इस दीपावली एक दीया नेह का जलायें, अब मानसिक-सामाजिक जाले की भी सफाई जरुरी- जीवेश रंजन सिंह

जनसरोकार के लिए प्रतिबद्ध प्रभात खबर ने इस बार इन तीन जिले धनबाद, बोकारो और गिरिडीह के विभिन्न स्कूलों में बच्चों से शपथ दिलाया कि वो अपने एक गरीब साथी की मदद करेंगे, उनकी दीपावली मीठी करेंगे. इस अभियान में शामिल हजारों बच्चों ने जिस उत्साह का परिचय दिया.

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 24, 2022 8:35 AM

जीवेश रंजन सिंह, वरीय संपादक (प्रभात खबर): दीपोत्सव को लेकर घर से लेकर बाजार तक सज-धज कर तैयार है. अंधकार पर प्रकाश की विजय के प्रतीक इस पर्व की तैयारी अंतिम चरण में है. साफ-सफाई और नेम-ध्यान के साथ सब इसकी तैयारी में जुटे हैं. यह एक ऐसा पर्व है जिसका धार्मिक पक्ष बहुत मजबूत है, तो आर्थिक पक्ष भी कम दमदार नहीं.

साफ-सफाई के नाम पर जहां बाजार गुलजार रहता है, तो धनतेरस पर धन की बरसात होती है. पर इन सबसे इतर इसका सामाजिक पहलू भी कम मजबूत नहीं. इस दीपावली एक बार इसे आत्मसात करने की जरूरत है.

सच तो यह है कि ये देश को पोषित-पल्लवित करने वाले जिलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. बावजूद इसके कुछ बातें कभी-कभी खटकती हैं. कोई एक फांस है, जो बेचैन करती है. तो क्या इस दीपावली घर के जाले (गंदगी) की जगह इस मानसिक-सामाजिक जाले की सफाई संभव नहीं ?  

जनसरोकार के लिए प्रतिबद्ध प्रभात खबर ने इस बार इन तीनों जिले के विभिन्न स्कूलों में बच्चों से शपथ दिलाया कि वो अपने एक गरीब साथी की मदद करेंगे, उनकी दीपावली मीठी करेंगे. इस अभियान में शामिल हजारों बच्चों ने जिस उत्साह का परिचय दिया, खुद को और अपने अभिभावक को जरूरतमंदों की दीपावली मीठी करने के लिए प्रोत्साहित किया, वह दिल को छूने वाला, सीख देने वाला था. क्या इन बच्चों के संकल्प को हम नहीं अपना सकते.

अगर धनबाद, बोकारो व गिरिडीह के सामाजिक परिदृश्य पर एक नजर डालें, तो तीनों ही जगह दो दुनिया है, एक उनकी जिनकी मुट्ठी में सबकुछ है, तो दूसरी वो जिनके लिए सामान्य चीजें भी हैं सपना. क्या इस दीपावली इनके सपनों को रंग नहीं भर सकते?

और अंत में…बौद्ध दर्शन का एक सूत्र वाक्य है ‘अप्प दीपो भव’ (अपना प्रकाश स्वयं बनो). अगर सच में मन का अंधेरा दूर करना है, शहर को विकास के पथ पर रोशन करना है तो एक दीया शहर के नाम, खुद के नाम जरूर हो. इस नेह के दीये के भरोसे ही सबकी दीपावली होगी मीठी.

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