लॉकडाउन में सड़ गयी पांच करोड़ की मिठाई
धनबादलॉक डाउन से मिठाई का कारोबार शून्य पर पहुंच गया है. न तो दुकानें खुल रही है अौर न ही अॉन लाइन कारोबार हो रहा है. स्टाफ पेमेंट, महाजनों का बकाया व बैंक का इएमअाइ कारोबारियों के लिए सिरदर्द बन गया है. लंबे समय से दुकानें बंद रहने के कारण दुकान व कारखाना में तैयार […]
धनबादलॉक डाउन से मिठाई का कारोबार शून्य पर पहुंच गया है. न तो दुकानें खुल रही है अौर न ही अॉन लाइन कारोबार हो रहा है. स्टाफ पेमेंट, महाजनों का बकाया व बैंक का इएमअाइ कारोबारियों के लिए सिरदर्द बन गया है. लंबे समय से दुकानें बंद रहने के कारण दुकान व कारखाना में तैयार माल खराब हो गया. जिले में लगभग पांच करोड़ के नुकसान का अनुमान है. जिले में मधुलिका, बांम्बे स्वीट्स, गोविंदा, माखन भोग सहित दो दर्जन मिठाई की बड़ी दुकानें है. इसके अलावा 1200 छोटे-बड़े मिठाई की दुकान है. लॉक डाउन शुरू होते ही बिहार व बंगाल के कारीगर चले गये हैं. लॉक डाउन के खत्म होने के बाद वापस अायेंगे या नहीं यह स्पष्ट नहीं है. शून्य से शुरू करना पड़ेगा कारोबार.
मधुलिका के संचालक अशोक चौरसिया की मानें तो लॉक डाउन से मिठाई कारोबारियों को बड़ा नुकसान हुअा है. अब शून्य से मिठाई का कारोबार शुरू करना पड़ेगा. लॉक डाउन के दौरान कुछ स्टाफ चले गये. कुछ स्टाफ हैं जिन्हें कारखाना में राशन दिया जा रहा है. लॉकडाउन के खत्म होने के बाद भी कारोबार शुरू करने में काफी समय लगेगा. फिलहाल हमलोगों के सामने सबसे बड़ी समस्या है, स्टाफ का पेमेंट, महाजन का बकाया अौर बैंक का इएमअाइ. जब लॉकडाउन खत्म होगा तो सबसे पहले दुकानों में पड़ा स्क्रैप को हटाया जायेगा. दुकानों को हाइजेनिग वाशिंग करना पड़ेगा.
री-स्टार्ट करना बड़ी चुनौती होगी बोम्बे स्वीट्स के संचालक विकास ने कहा कि 22 मार्च को जनता कर्फ्यू था. सूचना थी कि 23 से एक सप्ताह के लिए लॉक डाउन की घोषणा होगी. लिहाजा दुकान में रखा सभी अाइटम निकाल कर गुजराती समाज के माध्यम से जरूरतमंद लोगों के बीच बंटवा दिया गया. कुछ रॉ मेटेरियल बचा है जिसे कोल्ड स्टोर में रखा गया है. लॉक डाउन से लाखों का नुकासन हुअा है.
मिठाई का कारोबार अब शून्य से शुरू करना पड़ेगा. कारीगर को लेकर परेशानी बढ़ेगी. जब तक कारीगर लौट कर नहीं अायेंगे, काम शुरू करना संभव नहीं है. प्रशासन ने अॉन लाइन मिठाई सप्लाई करने का अादेश जारी किया था. लॉक डाउन होते ही बाहर रहनेवाले कारीगर अपने-अपने घर लौट गये. जब स्टाफ ही नहीं रहा तो अॉन लाइन मिठाई का सप्लाई कैसे संभव होगा.