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प्रभात खबर की रजत जयंती : सब मिल कर अच्छा सोचेंगे, तो अच्छा होगा, सबके सहयोग व साथ से आगे बढ़ेगा हमारा धनबाद

प्रभात संवाद कार्यक्रम में हुआ आधी आबादी का हुआ जुटान, सबने समस्या बतायीं, साथ ही समाधान भी सुझाया

प्रभात खबर के रजत जयंती पर प्रभात खबर के कार्यालय कोला कुसमा में गुरुवार को आधी आबादी का जुटान हुआ. ””हमारा शहर और हमारी जरूरतें”” पर आयोजित संवाद कार्यक्रम में हर क्षेत्र की महिलाओं ने शिरकत की. इस दौरान सबने खुल कर अपनी बातें रखी. एक ओर महिलाओं में शहर में खुलने वाले बड़े अस्पताल, माॅल, के लिए उत्साह था, तो दूसरी तरफ इस बात का दर्द भी था कि सब तरह से संपन्न धनबाद कई मामलों में पिछड़ा हुआ है. महिलाओं ने समस्याएं गिनायीं, तो समाधान भी सुझाया. खास बात यह कि शहर की समस्याओं से चिंतित महिलाएं इस बात से उत्साहित थीं कि सब मिल कर अच्छा सोचेंगे, तो अच्छा होगा और सबके सहयोग व साथ से हमारा शहर आगे बढ़ेगा.

जो समस्याएं सामने आयीं :

जाम से निजात मिले और फुटपाथ अतिक्रमण मुक्त हो, स्वास्थ्य सुविधा में सुधार हो और सरकारी अस्पतालों में सही इलाज हो, अच्छे शिक्षण संस्थान बनें, ताकि पलायन रोका जा सके, सांस्कृतिक विरासत को सहेजने के लिए मंच बने, कला के क्षेत्र में कलाकारों के काम को एक्सपोजर मिले, स्मार्ट मीटर से जनता परेशान हो रही है.

जो सुझाव दिये गये :

एयरपोर्ट बनाने के लिए जनप्रतिनिधि के साथ जनता भी पहल करें, शहर में सांस्कृतिक गतिविधि को बढ़ावा मिले, धनबाद जिला सांस्कृतिक परिषद को पहले जैसा सक्रिय किया जाये, साफ-सफाई मुहल्ले तक पहुंचे, कचरा सही से उठाया जाये, प्लाईओवर की सख्त जरूरत है, सड़क ठीक हो, तो जाम से छुटकारा मिलेगा, पार्किंग की व्यवस्था के साथ मॉल खुलने चाहिए.

आधी आबादी ने कहा

अपना शहर काफी बदला है, फैल रहा है. 90 के दशक में कम गाड़ियां हुआ करती थी. आज इतनी गाड़ियां हो गयी हैं कि सड़कें व गलियां कम पड़ गयी हैं. बैंकमोड़ से गोल बिल्डिंग तक बस की सुविधा होनी चाहिए. गंदगी व कचरा सही से साफ नहीं किया जाता है.

डॉ लीना सिंह

यहां बेटियों के स्पोर्ट्स के लिए कुछ नहीं है. कोई सुविधा उपलब्ध नहीं करायी जाती. बेटियां स्पोर्ट्स में आगे बढ़ें, इसका प्रयास किया जाना चाहिए. यहां एयरपोर्ट का न होना बहुत खलता है. प्रदूषण मुक्त धनबाद के लिए अधिक से अधिक पौधरोपण करने की जरूरत है.

मौली सामंता,

स्पोर्ट्स कोच

सबसे पहले, तो यहां गोविंदपुर से धनसार, धनसार से झरिया तक बस की सुविधा होनी चाहिए. वर्किंग पर्सन के लिए एसी बस हो. हर प्लेटफार्म पर बैटरीवाली गाड़ी हो, ताकि सीनियर सिटीजन व दिव्यांग लोगों को प्लेटफार्म के बाहर आने में परेशानी न हो. पर्यावरण के संतुलन के लिए पौधरोपण जरूरी है.

बर्नाली गुप्ता,

सोशल वर्करबच्चों के लिए स्पोर्ट्स एक्टिविटी भी नहीं है. न ही खेल का मैदान है. धनबाद बहुत ही महत्वपूर्ण जिला है. यहां कई महत्वपूर्ण विभागों के हेडक्वार्टर है, पर इसकी उपेक्षा हमेशा होती रही है. यहां एयरपोर्ट होना चाहिए. शहर के चौराहों को देख लें, सब बेहाल दिखते हैं.

