पूर्व मंत्री बच्चा सिंह का निधन, आज बनारस में होगी अंत्येष्टि

लंबी बीमारी के बाद धनबाद के एक निजी अस्पताल में ली अंतिम सांस, वर्ष 2000 में झरिया से चुने गये थे विधायक

By Prabhat Khabar News Desk | July 30, 2024 2:08 AM
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राज्य के पूर्व नगर विकास मंत्री व झरिया के पूर्व विधायक बच्चा सिंह का निधन सोमवार को धनबाद के एक निजी अस्पताल में इलाज के दौरान हो गया. वह लगभग 80 वर्ष के थे और पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे. उनका अंतिम संस्कार मंगलवार की सुबह बनारस में गंगा तट पर होगा. झरिया के पूर्व विधायक सूर्यदेव सिंह के अनुज बच्चा सिंह पिछले चार दशक से यहां की मजदूर राजनीति में सक्रिय थे. वर्ष 2000 में झरिया से विधायक चुने गये थे. अलग झारखंड राज्य बनने पर बाबूलाल मरांडी की सरकार में वह मंत्री बनाये गये. बच्चा सिंह जनता मजदूर संघ (बच्चा गुट) के महामंत्री भी थे. उनका उपचार धनबाद और नयी दिल्ली के कई अस्पतालों में कराया गया. शनिवार की रात तबीयत बिगड़ने पर उन्हें एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. मंगलवार दोपहर 12 बजे के करीब उन्होंने अंतिम सांस ली. इस दौरान उनकी बहू झरिया विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह, भतीजा अभिषेक सिंह, पूर्व डिप्टी मेयर एकलव्य सिंह मौजूद थे. निधन की सूचना पर पूरे कोयलांचल में शोक की लहर दौड़ गयी है. बड़ी संख्या में समर्थक एवं शुभचिंतक अस्पताल पहुंच गये. बच्चा सिंह का पार्थिव शरीर अस्पताल से सरायढेला स्थित उनके आवास पर लाया गया. जवानों ने दी शोक सलामी : पूर्व मंत्री को जिला एवं पुलिस प्रशासन की तरफ से भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गयी. एडीएम (विधि-व्यवस्था) हेमा प्रसाद, एसडीएम उदय रजक, डीएसपी वन शंकर कामती, डीएसपी (विधि-व्यवस्था) दीपक कुमार सहित कई अधिकारियों ने उनके शव पर पुष्प चक्र अर्पित कर श्रद्धांजलि दी. पुलिस जवानों ने शोक सलामी दी. देर शाम शव को लेकर परिजन बनारस के लिए रवाना हो गये.

कोट

झारखंड सरकार में पूर्व मंत्री और झरिया विधानसभा के पूर्व विधायक बच्चा सिंह के निधन का दुखद समाचार मिला. वे हमेशा मजदूरों के हक और अधिकार की लड़ाई लड़ते रहे. परमात्मा दिवगंत आत्मा को शांति प्रदान कर शोकाकुल परिवारजनों को दुख की यह विकट घड़ी सहन करने की शक्ति दे.

हेमंत सोरेन, मुख्यमंत्री

2009 में भतीजा नीरज सिंह को किया था राजनीति में लांच

धनबाद . पूर्व मंत्री बच्चा सिंह ने वर्ष 2009 में अपने को दलगत राजनीति से एक तरह से अलग कर लिया था. 2009 विधानसभा चुनाव से पहले श्री सिंह भाजपा में शामिल हुए थे. उस वक्त धनबाद विधानसभा सीट से भाजपा के टिकट के दावेदार थे. लेकिन, पार्टी ने यहां राज सिन्हा को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया. नाराज बच्चा सिंह ने अपने भतीजा नीरज सिंह को विधानसभा चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतार दिया. नीरज सिंह ने 18 हजार से अधिक मत ला कर सबको चौंका दिया. इसके तुरंत बाद नीरज सिंह डिप्टी मेयर का चुनाव लड़े. नीरज सिंह के राजनीति में सक्रिय होने के बाद बच्चा सिंह ने खुद को पूरी तरह मजदूर राजनीति में सक्रिय कर लिया. नीरज सिंह की हत्या के बाद उनकी पत्नी पूर्णिमा नीरज सिंह राजनीति में आयीं. झरिया की विधायक बनीं.

