धनबाद विस क्षेत्र : 24 सालों से सिर्फ भाजपा व कांग्रेस के बीच रही है सत्ता

फ्लैश बैक : राज्य गठन के बाद पांच चुनाव में सिर्फ एक बार कांग्रेस की झोली में गयी सीट, सिर्फ एक बार राष्ट्रीय जनता दल दूसरे स्थान पर बना पायी जगह

By Prabhat Khabar News Desk | October 23, 2024 1:08 AM
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झारखंड राज्य गठन के बाद धनबाद विधानसभा क्षेत्र में पिछले 24 वर्षों से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) व कांग्रेस के बीच ही सत्ता रही है. ऐसा नहीं है कि बाकी दलों ने इस सीट के लिए जोर नहीं लगाया, लेकिन चुनावी समर में सिर्फ एक बार राजद दूसरे स्थान पर जगह बना पायी. बाकी समय में कांग्रेस व भाजपा ही पहले व दूसरे स्थान पर रही. बीते पांच विधानसभा चुनाव के आंकड़ों की बात करें, तो धनबाद में सिर्फ एक बार कांग्रेस के विधायक बने थे. बाकी चार बार भाजपा के विधायक रहे थे. भाजपा से पीएन सिंह दो बार, राज सिन्हा दो बार, कांग्रेस के मन्नान मल्लिक एक बार विधायक रहे.

वर्ष 2000 का विधानसभा चुनाव :

राज्य के अलग होने के बाद धनबाद सहित पूरे राज्य में पहली बार चुनाव वर्ष 2000 में हुआ था. इस साल धनबाद विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के पीएन सिंह ने जीत हासिल कर विधायक बने. दूसरे स्थान पर आरजेडी के प्रसादी साव व तीसरे पर कांग्रेस के योगेश्वर प्रसाद रहे थे.

2005 का विधानसभा चुनाव :

दूसरा विधानसभा चुनाव वर्ष 2005 में हुआ था. इस चुनाव में पीएन सिंह दुबारा जीतकर विधायक बने. मगर 2005 में 2000 के मुकाबले पीएन सिंह को 4.33 प्रतिशत वोट कम मिले थे. दूसरे पर नंबर कांग्रेस के मन्नान मल्लिक रहे.

2009 का विधानसभा चुनाव :

तीसरे विधानसभा चुनाव 2009 में भाजपा ने अपने सीटिंग उम्मीदवार को बदल दिया. इसका खामियाजा भाजपा को अपनी हार से भुगतना पड़ा. कांग्रेस प्रत्याशी मन्नान मल्लिक विधायक बने. उन्हें राज सिन्हा से 0.56 प्रतिशत वोट ज्यादा मिले. 2014 के चुनाव में भाजपा की वापसी : 2014 में मन्नान मल्लिक को हराकर राज सिन्हा ने भाजपा को वापस धनबाद विधानसभा क्षेत्र की सीट दिलायी. 2019 में भी राज सिन्हा कांग्रेस के मन्नान मल्लिक को हराकर विधायक बने.

2014 के मुकाबले 2019 में कम मिले भाजपा को वोट :

भाजपा के राज सिन्हा पहली बार विधायक 2014 में बने. इस वर्ष राज सिन्हा को 1,32,091 वोट मिले, जो कुल वोटरों का 58.13 प्रतिशत रहा. वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में राज सिन्हा दुबारा विधायक बने मगर उनका मतदान प्रतिशत 2014 के मुकाबले 5.83 प्रतिशत कम हो गया. उन्हें 52.31 प्रतिशत और मन्नान मल्लिक को 39.04 प्रतिशत वोट मिले थे.

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