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प्रभात खबर के संवाद में बोले लोग- सबसे अधिक राजस्व देने के बावजूद विकास के पैमाने पर उपेक्षित है धनबाद

Dhanbad News: प्रभात खबर संवाद कार्यक्रम में शामिल लोगों ने कहा है कि महत्वपूर्ण शहर होने के बावजूद धनबाद का विकास न होना चिंता का विषय है. उन्होंने एयरपोर्ट न होना होने की वजह इसका सबसे बड़ा कारण बताया है.

धनबाद : धन से आबाद धनबाद जैसे शहर में एयरपोर्ट का न होना यहां के विकास में सबसे बड़ी बाधा है. न तो आम लोगों के लिए कोई अच्छा अस्पताल है, न ही उच्च शिक्षा के लिए टेक्निकल इंस्टीट्यूट. हायर एजुकेशन के लिए बच्चे बाहर जा रहे हैं. जॉब लगने के बाद वहीं सेटल हो जा रहे हैं. यहां बुजुर्ग अकेले रह जा रहे हैं. शनिवार को प्रभात खबर के कोलाकुसमा स्थित कार्यालय में आयोजित संवाद कार्यक्रम में यह बातें सामने आयीं. इस दौरान बंगाली समाज के प्रबुद्धजनों ने खुलकर अपनी बातें रखीं.

धनबाद की हमेशा उपेक्षा होती रही है

प्रभात खबर संवाद कार्यक्रम में शामिल लोगों ने कहा कि आनेवाले समय में धनबाद को बुजुर्गों का शहर के नाम से जाना जायेगा. बहुत ही महत्वपूर्ण जिला होने के साथ ही यहां कई महत्वपूर्ण विभागों के हेडक्वार्टर है, पर इसकी हमेशा उपेक्षा होती रही है. ट्रैफिक कंट्रोल के लिए सिग्नल की कोई सिस्टम नहीं है. फुटपाथ पैदल चलनेवालों के लिए है, लेकिन उस पर भी दुकानें सज जाती है. शहर के चौक-चौराहों का हाल बेहाल है. यहां जो सुविधाएं मिलनी चाहिए, उससे हम वंचित है. सबसे अधिक रेवन्यू देनेवाला जिला होने के बावजूद विकास के पैमाने पर धनबाद काफी उपेक्षित है. लोगों ने समस्या गिनाने के साथ समाधान भी सुझाया. संवाद कार्यक्रम में खास बात यह रही कि शहर की समस्याओं से चिंतित लोगों ने इस बात के लिए उत्साहित भी किया कि सब मिल कर अच्छा सोचेंगे, तो अच्छा होगा और सबके प्यार व सहयोग के साथ आगे बढ़ेगा यह शहर.

जो समस्याएं सामने आयीं

  • जाम की समस्या से लोग परेशान हैं.
  • स्वास्थ्य सुविधा में सुधार नहीं हो रहा. सरकारी अस्पतालों में अव्यवस्था है.
  • प्लस टू के बाद की पढ़ाई की अच्छी व्यवस्था नहीं है.
  • बुजुर्गों के लिए क्लब, पार्क की कमी है.
  • महिलाओं के काम को एक्सपोजर नहीं मिलता.
  • हायर एजुकेशन के साथ टेक्निकल इंस्टीच्यूट, इंड्रस्टीज की जरूरत है.

सुझाव जो सामने आये

  • शहर में सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा मिले. उसे एक्सपोज किया जाये.
  • साफ-सफाई मुहल्ले तक पहुंचे, कचरा सही से उठाया जाये.
  • यातायात व्यवस्था दुरूस्त करने के लिए फ्लाई ओवर बनें.
  • हाइवे, कोलियरी के पास सबसे ज्यादा एक्सीडेंट होते हैं, यहां ट्राॅमा सेंटर खुले
  • स्मार्ट मीटर का दबाव उपभोक्ता झेल रहे हैं, उसका समाधान हो.
  • सड़क दुर्घटना पर नियंत्रण के लिए प्रशासन को स्पीड मॉनिटरिंग करनी चाहिए
  • लोगों ने कहा : विकास नहीं हुआ, तो बूढ़ों का शहर बनकर रह जायेगा धनबाद

क्या कहते हैं धनबादवासी

पूरी दुनिया में अपनी पहचान रखनेवाला धनबाद एयरपोर्ट के लिए तरस रहा है. सबसे ज्यादा रेवेन्यू देने के बाद भी ट्रेनों की कमी है. सड़क की सुविधा ऐसी है कि जरूरी काम से निकलने पर एक घंटे के काम में तीन घंटे लग जाते हैं.