अतिक्रमण हटाओ अभियान के खिलाफ संभाले थे मोर्चा : दलगत राजनीति से अलग होने के बाद पूर्व मंत्री बच्चा सिंह ने वर्ष 2011 में अतिक्रमण हटाओ अभियान के खिलाफ धनबाद में हुए बड़े जनांदोलन का मोर्चा संभाले हुए थे. मटकुरिया गोलीकांड के बाद जब धनबाद में कर्फ्यू लगा था. तब पूर्व मंत्री बच्चा सिंह के खिलाफ भी मुकदमा हुआ था. गिरफ्तार हो कर जेल गये थे. अब भी इस मामले में कोर्ट में मुकदमा चल रहा है.

रांची जाने के क्रम में घाटी से वापस लौटीं विधायक पूर्णिमा

धनबाद . झरिया की विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह सोमवार को विधानसभा सत्र में भाग लेने के लिए रांची जा रही थी. पिठौरिया घाटी के पास सूचना मिली कि पूर्व मंत्री की तबीयत ज्यादा बिगड़ गयी है. वहीं से विधायक वापस धनबाद लौट गयीं. सीधे अस्पताल पहुंचीं.

0-बच्चा सिंह ने हमेशा राजनीतिक मानदंडों का ख्याल रखा

फोटो : नामधारी

इंदर सिंह नामधारी

प्रथम स्पीकर, झारखंड विधानसभा

बच्चा सिंह से मेरे काफी घनिष्ठ संबंध रहे. वैसे धनबाद को लेकर जो आमजनों के मन में एक छवि रहती है, उस धारणा से अलग हट कर बच्चा सिंह ने अपनी राजनीतिक छवि गढ़ी थी. मेरी दृष्टि में राजनीति में जो शालीनता एक राजनेता में होनी चाहिए, उसका बच्चा सिंह ने हमेशा आवरण किया. बिहार से अलग होकर जब सन 2000 में झारखंड राज्य का गठन हुआ, तो बच्चा सिंह मंत्री बने थे. स्पीकर होने के नाते पक्ष और विपक्ष दोनों के विधायकों पर सूक्ष्म दृष्टि रहती है. मुझे याद है कि जब बच्चा सिंह मंत्री के नाते अपने विभाग का पक्ष रखते थे, तो उस दौरान भी वह शालीनता के साथ राजनीतिक मानदंडों का ख्याल रखते थे. इसलिए मैं कहता हूं, जिस इलाके से वह ताल्लुक रखते थे और वहां की जो राजनीतिक तासीर है, उससे अलग उनकी छवि रही. विनम्रता और शालीनता के साथ लोगों से मिलना और अपनी बात रखना उनकी कार्यशैली में शामिल रहा. उनका नाम भले ही बच्चा था, लेकिन बौद्धिक स्तर पर उच्च श्रेणी के थे. राजनीति में नैतिकता, शुचिता और जो मर्यादा होनी चाहिए, उसे हमेशा बच्चा सिंह ने बनाये रखा. जब वह विधायक या फिर मंत्री बने उनसे मेरी निकटता और घनिष्ठता बनी रही. उनके निधन की सूचना पाकर अत्यंत मर्माहत हूं. उन्हें मेरी ओर से विनम्र श्रद्धांजलि.

