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अंतरिक्ष में पहला मानव मिशन भेजने के लिए भारत तैयार

आइआइटी आइएसएम में इसरो के गगनयान मिशन से जुड़े प्रमुख वैज्ञानिक दीपक सिंह ने दी जानकारी

अंतरिक्ष में भारत पहला मानव मिशन भेजने के लिए तैयार है. इसके पहले दो मानवरहित यान अंतरिक्ष में भेजा जायेगा. यह मिशन स्वदेशी जीएसएलवी रॉकेट की मदद से होगा. इसके सफल होने पर मानव मिशन अंतरिक्ष में भेजा जायेगा. इसमें अभी पांच से छह वर्ष लग सकते हैं. यह जानकारी इसरो के मिशन, ‘गगनयान’ से जुड़े प्रमुख वैज्ञानिक दीपक सिंह ने दी. वह शुक्रवार को आइआइटी आइएसएम में नेशनल स्पेस डे के अवसर पर आयोजित व्याख्यान के दौरान अपने देश के इस महत्वपूर्ण मिशन पर बात कर रहे थे. श्री सिंह ने मिशन के बारे में चरणवार जानकारी देते हुए बताया कि मानवरहित मिशन के साथ दो मॉड्यूल अंतरिक्ष में भेजे जायेंगे. एक मॉड्यूल मानव के लिए जरूरी लाइफ सपोर्ट सिस्टम से युक्त होगा. जबकि दूसरे मॉड्यूल में अंतरिक्ष मिशन के लिए जरूरी टेक्नोलॉजी का परीक्षण किया जायेगा. इसके बाद इसी तरह का दूसरा मानव मिशन भेजा जायेगा. दोनों के प्राप्त आंकड़ों के आधार पर मानव मिशन निर्भर करेगा. अगर इनका परिणाम उत्साहवर्धक मिलता है, तो इसके बाद फौरन ही मानव मिशन को लांच कर दिया जायेगा. दीपक सिंह ने कहा इसरो को पूरी उम्मीद है कि मानवरहित मिशन पूरी तरह से सफल होगा. इसके साथ ही भारत विश्व का प्रमुख अंतरिक्ष शक्ति बन जायेगा. 2035 तक होगा अपना स्पेस स्टेशन : इसरो वैज्ञानिक दीपक सिंह ने अपने संबोधन में इसरो के एक और महत्वपूर्ण मिशन की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि 2035 तक इसरो अंतरिक्ष में भारत का पहला स्पेस स्टेशन स्थापित कर लेगा. इसके लिए तैयारी भी शुरू हो गयी है. उन्होंने कहा कि भविष्य में अंतरिक्ष यात्रियों के लिए यह स्पेस स्टेशन एक सुरक्षित ठिकाना होगा.

अपना स्वदेशी जीपीएस :

दीपक सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि आने वाले दिनों में भारत के लोगों को अमेरिकी ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) की जरूरत खत्म होने वाली है. क्योकि देश का अपना जीपीएस (नाविक) पूरी तरह से तैयार हो जायेगा. इस पर काफी तेजी से काम चल रहा है. इसके पूरा होते ही भारत दुनिया के चुनिंदा क्लबों में शामिल हो जायेगा, जिसके पास अपना नेविगेशन सिस्टम है. दीपक सिंह इसरो के अवार्डी युवा वैज्ञानिक हैं. उन्होंने बार्क और इटॉन में भी काम किया है. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आइआइटी आइएसएम के उपनिदेशक प्रो धीरज कुमार ने बताया कि भारतीय युवा अंतरिक्ष के कॅरियर तलाशने को लेकर दुनिया भर में सबसे आगे हैं. भारत के 20 प्रतिशत युवा इस क्षेत्र में कॅरियर बनाना चाहते हैं. जबकि अमेरिका के आठ, यूरोप में 12 से 23 और दूसरे देशों में पांच से छह प्रतिशत युवा अंतरिक्ष के क्षेत्र में कॅरियर बनाना चाहते हैं. भारतीय युवाओं में इस रुझान के लिए इसरो को श्रेय जाता है. इस अवसर पर डीन इंटरनेशनल रिलेशन प्रो आलोक दास ने भी अपने विचार व्यक्त किये. वहीं प्रभारी डीन इनोवेशन एंड स्किल डेवलपमेंट प्रो अजीत कुमार ने स्वागत भाषण दिया.

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