जिसके अंदर भगवान का भाव है, वही व्यक्ति सात्विक : गौरी दीक्षित

तोपचांची में प्रवचन

By Prabhat Khabar News Desk | April 15, 2024 1:03 AM

कैप्शन- प्रवचन करतीं बाल विदुषी काषीर्ण गौरी दीक्षित व उपस्थित श्रद्धालु.

तोपचांची. तोपचांची प्रखंड के ब्राह्मणडीहा गांव में भयहरण सेवा समिति द्वारा आयोजित सप्ताहव्यापी श्रीमद्भागवत कथा में पहले रविवार को प्रवचन में बाल विदुषी काषीर्ण गौरी दीक्षित ने कहा कि भगवान के रूप अनेक हैं. लेकिन देखनेवाले की मती कैसी है, यह महत्वपूर्ण है. सात्विक व्यक्ति की कोई अलग पहचान नहीं होती है. जिसके अंदर भगवान का भाव है, वह व्यक्ति सात्विक है. निर्मल व्यक्ति भगवान से कुछ नहीं चाहता, वह सिर्फ भगवान को चाहता है. प्रभु जड़ नहीं चैतन्य स्वरूप है. प्रभु को जो चैतन्य नहीं मानते, वह राक्षसी प्रवृति के लोग होते हैं. आनंद की प्राप्ति तभी होगा, जब भक्त प्रभु को चैतन्य मानते हैं. प्रभु का भाव, आस्था, विश्वास, लगन, सच मान कर भक्ति करने वाले भक्त को आनंद की प्राप्ति होती है. भगवान को पाने के लिए परीक्षा देनी पड़ती है. जब परीक्षा ही नहीं दी, तो सफलता कैसे मिलेगी. प्रवचन सुनने ब्राह्मणडीहा, लोकबाद, ढांगी, नेरो, सिंहदाहा से बड़ी संख्या में लोग पहुंचे थे.

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