DHANBAD NEWS : कहीं भितरघात, तो कहीं गुटबाजी पड़ी दिग्गजों पर भारी

पूर्णिमा, अपर्णा व तारा नहीं बचा पायीं सीट, राज और मथुरा का कब्जा बरकरार

By Prabhat Khabar News Desk | November 26, 2024 1:12 AM

धनबाद जिले के छह विधानसभा सीटों में झरिया से कांग्रेस, निरसा व सिंदरी से सिंदरी भाजपा अपनी सीट नहीं बचा पायी. वहीं धनबाद से राज सिन्हा व टुंडी से मथुरा महतो ने अपनी सीट बरकरार रखी. इसके अलावा निरसा से अरूप चटर्जी की वापसी हुई. कुल मिलाकर देखें तो कहीं भितरघात हुआ, तो कई पार्टी के वरीय नेताओं की गुटबाजी के कारण दिग्गजों को हार का मुंह देखना पड़ा. कुछ स्थानों पर बड़े राष्ट्रीय दल ने स्थानीय को मौका दिया, लेकिन चर्चित चेहरा न होना भी भारी पड़ा.

धनबाद में कांग्रेस को करना पड़ा भितरघात का सामना :

धनबाद विधानसभा भाजपा का गढ़ माना जाता है और इस किले को ध्वस्त करने के लिए अजय दुबे को कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में उतारा गया था. धनबाद में कांग्रेस को एक तरफ भितरघात का सामना करना पड़ा, वहीं जिला स्तर के नेताओं में को-ऑर्डिनेशन की कमी दिखी. कांग्रेस नेताओं के बीच मारपीट और एकजुटता की कमी के कारण धनबाद में कांग्रेस प्रत्याशी नहीं जीत पाये और बड़े अंतर से भाजपा विधायक राज सिन्हा के हाथों शिकस्त हुई.

झरिया में वोटरों को एकजुट नहीं रख पाया रघुकुल

: 2019 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी पूर्व विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह ने अपने प्रतिद्वंद्वी भाजपा प्रत्याशी रागिनी सिंह को हरा कर चुनाव जीता था. चुनाव जीतने के बाद पूर्णिमा नीरज सिंह अपने लोगों से मिलती जुलती रहीं, लेकिन वोटरों को एकजुट रखने में असफल रहीं. वहीं रागिनी सिंह ने वोटरों को अपने पक्ष में करने के लिए खूब मेहनत की और पार्टी के लोग दिन रात लगे रहे. इस कारण रागिनी सिंह ने 14511 मतों से पूर्णिमा नीरज सिंह को हराकर पहली बार विधानसभा पहुंची.

बाघमारा में रोहित की एंट्री, कांग्रेस पर पड़ी भारी

: बाघमारा विधानसभा क्षेत्र में पिछले तीन बार से सांसद ढुलू महतो विजयी रहे हैं. इस बार उनके बड़े भाई शत्रुघ्न महतो को भाजपा ने टिकट दिया. उनके सामने दिग्गज नेता जलेश्वर महतो थे. उन्होंने पूरा जोर लगाया, लेकिन भाजपा वोटरों को अपने पक्ष में नहीं कर पाये. दूसरा कारण निर्दलीय प्रत्याशी रोहित यादव की एंट्री रही. उन्होंने कांग्रेस का वोट काटा. इसका असर रहा कि जलेश्वर हार गये.

सिंदरी में इंद्रजीत महतो की कमी खली :

सिंदरी विधानसभा में इंद्रजीत महतो की कमी खल रही थी. चुनाव मैदान में भाजपा की ओर से उनकी पत्नी तारा देवी थीं, तो दूसरी तरफ चार बार के विधायक रहे आनंद महतो के पुत्र चंद्रदेव महतो भाकपा माले के टिकट पर चुनाव लड़ रहे थे. पिता और पुत्र ने खूब मेहनत की, और उन्होंने भाजपा के वोट में सेंधमारी की. इसका असर था कि तारा देवी को वहां से कुछ मत से हार का मुंह देखना पड़ा.

अकेला पड़ गये थे टुंडी में भाजपा प्रत्याशी :

टुंडी विधानसभा क्षेत्र से झामुमो के मथुरा प्रसाद महतो ने हैट्रिक लगायी. पहले की तरह बड़े अंतर से भाजपा प्रत्याशी विकास कुमार महतो को हरा दिया. विकास कुमार महतो जिला परिषद सदस्य हैं. पहले वह मुखिया संघ के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं. टुंडी का स्थानीय प्रत्याशी भी था. उन्होंने 2019 के चुनाव से लगभग 24 हजार मत अधिक प्राप्त किया. वह तो नाम के एनडीए प्रत्याशी थे, लेकिन आजसू का कोई बड़ा नेता उनके प्रचार में नहीं पहुंचे. यहां तक कि सीटिंग सांसद भी टुंडी विकास के लिए प्रचार को नहीं पहुंचे थे. आजसू के जिला कार्यकारी अध्यक्ष हलधर महतो की पत्नी खुद चुनाव लड़ रही थी. इसका भी असर पड़ा. उन्होंने वोट तो बढ़ाया, लेकिन झामुमो के मतों मे सेंधमारी नहीं कर सके. ऊपर से जेएलकेएम प्रत्याशी का असर तोपचांची में दिखा.

निरसा में वोट ज्यादा लाने के बाद भी हारीं अपर्णा :

निरसा विधानसभा सीट को बचाने में अपर्णा सेनगुप्ता चूक गयीं. पिछले विधानसभा चुनाव से ज्यादा वोट लाने के बाद भी वह अपनी सीट बचाने में कामयाब नहीं हुई. इसका एक मुख्य कारण जेएलकेएम प्रत्याशी अशोक मंडल का मैदान होना था. इंडिया गठबंधन की तरफ से झामुमो, भाकपा माले, कांग्रेस व आरजेडी का वोट भी एकजुट रहा. इस वजह से वह अरूप चटर्जी ने मैदान मार लिया. हालांकि उन्होंने मात्र 1808 वोट से से ही जीत हासिक की.

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