कोयलांचल में शुक्रवार को सुहागिनों ने हरतालिका तीज का निर्जला व्रत कर मां गौरी और भगवान शिव की आराधना की. अखंड सौभाग्य का वर मांगा. कई मंदिरों में तथा मुहल्लों में सामूहिक रूप से महिलाओं ने पूजा अर्चना की और हरितालिका तीज व्रत की कथा सुनीं. शहर के शक्ति मंदिर, खड़ेश्वरी मंदिर, भूईंफोड़ मंदिर आदि मंदिरों में महिलाओं की ज्यादा भीड़ देखी गयी. जहां महिलाओं ने पुरोहित से हरितालिका तीज व्रत की कथा सुनी. इससे पूर्व गोबर से बने प्रथम पूज्य भगवान श्रीगणेश की वंदना की गयी. इसके बाद मिट्टी और बालू से बने शिव गौरी की प्रतिमा की पूजा अर्चना हुई.
खड़ेश्वरी मंदिर में सुनी गयी कथा :
खड़ेश्वरी मंदिर में अनुष्ठान के दौरान पुजारी मनोज पांडेय ने कथा सुनायी. कहा : माता पार्वती भगवान शिव को अपना पति बनाना चाहती थी, मगर माता-पिता ऐसा नहीं चाहते थे. पार्वती ने अपने सहेलियों के साथ वन में जाकर भगवान शंकर की घोर तपस्या की. तपस्या करते कई वर्ष बीत गए मगर भगवान प्रसन्न नहीं हुए. भाद्र महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को भगवान शंकर के मिट्टी और बालू की प्रतिमा बनाकर माता पार्वती ने व्रत रखकर पूर्ण विधि विधान के साथ भगवान की पूजा की. भगवान प्रसन्न हो गए एवं माता को दर्शन दिए एवं वरदान मांगने को कहा. वरदान के रूप में माता पार्वती ने भगवान शंकर से स्वयं को पति के रुप में मांगी व पत्नी के रूप में स्वीकार करने का वरदान मांगा. शनिवार सुबह पूजा अर्चना के बाद व्रती निर्जला व्रत तोड़ेंगी और पारण करेंगी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है