Doctors” Day : चिकित्सकों का करें सम्मान, क्योंकि यही हैं धरती के भगवान

सीमित संसाधनों के बावजूद गंभीर मरीजों की सेवा में जुटे रहते हैं एसएनएमएमसीएच के चिकित्सक

By Prabhat Khabar News Desk | July 1, 2024 1:40 AM

अगर धरती पर चिकित्सक नहीं होते तो मानव जीवन खतरे में पड़ जाता. चिकित्सकों के सम्मान में हर साल एक जुलाई डॉक्टर्स डे यानी चिकित्सक दिवस मनाया जाता है. भारत में पहली बार राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस मनाने की शुरुआत साल 1991 से हुई थी. यह दिन डॉक्टरों के सम्मान का है. जिस तरह एक चिकित्सक मरीजों के उत्तम स्वास्थ्य के लिए दिन-रात उनकी सेवा करते हैं. हालात कैसी भी हो, एक चिकित्सक अपने मरीज का इलाज के बीच में नहीं छोड़ता. हमारा भी कर्तव्य है कि हम चिकित्सक का सम्मान करें, क्योंकि यही धरती के भगवान हैं.

एसएनएमएमसीएच है शानदार उदाहरण :

हमारे आस-पास ऐसे चिकित्सकों के कई उदाहरण देखने को मिल जायेंगे, जिनकी वजह से मरीजों का भरोसा सरकारी अस्पतालों पर बढ़ा है. धनबाद के सबसे बड़े अस्पताल शहीद निर्मल महतो मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (एसएनएमएमसीएच) पर ही भरोसा है कि यहां रोजाना विभिन्न गंभीर बीमारियों से ग्रसित 150 से 200 से मरीज रोजाना पहुंचते हैं. ओपीडी में रोजाना 1500 मरीजों का इलाज होता है. इसके अलावा सड़क दुर्घटना समेत विभिन्न कारणों से घायल लोग भी इलाज के लिए एसएनएमएमसीएच पहुंचते है. सीमित संसाधन के बावजूद चिकित्सकों के प्रयास से मरीज न सिर्फ ठीक होते है, बल्कि उनके चेहरे पर मुस्कान भी आती है.

हर परिस्थिति में इलाज के लिए तैयार रहते हैं चिकित्सक :

एसएनएमएमसीएच में धनबाद के अलावा, गिरिडीह व जामताड़ा के मरीज भी इलाज कराने के लिए पहुंचते है. परिस्थिति कैसी भी हो, मरीजों की हालत कितनी भी गंभीर ही क्यों न हो. यहां पहुंचने वाले हर मरीज का इलाज अस्पताल के चिकित्सक करते है. सैकड़ों मामले हैं, जहां, मरणासन्न स्थिति में अस्पताल पहुंचे मरीजों को चिकित्सकों के अथक प्रयास से नयी जिंदगी मिली.

मरीजों के इलाज में इंटर्न की भूमिका अहम

: एसएनएमएमसीएच में एमबीबीएस पास करने के साथ ही इंटर्न के रूप में डॉक्टर मरीजों की सेवा में जुट जाते हैं. इंटर्न डॉक्टर अस्पताल की इमरजेंसी से लेकर इंडोर व ओपीडी तक में मरीजों को सेवा देते हैं. खासकर इमरजेंसी में तीन शिफ्ट में एमबीबीएस पास चिकित्सक दिन रात मरीजों की सेवा करते हैं. गंभीर स्थिति में अस्पताल की इमरजेंसी में पहुंचने वाले मरीजों को यही इंटर्न संभालते हैं.

समाज का काला धब्बा, जिसे बदलना जरूरी :

यह भी देखा गया है कि दिन रात मरीजों की सेवा में लगे होने के बावजूद डॉक्टरों को असामाजिक तत्वों का निशाना बनना पड़ता है. सच्चे मन से सेवा करने के बावजूद इनपर इलाज में लापरवाही का आरोप लगता है. कई मामलों में डॉक्टरों के साथ मारपीट भी हो जाती है. इनसे रंगदारी तक की मांग की जाती है. पिछले कुछ सालों में शहर के प्रसिद्ध चिकित्सकों से रंगदारी की मांग की बात सामने आ चुकी है. डर के इस माहौल में भी उक्त चिकित्सकों ने पूरी ईमानदारी के साथ अपना काम जारी रखे हुए हैं. ताकि, कुछ अपराधियों के कारण मरीजों को परेशानियों का सामना नहीं करना पड़े.

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