सोनाली, होम मेकर

हमारे शहर में उच्च शिक्षा के लिए बहुत अधिक विकल्प नहीं है. हमारे बच्चे प्लस टू के बाट हायर एजुकेशन के लिए बाहर चले जाते हैं. इस कारण अभिभावक तनाव में रहते हैं. धनबाद को भी एजुकेशन हब बनाने की जरूरत है.

शीला माजी, होम मेकर

सबसे ज्यादा यहां ट्रैफिक की समस्या है. टोटो-ऑटो कहीं भी रूक जाते हैं. बरसात में जल जमाव के कारण दुर्घटना, तो होती ही है, साथ ही वहां से गुजरने पर बदबू आती है. इस वजह से बीमारियों का खतरा बना रहता है.

हीरणमयी मित्रा, अवकाश प्राप्त अधिकारी

कोयलांचल में बड़े-बड़े मॉल बन रहे हैं, कॉलोनी बस रही है, रेस्टोरेंट, हॉस्पिटल खुल रहे हैं लेकिन पार्किंग की सुविधा नदारद है. लोग सड़कों पर जहां-तहां गाड़ी पार्क कर देते हैं. इससे स्कूल बस, वैन जाम में फंस जाते हैं. इसका समाधान हो.

सुरजीत पॉल, व्यवसायी

राज्य सरकार को अच्छा अस्पताल बनाना चाहिए. सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल तक सिर्फ अमीर ही पहुंच पाते हैं. तेज रफ्तार वाहन चलाने वाले युवा सबसे अधिक दुर्घटना के शिकार हो रहे हैं. इसपर लगाम लगाने के लिए स्पीड मॉनिटरिंग हो.

शुभमय भट्टाचार्या, डीजीएमएस कर्मी

हमारे बच्चे टेक्निकल एजुकेशन डिग्री के लिए बाहर जा रहे हैं. पीछे उनके माता पिता रह जा रहे हैं. धनबाद बुजुर्गों का शहर बनता जा रहा है. एसएनएमएमसीएच में सुपर स्पेशिलियटी अस्पताल जल्द शुरू होना चाहिए. इससे राहत मिलेगी.

सपन माजी, सोशल वर्कर

किसी भी शहर की मूलभूत जरूरत सड़क, बिजली, पानी, स्वास्थ्य व शिक्षा है. 2010 में बना नगर निगम क्या काम कर रहा है, यह सबके सामने है. यहां बेहतर इलाज की भी व्यवस्था नहीं है. सुपर स्पेशिलियटी अस्पताल जल्द चालू होना चाहिए.

गोपाल भट्टाचार्यजी, सोशल वर्कर

सबसे ज्यादा रेवन्यू देनेवाला शहर होने के बावजूद सरकार यहां के विकास पर ध्यान नहीं दे रही है. यहां ट्रैफिक कंट्रोल करने के लिए सिग्नल लाइट का सिस्टम नहीं है. युवा काफी रफ ड्राइविंग करते हैं. इसपर प्रशासन को स्ट्रीक्ट होना होगा.

अतनु कुमार गुप्ता, रिटायर बैंक अधिकारी

सामाजिक कार्य करनेवालों की खबर को प्रमुखता नहीं दी जाती, जबकि अपराधियों की खबरें सभी मीडिया में प्रमुखता से छपती है. सड़कों पर फुटपाथ दुकानदारों व ऑटो, टोटो, प्राइवेट गाड़ियों का कब्जा रहता है. इससे जनता परेशान है.

तपन माजी, रिटायर बीसीसीएल कर्मी

बच्चों के खेलने की व्यवस्था नहीं है. पानी, बिजली, सड़क की समस्या से सब परेशान हैं. सप्लाई वाटर तीन चार दिन पर आता है. बिजली के समस्या कब सुलझेगी पता नहीं, लेकिन बिल काफी आता है. स्मार्ट मीटर ने तो परेशानी बढ़ा दी है.

वंदना घोषाल, सोशल वर्कर

यहां का नगर निगम सिर्फ मुख्य सड़कों पर झाडू लगाने तक सीमित है. मुहल्लों में गंदगी पसरी रहती है. नाला जाम रहता है. इससे उनका कोई लेना-देना नहीं. सड़कों की बैरिकेडिंग सही नहीं है. इससे सड़क दुर्घटना होती रहती है.

श्यामल राय चौधुरी, सोशल वर्कर

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