नुपूर सांवड़िया,

एकल महिला समितिकोयलांचल बहुत शांतिप्रिय और अच्छा शहर है. सोच सकारात्मक रखेंगे, तभी सकारात्मकता आयेगी. यहां एयरपोर्ट का ना होना विडंबना है. फ्लाइट पकड़ने के लिए कोलकाता या रांची जाना पड़ता है. एयरपोर्ट तक पहुंचने में पूरा दिन बरबाद हो जाता है. यह बड़ी समस्या है.

दीपा तुलस्यान,

एकल महिला समिति

यहां की स्वास्थ्य सेवा बहुत ही दयनीय है. सरकारी अस्पताल में सही इलाज हो सके, इसे देखना चाहिए. बिजली की लचर व्यवस्था है. स्मार्ट मीटर ने लोगों की परेशानी बढ़ा दिया है. यहां मॉल, तो खुल रहे हैं, लेकिन पार्किंग की सुविधा नहीं दी जा रही है.

सुषमा प्रसाद,

व्यवसायीयहां बच्चों के खेलने की व्यवस्था नहीं है, पानी- बिजली-सड़क की समस्या से सब परेशान हैं. पीने के पानी के लिए भी मारामारी होती है. आखिर बुनियादी समस्याओं का समाधान स्थायी तौर पर क्यों नहीं किया जाता है. स्ट्रीट लाइट नहीं रहने से काफी परेशानी होती है.

रिया सिंह,

निदेशक, किडस केयर प्ले स्कूल

हमारा शहर कोयला राजधानी के रूप में विश्व में अपनी पहचान रखता है. लेकिन अभी भी विकसित नहीं हो पाया है. किसी भी शहर के विकास का पैमाना वहां की शिक्षा व्यवस्था व आर्थिक खुशहाली पर निर्भर है. यहां इंडस्ट्री की जरूरत है, ताकि बेरोजगारों को रोजगार मिल सके.

रूबी राज संकृत्यायन,

निदेशक, धनबाद इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजीलड़कियों के लिए बस की सुविधा बहुत जरूरी है. एयरपोर्ट की मांग कबसे की जा रही है. जनप्रतिनिधि को इस मुद्दे पर सकारात्मक पहल करने की जरूरत है. हमारा शहर बिना प्लानिंग के बसाया गया है, इसलिए न तो सड़कें सही हैं, न ही पार्किंग की सुविधा दी गयी है.

रेणु कौशल,

कोषाध्यक्ष, इनर ह्वील क्लबधन से आबाद धनबाद शहर में काफी प्रदूषण है. इसे कम करने के लिए आपसी सहयोग की जरूरत है. प्रदूषण के लिए हम खुद जिम्मेवार हैं. जहां-तहां गंदगी फैलाते हैं. आठ लेन सड़कों की रफ्तार पर नियंत्रण की जरूरत है. साथ ही यहां कैमरा व पर्याप्त लाइट होने चाहिए.

रमा सिन्हा,

व्यवसायी

यहां मेडिकल की सुविधा शून्य है. इसे सुधारने की जरूरत है. शिक्षा व स्वास्थ्य पर हर तबके का अधिकार है. हाइ क्लास के लोग, तो बाहर जाकर भी सुविधा ले लेते हैं, लेकिन मिडिल व लो क्लास तक सुविधा नहीं पहुंच पाती है. स्मार्ट मीटर भी सबकी परेशानी बढ़ा रहा है.

ललिता सिंह,

बीआइटी कर्मी

यहां का नगर निगम सिर्फ मुख्य सड़कों पर झाड़ू लगाने तक सीमित है. मुहल्लों में गंदगी पसरी रहती है. नाला जाम रहता है, इससे उनका कोई लेना-देना नहीं. टैक्स भरने के लिए समय से पहले फोन आ जाता है. ग्रामीण क्षेत्र की सड़के बहुत खराब है.

भारती दूबे,

को-ऑर्डिनेटर, पवित्रम मातृ शक्तिकोयलांचल के गली मुहल्लों की मुख्य सड़कों तक बिजली के पोल पर तारों का मकड़ जाल है. कई बड़े हादसे होने के बाद भी बिजली विभाग सचेत नहीं होता. सड़कें, तो बन जाती हैं, लेकिन मेंटनेंस के अभाव में फिर पुराना हाल हो जाता है. सड़कों की मेंटनेंस होनी चाहिए.

सुचिता साव,

फाउंडर मेंबर आशाएं वीमेंस ग्रुप

यहां बार बार मांग किये जाने के बाद भी एयरपोर्ट नहीं बन पाया है. कम से कम ट्रैफिक व्यवस्था दुरुस्त होनी चाहिए. फ्लाईओवर, तो बनना ही चाहिए. महिलाओं के लिए सेपरेट मार्केट बनना चाहिए. जहां शौचालय की सुविधा हो, सुरक्षा का भी इंतजाम हो.

