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एसपी की कार्रवाई के बाद बालू के अवैध कारोबार का हुआ खुलासा

बेजड़ा घाट में रविवार और सोमवार को छाया रहा सन्नाटा

वरीय संवाददाता, धनबाद,

अवैध बालू कारोबार से सिर्फ एक-दो लोग नहीं, बल्कि पूरा सिंडिकेट लगा हुआ है. सिंडिकेट नदियों में बड़ी गाड़ियों उतार देता है और जेसीबी और नाव के माध्यम से बालू का उठाव करता है. यह खेल दिन के उजाले से लेकर रात के अंधेरे तक लगातार चलता रहता है. शनिवार की देर रात ग्रामीण एसपी कपिल चौधरी के नेतृत्व में छापेमारी के बाद पूरे मामले का खुलासा हुआ है. ग्रामीण एसपी कपिल चौधरी के साथ उनकी टीम ने नाटकीय तरीके से से पहले पूर्वी टुंडी के क्षेत्र में छापेमारी की. इस दौरान बालू लदे सात हाइवा को जब्त कर 11 लोगों को गिरफ्तार किया गया. उसके बाद टीम टुंडी के मनियाडीह पहुंची. यहां से बालू लदा हाइवा और दो जेसीबी को जब्त किया गया. इस बड़ी कार्रवाई के बाद रविवार की सुबह से लेकर सोमवार की शाम तक बेजड़ा घाट व अन्य आसपास के घाट पर सन्नाटा पसरा रहा.

कैसे होता है बालू का अवैध कारोबार :

बराकर नदी के बेजड़ा घाट से अवैध बालू का कारोबार पिछले कई सालों से चल रहा है. घाट की नीलामी नहीं होने के बाद भी प्रतिदिन यहां से माफिया बालू का उठाव करते हैं. प्रतिदिन यहां से सैकड़ों हाइवा और ट्रैक्टर के माध्यम से बालू की तस्करी की जाती है. बालू लोड कर जैसे ही ट्रैक्टर घाट से निकलता है, वहां संबंधित पंचायत के मुखिया द्वारा तैनात किये गये लोग सौ रुपये का चालान काटते हैं, हालांकि वाहनों से चार सौ रुपये की वसूली होती है. हालांकि इस मामले में मुखिया सीता देवी के पति चंडी चरण महतो ने कहा कि उन्हें प्रति वाहन सौ रुपये ही मिलता है, बाकी तीन सौ रुपये कहां जाता है, मुझे नहीं मालूम.

सबकी मिलीभगत से चलता है खेल :

सभी की मिली भगत से बालू का अवैध कारोबार होता है. बताया जाता है कि प्रति हाइवा बालू लोड करने के एवज में भलगढ़ा निवासी दो मुख्य बालू माफिया (दोनों एस अंसारी) आठ हजार से साढे़ आठ हजार रुपए वसूलते हैं. इसमें कई लोगों का हिस्सा होता है. इसके बाद भी वाहनों से वसूली होती है. घाट से निकलने के बाद एक हाइवा से रास्ते में एजेंट एक हजार रुपये की वसूली करता है. इसके बाद बालू लदा वाहन शहर की तरफ आता है, तो पूर्वी टुंडी थाना से लेकर सरायढेला थाना के नाम पर प्रतिगाड़ी 500 से एक हजार रुपये की वसूली होती है. इसके अलावा पुलिस गश्ती वाहन 50 से सौ रुपये तक वसूलते हैं. हालांकि कुछ वाहनों से पांच हजार से सात हजार रुपये तक मासिक वसूली होती है.

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