धनबाद जिले में खिलाड़ियों की कमी नहीं, पर यहां सुविधाओं के नाम पर आइवाश होता है. ऐसे में खिलाड़ी या तो दु:खी होकर खेल से हट जाते हैं या फिर आगे नहीं बढ़ पाते हैं. ऐसा क्यों हो रहा है. प्रभात खबर में पढ़ें किश्तवार रिपोर्ट. आज चर्चा बैडमिंटन की.
Dhanbad News : शोभित रंजन, धनबाद.
कला भवन में संचालित जिला बैडमिंटन एसोसिएशन व कोचिंग सेंटर में खिलाड़ियों के लिए सुविधाओं के नाम पर सिर्फ बैडमिंटन कोर्ट है. इसका भी हाल खराब है. यहां खिलाड़ियों के लिए कोई और सुविधा नहीं है. सरकार की ओर से एसोसिएशन या खिलाड़ियों को कोई सुविधा नहीं मिलती है. ऐसे में यहां खिलाड़ियों को काफी परेशानी झेलनी पड़ती है. सिंथेटिक कोर्ट नहीं होने से खिलाड़ियों को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है. जो कोर्ट है वह भी टूट हुआ है. यहां खेलने वाले खिलाड़ियों को बाहर खेलने में काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है. खिलाड़ी बताते हैं कि स्टेडियम में लाइट जितनी होनी चाहिए, उससे कम है. इस वजह से उन्हें प्रैक्टिस करने में दिक्कत होती है. स्टेडियम की दीवारों पर जो पेंट कराया गया है, उसका रंग कॉर्क से मिल जाता है. इससे खिलाड़ियों को कॉर्क को देखने में समस्या होती है.2003 में बन कर तैयार हुआ था स्टेडियम :
कला भवन में इंडोर स्टेडियम बनाने का काम 1999 में शुरू हुआ था, जो बनकर वर्ष 2003 में तैयार हुआ. यह शहर का एक मात्र इंडोर स्टेडियम है. इसमें जिले भर से खिलाड़ी बैडमिंटन खेलने व ट्रेनिंग लेने आते हैं. स्टेडियम की देखभाल जिला द्वारा गठित कमेटी करती है.इंडोर स्टेडियम से निकले हैं कई खिलाड़ी :
इंडोर स्टेडियम से अब तक सैकड़ों खिलाड़ी निकले हैं. जहां खेलने वाले खिलाड़ियों ने जिला, राज्य सहित राष्ट्रीय स्तर पर अपना व जिले का नाम रोशन किया है.क्या कहते हैं सचिव :
संघ के सचिव सम्राट चौधरी का कहना है कि इंडोर स्टेडियम के लिए कुछ सहायता राशि, बैडमिंटन, कॉक आदि वर्ष 2010 तक जिला प्रशासन द्वारा उपलब्ध कराये गये थे. उसके बाद कुछ नहीं मिला. ऐसे में खिलाड़ियों को बाहर जाने के लिए खुद खर्च करना पड़ता है. इससे खिलाड़ियों पर आर्थिक बोझ बढ़ता है.क्या हैं खिलाड़ियों को दिक्कत
– जिले में टूर्नामेंट की कमी से खिलाड़ियों को उच्च स्तर पर खेलने में दिक्कत होती है.– संसाधनों की कमी के कारण खिलाड़ियों को उच्च प्रतियोगिता में परेशानी होती है.
– सिंथेटिक कोर्ट की जगह लकड़ी के बने कोर्ट पर खेलते हैं खिलाड़ी.– कोर्ट में लगे लकड़ी के दो पटरे भी टूट गये हैं. इससे खेलने में परेशानी होती है.
– जिला प्रशासन से नहीं मिलती है सहायता राशि.– खुद का पैसा खर्च कर बाहर खेलने जाते हैं खिलाड़ी.
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