कोरोना के चक्कर में सामान्य मरीजों का नहीं हो पा रहा उपचार
धनबाद : कोरोना कोविड-19 के कारण धनबाद जिला के सभी निजी व कॉरपोरेट अस्पतालों में ओपीडी बंद है. इससे आम मरीजों खासकर सर्दी, बुखार वाले मरीजों को दुकानदारों से ही दवा लेकर खुद से ही स्वस्थ होना पड़ रहा है. कॉर्डियो, न्यूरो तथा ऑर्थो के मरीजों को ही इंडोर में सुविधाएं मिल पा रही है.क्या […]
धनबाद : कोरोना कोविड-19 के कारण धनबाद जिला के सभी निजी व कॉरपोरेट अस्पतालों में ओपीडी बंद है. इससे आम मरीजों खासकर सर्दी, बुखार वाले मरीजों को दुकानदारों से ही दवा लेकर खुद से ही स्वस्थ होना पड़ रहा है. कॉर्डियो, न्यूरो तथा ऑर्थो के मरीजों को ही इंडोर में सुविधाएं मिल पा रही है.क्या हो रही है परेशानीधनबाद के निजी अस्पतालों में पिछले 20 दिनों से ओपीडी बंद है. दवा दुकानों में बैठने वाले डॉक्टर भी मरीजों का उपचार नहीं कर रहे हैं. कई दवा दुकानदार खुद से मरीजों को दवा दे रहे हैं.
कोरोना वायरस का मुख्य लक्षण सर्दी, बुखार, सांस फूलना होने के चलते पीएमसीएच को छोड़ किसी भी सरकारी या निजी अस्पताल में फ्लू के मरीजों को भर्ती भी नहीं लिया जा रहा है. ऐसे लक्षण वाले मरीजों को सीधे पीएमसीएच भेज दिया जा रहा है. वहां थर्मल स्कैनिंग के बाद अगर पारा 99 से ऊपर आता है तो उन्हें पीएमसीएच या सदर अस्पताल के इंडोर में भर्ती किया जा रहा है.एशियन जालान में एंजियोप्लासट भी हो रहाएशियन जालान अस्पताल में कॉर्डियो व न्यूरो के मरीजों का उपचार हो रहा है. लॉकडाउन के दौरान अस्पताल के इंडोर में भर्ती होने वाले मरीजों की औसत संख्या 25 है. जीवन रेखा ट्रस्ट के सचिव राजीव शर्मा के अनुसार इसमें कार्डियो के मरीजों की संख्या ज्यादा है. हार्ट अटैक के 14 मामले आये, जिसमें से चार का एंजियोप्लास्ट किया गया. अस्पताल की इमरजेंसी सेवा चालू है. लेकिन, इमरजेंसी में भी सर्दी, बुखार के लक्षण वाले मरीजों का उपचार नहीं हो रहा है. श्री शर्मा के अनुसार अगर कोई कोरोना पॉजिटिव मरीज आ जाये तो पूरे अस्पताल को कोविड अस्पताल के रूप में तब्दील करना होगा. दूसरे मरीजों का उपचार संभव नहीं होगा.
इसलिए सर्दी, बुखार वाले मरीजों का उपचार नहीं किया जा रहा.असर्फी में एंजियोग्राफी, पेस मेकर भी लग रहाअसर्फी अस्पताल में लॉकडाउन अवधि में भी गंभीर मरीजों का उपचार चल रहा है. यहां भी कॉर्डियो, न्यूरो के मरीजों को भर्ती किया जा रहा है. अस्पताल के सीइओ हरेंद्र सिंह के अनुसार लॉकडाउन लागू होने के बाद 10 अप्रैल तक यहां 18 मरीजों का एंजियोग्राफी की गयी. आठ को एंजियोप्लास्ट तथा दो को स्थायी पेस मेकर लगाया गया. कहा कि अस्पताल की इमरजेंसी में मरीजों का उपचार तो रहा है. लेकिन, यहां भी वायरल फीवर, सर्दी-खांसी वालों को एहतियातन उपचार नहीं किया जा रहा. सभी को पीएमसीएच ही भेजा जा रहा है.बॉक्समरीजों के हित में बंद है ओपीडी : डॉ सिंहप्रसिद्ध चिकित्सक डॉ एनके सिंह ने कहा है कि निजी अस्पताल, क्लिनिकों में डॉक्टरों ने मरीज हित में ही ओपीडी बंद किया है. कहा हर डॉक्टर के क्लिनिक में औसतन प्रति दिन लगभग 50 मरीज आते हैं. हर मरीज के साथ एक से दो अटेंडेंट आते हैं. उसमें कोई भी कोविड-19 पॉजिटिव केस हो तो वह संक्रमण सभी दो सौ लोगों में फैल जायेगा. वे लोग आपने-अपने गांव चले गये तो संक्रमन पूरे गांव में फैल जायेगा. अगर डॉक्टर, स्टाफ कोविड पॉजिटिव हो गये तो 10 दिनों में दो हजार से से भी ज्यादा लोग सिर्फ हॉस्पिटल-क्लिनिक के कारण संक्रमित हो जायेंगे. इतने लोगों को संक्रमित करना लॉकडाउन के उद्देश्य के विपरीत है. राजनीतिक दल, मीडिया एवं राज नेता से निवेदन है कि प्राइवेट डॉक्टरों के खिलाफ भ्रम न फैलाएं. कहीं भी इमरजेंसी सेवा बंद नहीं है.