धनबाद में गांजा तस्करी के फर्जी केस की सीआइडी जांच शुरू
धनबाद के निरसा थाने में 25 अगस्त 2019 को करीब 40 किलो गांजा बरामदगी के केस की जांच सीआइडी ने शुरू कर दी है. इस मामले में डीएसपी और इंस्पेक्टर रैंक के अफसर के नेतृत्व में एक स्पेशल टीम का गठन किया गया है. टीम गलत तरीके से फंसा कर इसीएल कर्मी चिरंजीत घोष को जेल भेजने से संबंधित मामले की जांच करेगी.
रांची : धनबाद के निरसा थाने में 25 अगस्त 2019 को करीब 40 किलो गांजा बरामदगी के केस की जांच सीआइडी ने शुरू कर दी है. इस मामले में डीएसपी और इंस्पेक्टर रैंक के अफसर के नेतृत्व में एक स्पेशल टीम का गठन किया गया है. टीम गलत तरीके से फंसा कर इसीएल कर्मी चिरंजीत घोष को जेल भेजने से संबंधित मामले की जांच करेगी. इसके साथ ही सीआइडी एडीजी ने डीजीपी को एक आरंभिक रिपोर्ट भी भेजी है, जिसमें चिरंजीत को जेल भेजने के पीछे धनबाद पुलिस की भूमिका को संदिग्ध बताया है. वहीं चिरंजीत को गोड्डा पुलिस द्वारा भी एनडीपीएस के पुराने केस में रिमांड पर लेने की तैयारी को संदिग्ध बताया है. जानकारी के अनुसार मामले में एक लिखित शिकायत डीजीपी से की गयी थी.
आरोप था कि धनबाद के पूर्व एसएसपी, पूर्व एसपी, डीएसपी और निरसा के पूर्व थाना प्रभारी ने पावर का गलत इस्तेमाल कर यह काम किया. यह भी कहा था कि कहीं इसके पीछे पैसे का लेनदेन तो नहीं हुआ. इसलिए जांच कर कार्रवाई करने व संबंधित पुलिसकर्मियों के खिलाफ केस करने की मांग की गयी थी. इसके बाद मामले में आगे की कार्रवाई के लिए पुलिस मुख्यालय ने सीआइडी एडीजी को भेज दिया था.
उसके बाद एडीजी ने पूरे मामले में बोकारो रेंज के डीआइजी से रिपोर्ट मांगी थी. मामले में तत्कालीन थाना प्रभारी उमेश कुमार सिंह को निलंबित भी किया जा चुका है और डीएसपी से पक्ष मांगा गया है. उल्लेखनीय है कि चिरंजीत घोष के खिलाफ गांजा तस्करी का मामला नहीं पाये जाने के बाद पुलिस ने फाइनल रिपोर्ट न्यायालय में समर्पित कर दिया था. करीब 27 दिनों तक न्यायिक हिरासत में रहने के बाद चिरंजीत जमानत पर बाहर निकला था. जेल से निकलने के बाद उसे मिलने के लिए तत्कालीन एसएसपी कौशल किशोर ने बुलाया था. इस घटना के बाद पुलिस पर कई सवाल भी उठे थे.