DHANBAD NEWS: 78 वर्ष पुराना राजस्व जिला धनबाद तमाम घोषणाओं व आश्वासन के बावजूद अब तक प्रमंडल नहीं बन पाया. हर लोकसभा, विधानसभा चुनाव में यह मुद्दा उठता है. चुनाव के बाद फिर ठंडे बस्ते में चला जाता है. इसी तरह कतरास, निरसा को अनुमंडल बनाने तथा राजगंज, राधानगर (महुदा) को प्रखंड बनाने का मामला भी घोषणाओं तक ही सिमट कर रह गया है. कभी पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिला का हिस्सा रहा धनबाद को वर्ष 1956 में अविभाजित बिहार में शामिल किया गया. इसके बाद धनबाद जिला को कई बार प्रमंडल बनाने की घोषणा हुई.
अविभाजित बिहार के समय से ही धनबाद को प्रमंडल बनाने की मांग होती रही है. अलग झारखंड राज्य बनने के बाद यह मांग तेज हुई. लगभग सभी राजनीतिक दल इस मांग का समर्थन करते रहे हैं. लेकिन, अलग राज्य बनने के 24 वर्ष बाद भी धनबाद प्रमंडल नहीं बन पाया. जबकि इस दौरान चाईबासा, मेदनीनगर (पलामू) प्रमंडल बन गये. धनबाद जिला अभी उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल का हिस्सा है. इस प्रमंडल में छह जिले हैं.
32 लाख से अधिक आबादी वाले जिले में केवल एक अनुमंडल
आबादी की दृष्टिकोण से धनबाद राज्य के सबसे बड़े राजस्व जिला में शामिल है. लेकिन, 32 लाख से अधिक की आबादी वाले धनबाद जिले में केवल एक ही अनुमंडल है. जबकि धनबाद से कट कर अलग जिला बने बोकारो में दो अनुमंडल हैं. गिरिडीह जिला में भी सरिया, खोरीमहुआ जैसे नये अनुमंडल बन गये.
धनबाद में भी निरसा एवं कतरास को अलग अनुमंडल बनाने का प्रस्ताव काफी पहले पास हुआ था. निरसा एवं बाघमारा दोनों पुलिस अनुमंडल हैं. इसी तरह राजगंज एवं राधानगर को प्रखंड बनाने का प्रस्ताव भी धरातल पर नहीं उतर पाया. राजगंज को अलग प्रखंड बनाने के लिए एक लंबे समय से आंदोलन चल रहा है.
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