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धनबाद जज मौत मामले में CBI की कार्यशैली से नाराज हाईकोर्ट, बोला- आरोपियों को बचने का मौका दे रही है

धनबाद के जज उत्तम आनंद की टेंपो से टक्कर में हुई मौत का मामले में झारखंड हाईकोर्ट ने सीबीआई को कड़ी फटकार लगायी है. उन्होंने कहा है कि इस मामले को ट्रायल में एक्सीडेंट साबित करने का आरोपियों को मौका दे रही. साथ ही साथ आइओ से यह भी पूछा कि मॉनिटरिंग का क्या मतलब होता है, क्या सीबीआइ को पता नहीं है

By Prabhat Khabar News Desk | October 23, 2021 7:20 AM
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धनबाद : हाइकोर्ट ने सीबीआइ द्वारा प्रस्तुत जांच की स्टेटस रिपोर्ट में चार्जशीट दायर करने का जिक्र नहीं होने पर नाराजगी जतायी. हाइकोर्ट ने बिना उसके संज्ञान में लाये सीबीआइ द्वारा विशेष अदालत में चार्जशीट दाखिल करने पर सवाल उठाया. झारखंड हाइकोर्ट में जज उत्तम आनंद मौत मामले में स्वत: संज्ञान से दर्ज पीआइएल पर शुक्रवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सुनवाई हुई. चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने कहा कि सीबीआइ आरोपियों को ट्रायल में एक्सीडेंट साबित करने का मौका दे रही है. बिना मोटिव के हत्या का मामला कैसे साबित हो सकता है, यह

सीबीआइ की स्टेटस रिपोर्ट स्टीरियो टाइप :

खंडपीठ ने कहा कि सीबीआइ की स्टेटस रिपोर्ट स्टीरियो टाइप है. कहा गया है कि मामले का अनुसंधान जारी है. इसके अलावा इसमें कुछ नहीं कहा गया है. सचिवालय के बाबुओं की तरह सीबीआइ काम कर रही है. खंडपीठ ने सीबीआइ के अनुसंधानकर्ता से पूछा कि मॉनिटरिंग का क्या मतलब होता है, क्या सीबीआइ को पता नहीं है.

सीबीआइ किसे बेवकूफ बना रही है. खंडपीठ ने मौखिक रूप से कहा कि पूर्व में राज्य पुलिस द्वारा गिरफ्तार दो आरोपियों के खिलाफ हत्या का आरोप लगाते हुए सीबीआइ ने जांच पूरी कर चार्जशीट दायर कर दी है, लेकिन उसमें हत्या का मोटिव नहीं बताया गया है. ऐसा कर सीबीआइ ने आरोपियों को बचने का रास्ता दे दिया है.

सीबीआइ की कार्रवाई पुलिस से ज्यादा खराब :

चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन ने कहा कि तबीयत खराब होने के बावजूद वह इस केस को सुन रहे हैं, क्योंकि यह काफी गंभीर मामला है. इस केस पर पूरे देश की नजर है. लेकिन वह गंभीरता सीबीआइ की जांच में कहीं नजर नहीं आ रही है. कोर्ट न्यायिक अधिकारियों के मनोबल को बढ़ाने के लिए घटना में शामिल आरोपियों को सख्त सजा दिलाने के बारे में सोच रही थी, लेकिन सीबीआइ द्वारा की गयी अब तक की जांच से पता चलता है कि उन्होंने केस को ही समाप्त कर दिया है.

यह काफी दुर्भाग्यजनक है. इस मामले में सीबीआइ की कार्रवाई राज्य पुलिस से भी ज्यादा खराब है. जांच रिपोर्ट खानापूर्ति करने जैसी है. खंडपीठ ने कहा कि कोर्ट ने पूर्व में ही अपने आदेश में आशंका जतायी थी कि देर होगी, तो यह मामला मर्डर मिस्ट्री में बदल जायेगी. मामले की अगली सुनवाई के लिए खंडपीठ ने 29 अक्तूबर की तिथि निर्धारित की.

Posted by : Sameer Oraon

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