मजदूरों के काम करने से कभी पीछे नहीं रहते थे बच्चा सिंह

स्मृति शेष

पूर्व मंत्री बच्चा सिंह हमेशा मजदूरों के लिए चिंतित रहते थे. कभी भी कोई मजदूर उनके पास अपनी समस्या को लेकर चले जाये. उसके समाधान के लिए तत्पर हो जाते थे. मैं वर्ष 1969 में धनबाद आया था. उसी वक्त मेरी सूरजदेव बाबू से काभी अच्छी दोस्ती हो गयी. यूं कहें कि एक पारिवारिक संबंध था, तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी. बच्चा सिंह सूरजदेव बाबू के तीसरे भाई थे और सबसे करीबी भी थे. वर्ष 1970 में बच्चा सिंह ओल्ड कुस्तौर एरिया में मजदूर नेता थे. ट्रेड यूनियन में भी इनकी काफी रुचि थी. हमेशा मजदूरों के लिए काम करते थे. मजदूरों के लिए काम करने में कभी पीछे नहीं हटते थे. मजदूरों की सेवा करते हुए कई बार जेल भी गये थे. 1977 में सूरजदेव बाबू ने जनता मजदूर संघ बनाया था. इसमे बच्चा बाबू काफी सक्रिय रहते थे. सूरजदेव बाबू के देहांत के बाद बच्चा बाबू ने ही परिवार को संभाल और परिवार की देखभाल की. बच्चा बाबू झारखंड सरकार में मंत्री भी रहे थे. झरिया में भी बच्चा बाबू ने अच्छा काम किया. धनबाद को नगर निगम बनने में बच्चा बाबू का काफी योगदान रहा. उनके प्रयास से ही धनबाद नगरपालिका से धनबाद नगर निगम में तब्दील हुआ. उनके कार्यकाल में शुरू हुई कई योजनाओं का लाभ धनबाद को मिला. इसमें धनबाद को मिलेनियम सिटी का दर्जा मिलना भी शामिल है. मैथन से पाइप लाइन के जरिये पानी धनबाद तक लाने में भी प्रमुख भूमिका निभायी थी. हिंद मजदूर सभा के ओर से 8वें वेज बोर्ड के मेम्बर भी थे. अच्छे इंसान थे,संघर्ष करने से कभी पीछे नहीं हटते थे. मजदूर के लिए लड़ने को तैयार रहते थे. उनका निधन मेरे लिए व्यक्तिगत क्षति है. साथ ही यहां के मजदूर वर्ग के लिए बड़ा झटका है.

एके झा, महामंत्री, राष्ट्रीय कोयलियरी मजदूर यूनियन

– झारखंड के प्रथम नगर विकास मंत्री थे बच्चा सिंह

बच्चा सिंह कभी ‘सिंह मेंशन’ के स्तंभ हुआ करते थे. उन्होंने पहली बार विधानसभा का चुनाव साल 1991 में लड़ा, लेकिन आबो देवी के हाथों उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. वर्ष 1995 में उन्होंने दोबारा झारखंड विधानसभा से अपनी किस्मत आजमायी, लेकिन फिर हार गये. साल 2000 में उन्होंने पहली बार जीत स्वाद चखा और झरिया के विधायक बनें. इसके बाद उन्हें बाबूलाल मरांडी की सरकार में नगर विकास मंत्री बनाया गया. वे झारखंड के प्रथम नगर विकास मंत्री थे.

चार बार विधानसभा का चुनाव लड़े, एक बार जीते, मंत्री भी बने

बिहार, झारखंड दोनों विधानसभा के सदस्य रहने का मिला मौका

विशेष संवाददाता, धनबाद

कोयलांचल में मजदूर नेता के रूप में अपनी अलग पहचान रखने वाले बच्चा सिंह चार बार विधानसभा का चुनाव लड़े. इसमें तीन बार झरिया तथा एक बार बोकारो से विधानसभा चुनाव लड़े. एक बार विधायक बने. संयोग से उसी बार बाबूलाल मरांडी सरकार में नगर विकास राज्य मंत्री भी बने. झरिया के पूर्व विधायक सूर्यदेव सिंह के अनुज बच्चा सिंह 70 के दशक में धनबाद आये थे. यहां बीसीसीएल में नौकरी भी करते थे. साथ ही ट्रेड यूनियन की राजनीति में सक्रिय रहे. सूर्यदेव सिंह जो झरिया के विधायक थे ने जनता मजदूर संघ नामक मजदूर संगठन बनाया था. बच्चा सिंह भी अपने भाई के यूनियन से ही मजदूर राजनीति शुरू की. बड़े भाई के निधन के बाद उन्होंने जमसं की कमान संभाली. यूनियन के महामंत्री बने. साथ ही सिंह मेंशन की तरफ से झरिया विधानसभा से उप चुनाव लड़े. लेकिन, उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा. फिर 1995 के विस चुनाव में भी श्री सिंह को हार का सामना करना पड़ा. वर्ष 2000 में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली समता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ कर बिहार विधानसभा के सदस्य बने. संयोग से वर्ष 2000 में ही 15 नवंबर को अलग झारखंड राज्य का गठन हुआ. समता पार्टी के सहयोग से भाजपा ने झारखंड में पहली सरकार बनायी. इस सरकार में बच्चा सिंह भी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बने.