सुनीता सिंह,

आशाएं वीमेंस ग्रुपइस शहर में कलाकारों की कमी नहीं, पर कला के लिए यहां जगह नहीं है. कलाकारों को सुविधा नहीं मिलती. यहां महिलाएं आगे बढ़कर काम करती हैं, तो उन्हें एक्सपोजर नहीं मिलता, बड़े शहरों की तरह यहां भी सुविधा व एक्सपोजर मिलना चाहिए. प्रतिभा को मंच मिलना चाहिए.

पूनम प्रसाद,

संयोजक, काला हीरा

पूरी दुनिया में अपनी पहचान रखनेवाला धनबाद एयरपोर्ट के लिए तरस रहा है. सबसे ज्यादा रेवेन्यू देने के बाद भी रेल की सुविधा नहीं है. सड़क की सुविधा ऐसी है कि कभी सफर पर निकलें, तो खुद पर तरस आ जाये. सड़क में गड्ढा है या गड्ढे में सड़ पता ही नहीं चलता है.

डॉ अमिता बागची,

सेंट्रल हॉस्पिटलजिस शहर के लोग रोटी कपड़ा मकान के लिए जद्दोजहद करते हैं, वहां हम विकास की बात कैसे कर सकते हैं. झोंपड़ियों के साथ विकास चाहते हैं या सभी स्वस्थ रहें, उनकी जरूरत पूरी हो यह चाहते हैं. यह हमारा शहर इसे सबके सहयोग से ही विकास की राह पर लाया जा सकता है.

डॉ माया प्रसाद,

अवकाश प्राप्त प्रोफेसरहमारा शहर है धनबाद, हम अपने शहर से प्यार करते हैं. इसे एजुकेशन हब व इंडस्ट्री हब बनाने की जरूरत है. जाम की समस्या विकट हो गयी है, किसी राजनेता या बड़े अधिकारी के आने पर सड़के जाममुक्त हो जाती है, आम दिन में भयावह स्थिति रहती है.

अनुराधा अग्रवाल,

सचिव, एकल महिला समितिधनबाद में कईं समस्याएं है, लेकिन सबसे ज्यादा जरूरत कि हमलोग इसे दूर करने में कितना सहयोग दे रहे हैं. आज आठ लेन सड़क बनकर तैयार है, लेकिन स्ट्रीट लाइट नहीं जल रही है. ट्रैफिक की समस्या सबसे ज्यादा है. जाम की समस्या दूर करने की पहल होनी चाहिए.

नीतू तिवारी,

अध्यक्ष सहयोग फाउंडेशन

मॉल तो बन गये, पर पार्किंग की व्यवस्था नहीं है. लोग जहां-तहां वाहन लगा देते हैं. इससे आम लोगों को बहुत परेशानी होती है. प्रशासन को इस मुद्दे पर कार्रवाई करनी चाहिए. नगर निगम को पार्किंग की जगह उपलब्ध कराना चाहिए. लोगों ऑनलाइन की जगह दुकानदारों से सामान लेना चाहिए.

राधा अग्रावाल,

शिक्षिका, डी-नोबिली स्कूल, सिंफर

हमारे शहर में हाई एजुकेशन के लिए बहुत अधिक विकल्प नहीं है. हमारे बच्चे प्लस टू के बाद हायर एजुकेशन के लिए बाहर चले जाते हैं. इस कारण अभिभावक तनाव में रहते हैं. धनबाद को भी एजुकेशन हब बनाने की जरूरत है, ताकि हमारी बच्चों को बाहर न जाना पड़े.

शैलबाला,

प्रभारी प्राचार्या, प्राथमिक विद्यालय, किस्टोपुर

मॉल तो खुल रहे हैं, लेकिन आधी अधूरी पार्किंग के साथ. हाॅकर्स के लिए मार्केट नहीं है. अतिक्रमण के नाम पर हमेशा उजाड़ दिये जाते हैं. प्रशासन द्वारा इन्हें स्थायी मार्केट उपलब्ध कराया जाये, ताकि इन्हें बार बार उजड़ना न पड़े. पार्किंग नहीं रहने से बहुत परेशानी हो रही है.

अंबिका गोयल,

व्यवसायी

विकास की बात तब तक पूरी नहीं लगती, जब तक बुनियादी जरूरतों से आम लोग वंचित रहते हैं. आम लोग पीने के पानी तक के लिए तरस रहे हैं. प्रदूषण भी काफी बढ़ता जा रहा है. इससे निजात पाने के लिए सभी को अधिक से अधिक पौधरोपण करने की जरूरत है.

मनिंद्र बंसल.B

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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