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Dhanbad News: खिलाड़ियों ने बताई अपनी आपबीती, कहा-धनबाद में नहीं है बेसिक सुविधाएं, करना पड़ता संघर्ष

राष्ट्रीय बैडमिंटन खिलाड़ी मयंक कुमार जिले में ना स्टेडियम है जो है उसकी स्थिति भी खराब है. स्टेडियम में लाइट की कमी है. जीतनी लाइट होनी चाहिए, उतनी नहीं है. सिंथेटिक कोर्ट होने चाहिए, लेकिन यहां वह भी नहीं है. जिला की तरफ से फंड भी नहीं मिलता है, अपना पैसा खर्च करना पड़ता है.

Dhanbad News : हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद की जयंती के रूप में खेल दिवस मनाया जाता है. इस मौके पर प्रभात खबर कार्यालय में बुधवार की सुबह खेल पर परिचर्चा का आयोजन किया गया. इसमें जिले के विभिन्न खेलों के कोच व लगभग 25 खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया. परिचर्चा में वॉलीबॉल, बास्केटबॉल, तीरंदाजी, बैडमिंटन, टेबल टेनिस, फुटबॉल, एथलेटिक्स आदि खेल के खिलाड़ियों ने भाग लिया. परिचर्चा में खिलाड़ियों ने खेलों की स्थिति, चुनौतियां एवं उपलब्धियां आदि पर चर्चा करते हुए खेल के प्रति प्रेरित किया. तमाम चुनौतियों के बाद भी खिलाड़ियों ने अपना प्रदर्शन बरकरार बनाए रखा है. परिचर्चा में कई जिला, राज्य, मिनी राष्ट्रीय, व राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी आए मगर सभी की एक ही मांग ग्राउन्ड व बेसिक सुविधा. मगर फिर भी चुनौतियों को हरा खिलाड़ी जिले से लेकर राज्य, राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर तक अपनी पहचान बना रहे है.

क्या-क्या सामने आयी समस्या ?

1. जिले में एथलेटिक्स, बैडमिंटन खेलों के लिए सिंथेटिक कोर्ट की सुविधा नहीं है.
2. खिलाड़ियों को खेलने के लिए फंड नहीं मिलता, खुद के पैसे खर्चते हैं.
3. खेल के लिए मैदान नहीं है, जो मैदान हैं, उसमें लाइट की सुविधा नहीं है.
4. वॉलीबॉल मैदान हीरापुर में बैरिकेडिं नहीं है, जिससे जानवर मैदान में घुस जाते हैं. खिलाड़ी भी जख्मी होते हैं.
5. निरसा के मैदानों में लाइट ही नहीं है. खिलाड़ियों को सिर्फ दिन करनी पड़ती है तैयारी.
6. जिले में ना स्पोर्ट्स ग्राउंड है और ना इंडोर स्टेडियम
7. टेबल टेनिस खेल में कोच की है कमी.
8. बेसिक सुविधा की कमी के वजह से खिलाड़ियों को उच्चतर स्तर प्रतियोगिता में होती है दिक्कत.
9. जिले में खिलाड़ियों के लिए डे बोर्डिंग सेंटर नहीं है.
10. तीरंदाजी के लिए ग्राउंड नहीं है और ना उपकरण उपलब्ध है.
11. सुविधा की कमी के वजह से टूर्नामेंट का आयोजन नहीं होता है.
12. खेलो झारखंड स्कीम के बारे में स्कूल नहीं देती है जानकारी, पूछने पर भी बोल जाता है ऐसा कुछ नहीं है.

खिलाड़ियों ने क्या-क्या दिये सुझाव

  1. सरकार खेलने के लिए बेसिक सुविधा उपलब्ध कराये तो हम देश का नाम रोशन करेंगे.
  2. खेल के मैदान को नशेड़ी अपना अड्डा ना बनायें, खेल के मैदान को खेल का मैदान रहने दें.
  3. सरकार खिलाड़ियों के लिए फंड की व्यवस्था करे, जिससे खिलाड़ियों पर पैसे का दबाव ना पड़े.
  4. जिले में एथलेटिक्स, बैडमिंटन आदि खेलों के लिए सिंथेटिक कोर्ट की व्यवस्था होने चाहिए.
  5. खेल के मैदान की बैरिकेडिंग करनी चाहिए, जिससे खिलाड़ी आवारा जानवरों से सुरक्षित रहें.
  6. मैदानों में लाइट की सुविधा होनी चाहिए, जिससे खिलाड़ी रात में भी प्रैक्टिस कर सकें.
  7. डेबोर्डिंग सेंटर की सुविधा होनी चाहिए, जिससे दूर से आने वाले खिलाड़ियों को दिक्कत ना हो.
  8. ज्यादा से ज्यादा प्रतियोगिता का आयोजन हो, जिससे खिलाड़ियों में जोश बना रहे.
  9. लड़कियों को भी खेलने का समान मौका मिले.
  10. सरकार द्वारा चल रही स्कीम की जानकारी विभाग खिलाड़ियों को दे, जिससे खिलाड़ी उसका फायदा ले सकें.

क्या कहते हैं खिलाड़ी

टेबल टेनिस खिलाड़ी अंकुर कुमार ने कहा कि जिले में कोच की कमी है. जिस वजह से हमें जिले से बाहर जाना पड़ता है. बेसिक संसाधन भी नहीं है. जिला स्तर पर गोल्ड व राज्य स्तर पर कांस्य पदक जीतने के बाद आब बारी राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतने की है. मगर बिना कोच व संसाधन के ये मुमकिन नहीं है.

