धनबाद के हिस्से का पानी चोरी होने का असर : आठ जलमीनारों से 40 मिनट, 11 में आधे घंटे से कम हुई जलापूर्ति

कम जलापूर्ति से शहर में गहराया जल संकट, सुबह से पानी के जुगाड़ में लगे रहे लोग

By Prabhat Khabar News Desk | May 29, 2024 12:18 AM

वरीय संवाददाता, धनबाद,

गर्मी बढ़ने के साथ ही शहर में पेयजल संकट गहरा गया है. शहर के 19 जलमीनारों में सिर्फ आठ में ही 30 से 40 मिनट के लिए पानी छोड़ा जा रहा है. इनमें स्टीलगेट, पुलिस लाइन, मेमको, भूली, मटकुरिया, हीरापुर, गोल्फ ग्राउंड व पीएमसीएच जलमीनार शामिल है. वहीं पुराना बाजार, मनईटांड़, धाेवाटांड़, गांधी नगर, भूदा, बरमसिया, धनसार, चीरागाेड़ा, पाॅलिटेक्निक व हिल काॅलाेनी जलमीनार से रोजाना आधे घंटे से कम पानी छोड़ा जा रहा है. दूसरी ओर मोटर लगाकर पानी खींचने वालों के कारण इन जलमीनारों से संबंधित इलाकों व टंकी से दूर-दराज रहने वाले लोगों के घरों तक पानी पहुंच ही नहीं पा रहा है. ऐसे में शहर की बड़ी आबादी गंभीर पेयजल संकट से जूझ रही है. समय पर पानी नहीं मिलने के कारण लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. समुचित पेयजल की व्यवस्था नहीं होने से सुबह होते ही लोग पानी की जुगाड़ में जुट जा रहे है.

पेयजल संकट के दो कारण :

धनबाद तक नहीं पहुंच पा रहा पर्याप्त पानी : धनबाद शहरी क्षेत्र में जलापूर्ति के लिए मैथन से पानी आता है. मैथन से धनबाद को मिलने वाला पानी चोरी हो रहा है. इसकी मुख्य वजह है, जिन-जिन गांवों से होकर मैथन से धनबाद को पानी पहुंच रहा है, उन इलाकों में रहने वाले लोग प्यासे हैं. खुद व परिवार की प्यास बुझाने के लिए जगह-जगह लीकेज कर पानी की जरूरत पूरी करने को विवश हैं. मैथन से धनबाद के बीच हो रही चोरी के कारण पर्याप्त मात्रा में पानी पहुंच ही नहीं पा रहा है.

उपभोक्ता अधिक और जलमीनार की क्षमता कम

: शहर में जलापूर्ति के लिए बने आठ जलमीनार नये हैं. इनकी क्षमता डेढ़ लाख गैलेन है. इनमें स्टीलगेट, पुलिस लाइन, मेमको, भूली, मटकुरिया, हीरापुर, गोल्फ ग्राउंड व पीएमसीएच जलमीनार शामिल है. जबकि, अन्य जलमीनार की क्षमता एक लाख की गैलन है. वर्तमान में जलमीनार की क्षमता के अनुसार ही जलमीनारों में पानी छोड़ा जा रहा है. 11 जलमीनारों की क्षमता कम होने के कारण इनसे आधे घंटे से कम समय के लिए पानी छोड़ा जा रहा है. जबकि, इन जलमीनार संबंधित क्षेत्रों में उपभोक्ताओं की संख्या अधिक है. यही वजह है कि लोगों तक समुचित पानी नहीं पहुंच पा रहा है.

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