शहर के सभी निजी स्कूलों में 2025-26 के लिए नामांकन प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. इसी के साथ ही स्कूलों ने शुल्क बढ़ाने की योजना बना ली है. हांलांकि, किसी स्कूल ने आधिकारिक तौर पर इसकी घोषणा नहीं की है, लेकिन स्कूल प्रबंधकों का कहना है कि शिक्षा के अधिकार (आरटीइ) कानून 2019 के तहत अगले सत्र में फीस में बढ़ोतरी की जायेगी. इस कानून के अनुसार, पब्लिक स्कूल एक वर्ष के अंतराल पर फीस बढ़ा सकते हैं. गौरतलब है कि 2024 में अधिकांश स्कूलों ने फीस में कोई बढ़ोतरी नहीं की थी. अभिभावकों को इसकी जानकारी चालू सत्र के समापन के बाद फाइनल परीक्षा का रिजल्ट के साथ दी जायेगी.
10 फीसदी से अधिक शुल्क बढ़ाने के लिए फीस कमेटी से अनुमति की जरूरत :
पब्लिक स्कूलों के प्रबंधकों के अनुसार, आरटीइ के तहत वे अधिकतम 10 प्रतिशत तक फीस बढ़ा सकते हैं, लेकिन इसके लिए उन्हें उपायुक्त की अध्यक्षता वाली फीस कमेटी से अनुमति लेनी होती है. इसलिए, स्कूल फीस में बढ़ोतरी 10 प्रतिशत से कम होगी, जो पांच से नौ प्रतिशत तक हो सकती है.नये स्कूल नहीं बढ़ायेंगे फीस :
शहर में पिछले तीन से चार वर्षों में खुले नये स्कूल इस वर्ष भी फीस नहीं बढ़ाने जा रहे हैं. नये स्कूल अधिक से अधिक नामांकन लेने के लिए यह कदम उठा रहे हैं. नामांकन प्रतिस्पर्धा के चलते वे अभिभावकों को नामांकन शुल्क में भी छूट दे रहे हैं. कई स्कूल लड़कियों के नामांकन पर शुल्क माफी की घोषणा कर रहे हैं, तो कुछ लड़के और लड़कियों में किसी के भी नामांकन पर 50 प्रतिशत तक छूट दे रहे हैं.पाठ्यपुस्तकों की कीमतों में वृद्धि :
नये सत्र से पाठ्यपुस्तकों की कीमत में वृद्धि भी अभिभावकों की जेब पर असर डालेगी. शहर के एक प्रमुख स्कूली पुस्तक विक्रेता के अनुसार यह स्कूलों द्वारा प्रकाशकों से लिये जा रहे अतिरिक्त कमीशन कारण पुस्तकों की कीमत में वृद्धि होगी. अगले सत्र के लिए स्कूलों ने अपने कमीशन को पिछले वर्ष की तुलना में 10 से 20 प्रतिशत तक बढ़ा दिया है. इसका सीधा असर किताबों की कीमतों पर पड़ेगा. इसी अनुपात में किताबों की कीमतों में वृद्धि होगी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है