खेल मंत्री ने साल भर पहले धनुष देने का किया था वादा, पर अब तक नहीं मिला
भाड़े के धनुष से झरिया की सिमरन ने राष्ट्रीय मिनी तीरंदाजी चैंपियनशिप 2023 में साधा था गोल्ड
शोभित रंजन,
झरिया कोयलांचल से आनेवाली सिमरन कुमारी ने साल 2023 की शुरुआत में भाड़े के धनुष से राष्ट्रीय मिनी तीरंदाजी चैंपियनशिप में गोल्ड पर निशाना साधा था. पिता शिव कुमार भुईंया आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने के चलते स्वयं धनुष नहीं खरीद सकते थे. बावजूद सिमरन ने किराये के धनुष से वह कर दिखाया, जो सुविधा संपन्न प्रतिभागी नहीं कर पाते हैं. बेटी की सफलता से उत्साहित शिव कुमार ने उसी साल रांची में सूबे के खेल मंत्री हफीजुल हसन से मुलाकात कर अपनी दोनों बेटियों के लिए आधुनिक धनुष की व्यवस्था कराने की मांग की. वह टुंडी विधायक मथुरा महतो का सिफारिशी पत्र भी ले गये थे. शिव बताते हैं, ‘सिमरन के नेशनल जीतने के बाद दोनों बेटियों के लिए आधुनिक धनुष की मांग को ले मैंने खेल मंत्री को पत्र दिया था. उन्होंने धनुष देने का आश्वासन दिया. उनके अनुशंसा पत्र को खेल निदेशक के पास जमा भी किया. बावजूद आज तक धनुष नहीं मिला. सिमरन और तनीशा आज भी एक ही धनुष से अभ्यास करती हैं.’राष्ट्रीय स्पर्धा के लिए 3000 रुपये किराये पर लिया था धनुष :
शिव कुमार भुईंया दोबारी कोलियरी क्षेत्र की भुईंया बस्ती में रहते हैं. घर के पास ही उनकी छोटी-सी चाय दुकान है. परिवार की आजीविका का मुख्य स्रोत यही दुकान है. घर का खर्च चलाने के बाद इतना पैसा नहीं बचता कि शिव बेटियों के लिए आधुनिक धनुष खरीद सकें. यही वजह है कि जब सिमरन कुमारी (8) व तनीशा (13) को राष्ट्रीय स्पर्धा में जाना था, तो 3000 रुपये किराये पर धनुष लेकर उन्हें चैंपियनशिप में भेजा. प्रतिभावान सिमरन ने अपने पिता का मान रखा. चैंपियनशिप में गोल्ड जीत कर साबित किया कि कड़ी मेहनत और जुनून से अभावों में भी लक्ष्य फतह किया जा सकता है. शिव कुमार कहते हैं कि उनकी दोनों बच्चियों का चयन दिसंबर 2022 में राष्ट्रीय मिनी तीरंदाजी चैंपियनशिप के लिए हुआ था. 2023 में सात जनवरी से 16 जनवरी तक विजयवाड़ा में चैंपियनशिप हुई. सिमरन ने संसाधनों की कमी के बावजूद शानदार प्रदर्शन किया. सिमरन व तनीशा आज भी उसी जुनून से तैयारी में जुटी हैं.टाटा स्टील फाउंडेशन से ले रहीं नि:शुल्क प्रशिक्षण :
शिव कुमार ने बताया कि तीरंदाजी के प्रति सिमरन का लगन देख उन्होंने उसे प्रोत्साहित किया. सिमरन को डिगवाडीह स्थित टाटा स्टील फाउंडेशन के आर्चरी फीडर में प्रशिक्षण के लिए ले गये. कोच मो शमशाद ने सिमरन की प्रतिभा देख उसे निःशुल्क प्रशिक्षण देना शुरू किया. शिव कहते हैं कि उनकी बेटी को गरीबी व संसाधन की कमी के कारण कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है. जब दोनों बेटियों ने खेलना शुरू किया था, तब उनके धनुष ले लिए बाइक बेचनी पड़ी थी. दोनों बहनें उसी धनुष से अभ्यास करती हैं. नेशनल स्तर की प्रतियोगिता के लिए यह धनुष सही नहीं है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है