2004 में सीट बदल कर बोकारो से लड़े

वर्ष 2004 के विधानसभा चुनाव में झरिया से सूर्यदेव सिंह की पत्नी कुंती देवी चुनाव मैदान में उतरी. उस वक्त बच्चा सिंह ने बोकारो विधानसभा से चुनाव लड़ने का फैसला किया. लेकिन, सफलता नहीं मिली. इसके बाद कभी चुनाव नहीं लड़े. हमेशा खुद को मजदूर राजनीति में ही सक्रिय रखा. अंतिम समय तक जमसं (बच्चा गुट) के महामंत्री बने. जमसं को लेकर लंबे समय तक कानूनी लड़ाई भी लड़े.

डोमिसाइल के मुद्दे पर बच्चा सिंह ने अपने ही सरकार को घेरा था

धनबाद . पूर्व मंत्री बच्चा सिंह ने डोमिसाइल के मुद्दे पर अपने ही सरकार को घेरा था. बाबूलाल मरांडी की सरकार ने जब राज्य में डोमिसाइल नीति लायी थी. तब उनके मंत्रिमंडल में सहयोगी रहे बच्चा सिंह ने इसका विरोध किया था. समता पार्टी के सभी मंत्रियों ने उनका साथ दिया था. इन मंत्रियों के विरोध के कारण भाजपा ने राज्य में नेतृत्व परिवर्तन किया था. बाबूलाल मरांडी की जगह अर्जुन मुंडा को झारखंड का मुख्यमंत्री बनाया गया.

ह्रदय गति रुकने से हुई पूर्व मंत्री की मौत

धनबाद. पूर्व मंत्री बच्चा सिंह की मौत ह्रदय गति रुकने से हुई. एसजेएएस अस्पताल प्रबंधन ने बताया कि चार दिनों से अस्पताल में भर्ती थे. जब आये उनकी स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी. इस कारण पांच डॉक्टरों की टीम गठित की गयी, जो लगातार 24 घंटे तक उनका इलाज कर रही थी. स्थिति में सुधार भी था, लेकिन कई ऑर्गन डैमेज हो चुके थे और अंत में ह्रदय गति रुकने से उनकी मौत हुई.

अब हम किसके भरोसे रहेंगे हैं भगवान —

धनबाद . पूर्व मंत्री बच्चा सिंह का जब शव अंतिम संस्कार के लिए ले जाया जा रहा था, तब महिलाओं के क्रंदन से पूरा माहौल गमगीन हो गया. उनकी पत्नी शिव कुमारी देवी विलाप कर रही थीं. कह रही थीं हे भगवान अब हम किसके भरोसे रहेंगे. झरिया की विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह सहित अन्य महिला सदस्य उन्हें संभालने की कोशिश कर रही थीं.

डीएसपी ने झरिया विधायक को सौंपा राष्ट्रीय ध्वज : पूर्व मंत्री के निधन पर राजकीय सम्मान दिया गया. डीएसपी मुख्यालय शंकर कामती ने शोक सलामी के बाद पूर्व मंत्री के पार्थिव शरीर पर डाले गये राष्ट्रध्वज उनकी बहू सह झरिया की विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह को सौंप दिया. विधायक ने यह ध्वज पूर्व मंत्री की पत्नी को सौंपा. इस दौरान सभी की आंखें डबडबा गयी.

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