टेबल टेनिस खिलाड़ी आदित्य राज ने कहा कि जिले में इंडोर स्टेडियम नहीं है और ना कोच है. जिससे उच्च स्तर पर खेलने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. मैंने राज्य स्तर पर कांस्य व जिला स्तर पर गोल्ड मेडल जीत चुका हूं. मैं अब भारत का प्रतिनिधित्व करना चाहता हूं. बिना संसाधन के ये मुमकिन नहीं है.

बास्केटबॉल खिलाड़ी, ऋषित मंत्री ने कहा कि मैं आइआइटी आइएसएम का छात्र हूं. मैंने पिछले सात सालों से बास्केटबॉल के साथ जुड़ा हूं. धनबाद में सिंथेटिक कोर्ट, इंडोर स्टेडियम की कमी है. जिस वजह से खिलाड़ियों को उच्च स्तर पर खेलने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. इस वजह से खिलाड़ी मेडल नहीं ला पाते हैं.

डिस्कस थ्रो व शॉट पुट खिलाड़ी शिल्पा सहिस ने कहा कि मैं निरसा में रहता हूं. वहां सबसे बड़ी समस्या ग्राउंड की है और जो ग्राउंड है, उसमें लाइट की सुविधा नहीं है. जिस वजह से दिन में ही अभ्यास करना पड़ता है. इसमें पढ़ाई का नुकसान होता है. दो बार राज्य स्तर पर खेल चुकी हूं. सपना अंतरराष्ट्रीय मेडल जीतने का है.

टेबल टेनिस खिलाड़ी सौरभ किशोर जिले में टेबल टेनिस के लिए ना कोई सुविधा है, ना कोच है और ना ही इंडोर स्टेडियम. मैंने तीन बार जिले स्तर पर गोल्ड मेडल जीता है व राज्य स्तर पर कांस्य पदक. आगे जाने के लिए जिले में बेसिक सुविधा नहीं हैं. जिस वजह से बाहर जाना पड़ता है. जिससे पढ़ाई में भी नुकसान होता है.

राष्ट्रीय वॉलीबॉल खिलाड़ी कृति दुबे जिले में वॉलीबॉल के लिए ग्राउंड नहीं है और जो है उसमें कोई सुविधा नहीं है. ग्राउंड में कोई बाउंड्री नहीं है जिस वजह से जानवर खेलते वक्त मैदान में आ जाते है. कई बार खिलाड़ियों को भी जख्मी कर देते हैं. ग्राउंड में लाइट भी नहीं है. रात में हमारा ग्राउंड नशेड़ियों का अड्डा बन जाता है.

राष्ट्रीय वॉलीबॉल खिलाड़ी खुशबत परवीन ने कहा कि सपना तो देश के लिए खेलने का है. सुविधा की कमी के वजह से शायद यह संभव नहीं है. जिले में कोई सुविधा नहीं है वॉलीबॉल के लिए. यहां ना ग्राउंड है व जो है उसमें लाइट ही नहीं है. रात में हमारा ग्राउंड नशेड़ियों का अड्डा बन जाता है. हर रोज सुबह ग्राउंड आकर शराब के बोतल की सफाई करनी पड़ती है.

राष्ट्रीय तीरंदाजी खिलाड़ी सिमरन कुमारी ने कहा कि मेरी उम्र आठ साल है. मैंने मिनी नेशनल टूर्नामेंट में गोल्ड मेडल भी जीता है. मुझे देश के लिए मेडल जीतने का सपना है. मगर वो इतने कम संसाधनों में पूरा नहीं हो पाएगा. मैं मेहनत करने को तैयार हूं. मगर बेसिक सुविधा भी नहीं मिलेगी तो आगे कैसे खेल पायेगे.

अंतरराष्ट्रीय ताइक्वांडों खिलाड़ी हिमाद्री पांडे ने कहा कि धनबाद जिले में ताइक्वांडों के लिए कोई सुविधा नहीं है. संसाधन की कमी के बाद भी मैंने एक बार गोल्ड व एक बार सिल्वर मेडल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जीता है. बेसिक सुविधा के नाम पर भी कोई सुविधा नहीं है. किसी भी खेल के लिए सबसे जरूरी चीज ग्राउंड होती है यहां वो भी नहीं है. इंडोर स्टेडियम भी नहीं है.

सीबीएसइ अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी सूरज तिवारी ने कहा कि धनबाद में कोई सुविधा नहीं है. स्टेडियम भी नहीं है. जो है उसका हाल भी बेहाल हो चुका है. स्टेडियम में भी पानी भर जाता है. जिस वजह से खेल भी हो पाती है. ग्राउंड में लाइट की सुविधा भी नहीं है. मैंने कई राष्ट्रीय,अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट खेले हैं.

अंतरराष्ट्रीय बैडमिंटन खिलाड़ी जॉय चटर्जी जिले में बैडमिंटन के लिए कोई सुविधा नहीं है. ना इंडोर स्टेडियम है ना कोर्ट है और जो है उसका हाल भी खराब हो चुका है. सिंथेटिक कोर्ट होने चाहिए लेकिन यहां वो भी नहीं है. खेल सामग्री भी नहीं मिलता है. फंड की भी कमी है. अपना पैसा लगा कर खेलने जाता पड़ता है.

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