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Dhanbad News: नि:स्वार्थ भक्ति से वश में होते हैं भगवान : जया किशोरी

श्री श्याम गुणगान महोत्सव के दूसरे भी नानीबाई रो मायरो सुन भावविभोर हुए भक्त.

धनबाद.

श्री श्याम भक्त मंडल हीरापुर द्वारा आयोजित नानी बाई री मायरो के दूसरे दिन कथा वाचिका जया किशोरी ने कार्यक्रम की शुरुआत राधे-राधे-राधे गोविंद राधे.. भजन से की. इस दौरान भक्तों ने भी उनका साथ दिया और सांवरिया सेठ की जय, खाटू नरेश की जय आदि जयकारे लगे. आरती के बाद कथा सुनाते हुए जया किशोरी ने कहा कि संगत अच्छी हो तो सब काम अच्छे होते हैं. उन्होंने युवाओं से अच्छे दोस्त बनाने को कहा. बताया कि मानव का ऐसा स्वभाव है कि जैसे लोगों की संगत में रहते हैं वैसा प्रभाव पड़ने लगता है. बुराई आसानी से स्वीकार्य हो जाती है. जबकि अच्छाई को स्वीकारने में समय लगता है. माता-पिता बच्चों को बार-बार पढ़ाई करने को कहते हैं फिर भी वे टाल मटोल करते हैं] जबकि मोबाइल चलाने के लिए न कहने पर भी मोबाइल से चिपके रहते हैं.

दुनिया हमारे मन से नहीं चलती

जया किशोरी ने कहा कि दुनिया में कुछ भी नयी बात नहीं है. चार-पांच ज्ञान की बातें हैं, बस कहने का तरीका अलग है. सबको पता है पढ़ना जरूरी है, लेकिन सवाल करते हैं कि पढ़ाई में मन नहीं लगता है. लेकिन पढ़ाई, तो करनी पड़ेगी. जीवन में हर चीज अच्छी नहीं लगती, पर जो जरूरी है, उसे करना पड़ेगा. दुनिया हमारे मन से नहीं चलती, हमें दुनिया के मन से चलना होगा. कुछ असाधारण करना है, तो लोगों की बातों की फिक्र करना छोड़ दें. आगे बढ़ने पर जो पीछे खींच रहे हैं, याद रखना कामयाब होने पर वही ताली बजायेंगे.

भगवान श्याम के भक्त थे नरसी जी

नानीबाई रो मायरो का प्रसंग शुरू करते हुए जया किशोरी ने कहा : भगवान भक्त के वश में होते हैं. भक्ति करनी है, तो निःस्वार्थ करें. नरसी जी भगवान श्याम के भक्त थे. उनकी नतनी की शादी तय होती है. नरसी गरीब हैं. लेकिन बेटी के ससुराल वाले बहुत धनाढ्य हैं. बेटी नानी बाई के ससुराल वाले नरसी को बेइज्जत करने के ख्याल से उन्हें निमंत्रण भेजते हैं. निमंत्रण पत्र में ऐसी मांग भेजते हैं, जिसे पूरा करना नरसी के वश की बात नहीं. नतनी की शादी का निमंत्रण लेकर ससुराल से जोशीजी (पंडितजी) नरसी जी के घर पहुंचते हैं. जोशीजी ने नरसीजी को कहा कि वह कुछ लेने नहीं, बल्कि उनकी बेटी के घर से शादी का न्योता देने आये हैं. उन्होंने पत्र दिया और चले गये. पत्र में लिखा था कि उनकी नतनी की शादी है और निमंत्रण पत्र में जो दिया गया है, उसे लेकर आये. वह शादी में जाने को तैयार हुए, गांव के लोगों से गाड़ी मांगी. लेकिन किसी ने बैल नहीं होने, तो किसी ने चक्का खराब होने की बात कही. गांव के एक व्यक्ति ने बूढ़े बैल के बारे में बताया कि वह गांव के बाहर है. वह गांव के बाहर गये और दो बूढ़े बैल को देख राम-राम कहा. बैल खड़े हो गये. उसके बाद उन्होंने अपनी पत्नी को कहा कि यदि भगवान पर पूरा भरोसा है, तो कभी परेशानी नहीं होगी. ठाकुरजी पर भरोसा रखें, सबकुछ ठीक हो जायेगा. उसके बाद वह जाने को तैयार हुए, गांव के सूर्या (अंधे भक्त), मृदंग, ताल व अन्य सामान लेकर जाने की तैयारी की. लेकिन इसी दौरान गाड़ी का पहिया बैठ गया. वह भगवान को याद करने लगे और शाम हो गयी. तभी भगवान कृष्ण युवक के वेश में मौके पर पहुंचे और उनकी गाड़ी में जाने की जिद करने लगे. नरसीजी के साथ जाने वाले भक्त इसके लिए तैयार नहीं हुए, लेकिन भगवान कृष्ण ने कहा कि आप लोग जहां जा रहे हैं, वे लोग बहुत धनाढ्य हैं. वहां जो भी रुपया खर्च होगा मैं दूंगा. उसके बाद सभी लोग उन्हें साथ ले जाने को राजी हो गये.

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