर भेजा.

घर पहुंचने पर मां को कुर्सी पर बैठाया, अंतिम संस्कार से किया इनकार
शनिवार की सुबह घर पहुंचने के बाद सौरव ने अपनी मां के शव को कुर्सी पर बैठा दिया. इसके बाद उसने अपने घर के मुख्य गेट का दरवाजा अंदर से बंद कर लिया. स्थानीय लोग उससे मां के शव का अंतिम संस्कार करने के लिए कहते रहे, लेकिन वह कुछ भी सुनने को तैयार नहीं था. घर के अंदर से वह बार-बार एक ही बात कह रहा था कि उसकी मां अभी जिंदा है और और नींद में सो रही है.

दुर्गापुर से पहुंचे मामा की बात मानने से भी किया इनकार
मास्टरपाड़ा के लोगों ने आशा उपाध्याय की मौत की जानकारी पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर में रहने वाले सौरव के मामा पूर्व कोयला अधिकारी सतेंद्र नारायण उपाध्याय को दी. शनिवार को दिन के लगभग 12 बजे वह धनबाद पहुंचे. घर के अंदर जाने का प्रयास किया, लेकिन सौरव ने घर का मुख्य दरवाजा नहीं खोला. बाद में मामा सतेंद्र नारायण उपाध्याय ने फोन से सौरव से बात की. मां के शव का अंतिम संस्कार करने को कहा. इसपर सौरव उनकी बात मानने से भी इनकार कर दिया. वह सिर्फ एक बात दोहराता रहा कि उसकी मां जिंदा है और नींद में हैं.

दिनभर चलता रहा हंगामा
आशा उपाध्याय के शव का अंतिम संस्कार करने के लिए मास्टरपाड़ा शनिवार को दिनभर हंगामा चलता रहा. स्थानीय लोग सौरव के मामा के सहयोग से मृत आशा उपाध्याय के शव का अंतिम संस्कार कराने के प्रयास में लगे रहे. अंतिम संस्कार का सारा सामान भी मंगवाया गया. लेकिन सौरव तैयार नहीं हुआ. अंत में शनिवार की शाम स्थानीय लोगों ने धनबाद थाने की पुलिस को सूचना दी. पुलिस के पहुंचने पर भी सौरव दरवाजा नहीं खोल रहा था. इससे लोग आक्रोशित हो गये. सभी दरवाजा तोड़ने में जुट गये. स्थानीय लोग पुलिस की मदद से दरवाजा तोड़ अंदर घुसे. इसके बाद पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए एसएनएमएमसीएच भेज दिया. मामले में पुलिस ने यूडी केस दर्ज किया है.

मां और मौसी के साथ रहता है सौरव
सौरव उपाध्याय अपनी मां आशा उपाध्याय व मौसी के साथ रहता है. युवक के पिता काली शंकर उपाध्याय पश्चिम बंगाल के मिदनापुर जिले के कांथी में रहते हैं. लंबे समय से पिता घर नहीं आये हैं. स्थानीय लोगों के अनुसार पारिवारिक विवाद के बाद से ही पिता पश्चिम बंगाल में रहते हैं.

गलत दवा देने से आशा की मौत की आशंका
स्थानीय लोगों के अनुसार कुछ दिन पहले सीढ़ी से गिरने से आशा उपाध्याय गंभीर रूप से चोटिल हो गई थी. उनका अस्पताल में इलाज कराने के बजाए बेटे सौरव उपाध्याय ने घर में ही रखा. खुद से ही आशा को वह दवा व इंजेक्शन देता था. कई तरह के इंजेक्शन की शीशी उसके घर से बरामद हुई है. ऐसे में आशंका जतायी जा रही है कि गलत दवा देने से आशा की मौत हुई है.

मां और मौसी को घर से बाहर नहीं निकलने देता था सौरव
स्थानीय लोगों ने बताया कि कुछ वर्ष पूर्व तक उसकी मां व मौसी घर से बाहर निकलतीं थीं. बाद उसने मां और मौसी को घर से बाहर निकलने पर रोक लगा दी थी. मां और मौसी के बाल्कनी में निकलने पर वह उनपर चिल्लाता था.

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