DHANBAD NEWS : पति की दीर्घायु के लिए आज हरतालिका तीज करेंगी महिलाएं, पारण कल

DHANBAD NEWS : नहाय-खाय के साथ लिया व्रत पूरा करने का संकल्प

By Prabhat Khabar News Desk | September 6, 2024 2:25 AM

सुहागिनों का पावन त्योहार हरतालिका तीज छह सितंबर को मनाया जायेगा. गुरुवार को सुहागिनों ने नहाय खाय के साथ निर्जल उपवास व व्रत को पूरा करने का संकल्प लिया. मां गौरा से आशीष मांगा. सुहागिनों ने नेम नियम से स्नान ध्यान कर नियम से सात्विक भोजन बनाकर ग्रहण किया. रात्रि में सरगी की. उसके बाद उनका निर्जल उपवास शुरू हुआ. शुक्रवार को सुहागिनें तीज की पूजा करेंगी. सुखी वैवाहिक जीवन व पति की लंबी आयु के लिए सुहागिनें तीज का उपवास रखती हैं. पंडित गुणानंद झा ने बताया कि मिथिला पंचांग के अनुसार भाद्र मास शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को सुहागिनें तीज का उपवास कर माता पार्वती व भगवान शिव की पूजा कर अखंड सुहाग का आशीष मांगती हैं. तृतीया तिथि पांच सितंबर को सुबह 10 बजकर 40 मिनट से शुरू हो रही है, जो छह सितंबर को दोपहर 12 बजकर आठ मिनट तक रहेगी. शास्त्रों में उदया तिथि की मान्यता के कारण सुहागिनें छह सितंबर को तीज का व्रत रखेंगी. निर्जल उपवास कर शाम को सोलह शृंगार कर बालू-मिट्टी से गौर गणेश, मां पार्वती, भोलेनाथ की मूर्ति बनाकर पूजा कर सुहाग डाला अर्पित करेंगी. अगले दिन सुबह पूजा-अर्चना के बाद प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है. पति को सुहाग डाला देकर बड़े बुजुर्ग से आशीर्वाद लेकर पारण किया जाता है.

ऐसे करें पूजन :

सबसे पहले चौकी सजायें. चौकी के चारों-ओर केले के पत्तों को कलावे से बांध दें. साफ कपड़ा बिछाकर कलश की स्थापना करें. गणपति देव को आह्वान करें. पूजन में मिट्टी व रेत से शिव परिवार बनाकर पूजा की जाती है. प्रभु का जलाभिषेक करें. 16 शृंगार का सामान, अगरबत्ती, धूप, दीप, शुद्ध घी, पान, कपूर, सुपारी, नारियल, चंदन, फल, फूल के साथ आम, केला, बेल व शमी के पत्ते से पूजा करें. पकवान, मिष्ठान अर्पित करें. हरतालिका तीज व्रत की कथा का पाठ करें. कथा समाप्ति के बाद आरती करें. भूल चूक के लिए क्षमा मांगे.

तीज की कथा :

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार देवी पार्वती ने मन ही मन भगवान शिव को अपना पति मान लिया था और वह हमेशा भगवान शिव की तपस्या में लीन रहतीं थीं. पौराणिक कथा के अनुसार, हिमालय राज के परिवार में मां सती ने पुनः शरीर धारण करके मां पार्वती के रूप में जन्म लिया. हिमालय राज ने मां पार्वती की शादी जगत के पालनहार भगवान विष्णु से कराने का निर्णय कर लिया था. परंतु मां पार्वती पूर्व जन्म के प्रभाव की वजह से मन में ही महादेव को अपने पति के रूप में स्वीकार कर चुकी थीं. पिता के निश्चय से असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो गयी थी. यह देखकर पार्वती की सहेलियां उनका हरण करके उन्हें घने जंगल में ले गयीं. हरित का अर्थ है हरण करना और तालिका अर्थात सखी. इसलिए इस व्रत को हरितालिका तीज कहा जाता है. मां पार्वती की सखियों ने उनका हरण कर हिमालय की कंदराओं में छिपा दिया. इसके बाद मां पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठिन तपस्या की. उनकी तपस्या को देख महादेव प्रसन्न हुए और मां पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार किया. सुहागिनें तीज का उपवास कर कथा सुनती हैं. अखंड सुहाग के लिए माता पार्वती व भोलेनाथ से विनती करती हैं. कुंवारी कन्याएं मनइच्छित वर के लिए तीज का उपवास रखती हैं.

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